वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने सोमवार को संसद में स्पष्ट किया कि सरकार ने बड़ी कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज को माफ नहीं किया है। भाकपा सांसद के. सुब्बारायण द्वारा लोकसभा में सवाल पूछा गया कि, क्या सरकार उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले गरीब छात्रों के शिक्षा ऋण को माफ कर देगी, जैसे कि बड़ी कंपनियों के लिए सरकार ने कई लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल दिए हैं। सीतारमण ने कहा कि, हमने बड़ी कंपनियों द्वारा लिए गए ऋणों को माफ नहीं किया है।
सीतारमण ने कहा- बट्टे खाते में डालना, माफ करने से अलग है। हमें इसे समझना चाहिए। हमने किसी को भी राइट ऑफ नहीं किया है, यह एक बिंदु है। दूसरा, यदि एनपीए हैं और ऐसे एनपीए को बट्टे खाते में डाल दिया जाता है, तो बैंकों के पास जमा की गई उनकी प्रतिभूतियों के आधार पर हम उन कंपनियों से उन राशियों को वापस ले रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि, यह पैसा बैंकों में आ रहा है। आप शैक्षिक ऋण को माफ करने के लिए बहुत अच्छी तरह से सुझाव दे सकते हैं। लेकिन मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहती हूं कि..आप बकाएदारों के पैसे और छात्रों को दिए गए शैक्षिक ऋण की तुलना नहीं कर सकते। सांसद बहुत अच्छी तरह से सुझाव दे सकते हैं कि शैक्षिक ऋण माफ कर दिया जाना चाहिए। लेकिन वह यह नहीं कह सकते कि हमने शिक्षा ऋण वापस ले लिया है और वह राशि बड़ी कंपनियों को दे दी है।
उन्होंने कहा, हमने किसी को बट्टे खाते में नहीं डाला है। यह कहना गलत है कि बट्टे खाते में डालकर हम उस राशि को अपना नुकसान मान रहे हैं।
आईएएनएस/PT