युसूफ हुसैन : वह अभिनेता जिसने अपनी बचत से बचा लिया था हंसल मेहता का करियर

मुंबई, लखनऊ की गलियों से निकलकर बॉलीवुड (Bollywood) की चमकदार दुनिया तक का सफर कोई सपना नहीं, बल्कि यूसुफ हुसैन (Yusuf Hussain) की जिंदगी की हकीकत थी। 21 जनवरी 1948 को जन्मे यूसुफ ने कभी नहीं सोचा था कि व्यापार की दुनिया छोड़कर वे कैमरे के सामने खड़े होंगे। लेकिन किस्मत के खेल ने उन्हें 2002 में फिल्म 'दिल चाहता है' से सिल्वर स्क्रीन (Silver Screen) पर ला खड़ा किया।
हल्की मुस्कान के साथ नजर आते अभिनेता यूसुफ हुसैन, जिन्होंने लखनऊ से बॉलीवुड तक अपनी पहचान बनाई|
यूसुफ हुसैन — लखनऊ से बॉलीवुड तक का सफर तय करने वाले वो अभिनेता, जिन्होंने अपनी बचत से हंसल मेहता का करियर बचाया।IANS
Published on
Updated on
2 min read

शुरुआत छोटे रोल से हुई, लेकिन जल्द ही उनकी सादगी भरी अदाकारी ने निर्देशकों का ध्यान खींचा। 'दिल चाहता है' में आमिर खान के पिता का किरदार हो या 'धूम 2' में ऋतिक रोशन के साथ दमदार सीन, यूसुफ हर भूमिका में खुद को पिरो लेते थे।

'ओएमजी (OMG): ओह माय गॉड' के जज हों या 'रईस' में शाहरुख खान की दुनिया का हिस्सा, हर किरदार में उनकी मौजूदगी फिल्म को गहराई देती थी। 'कृष 3' में भी उन्होंने साइंस-फिक्शन की दुनिया में अपनी छाप छोड़ी। टीवी की दुनिया में भी यूसुफ ने कमाल किया।

'सीआईडी' (CID) के कई एपिसोड्स में वे अलग-अलग किरदारों में नजर आए, तो 'कुमकुम : प्यारा सा बंधन' जैसे सीरियल्स में घरेलू दर्शकों के दिलों में बस गए। उनकी आवाज, हाव-भाव और संवाद अदायगी में एक ऐसी सच्चाई थी, जो दर्शकों को तुरंत जोड़ लेती थी। व्यापार से एक्टिंग तक का यह सफर आसान नहीं था। लखनऊ में कपड़े का कारोबार चलाते हुए उन्होंने कभी थिएटर नहीं किया, लेकिन जब मौका मिला, पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी जिंदगी इस बात का सबूत थी कि टैलेंट कहीं भी छिपा हो, देर-सवेर चमक ही जाता है।

युसूफ हुसैन (Yusuf Hussain) अपनी सादगी और दयालुता के लिए जाने जाते थे। लेकिन उनका सबसे यादगार योगदान तब सामने आया जब उन्होंने अपनी निजी बचत से अपने दामाद, फिल्म निर्देशक हंसल मेहता के लगभग डूब चुके करियर को बचा लिया। यह सिर्फ एक आर्थिक मदद नहीं थी, बल्कि एक पिता के विश्वास की कहानी थी, जिसने एक राष्ट्रीय पुरस्कार (National Award विजेता फिल्म को जन्म दिया।

यह किस्सा हंसल मेहता (Hansal Mehta) की फिल्म 'शाहिद' की मेकिंग के दौरान का है। यह फिल्म वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता शाहिद आजमी के जीवन पर आधारित थी। हंसल मेहता ने फिल्म 'शाहिद' के शुरुआती दो शेड्यूल तो किसी तरह पूरे कर लिए थे, लेकिन इसके बाद फिल्म पूरी तरह से वित्तीय संकट में फंस गई। हंसल मेहता के लिए यह एक मुश्किल दौर था। उन्हें लग रहा था कि अब उनका करियर खत्म है। जब युसूफ हुसैन ने अपने दामाद की हताशा देखी, तो उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया, जो रिश्ते की परिभाषा को बदल देता है।

युसूफ हुसैन ने बिना किसी सवाल के हंसल मेहता के पास जाकर कहा, "मेरे पास एक फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) है। यह मेरे किसी काम का नहीं है, तुम उसका इस्तेमाल कर लो।" उन्होंने एक चेक हंसल मेहता को दिया, जिससे फिल्म 'शाहिद' की बची हुई शूटिंग पूरी हो सकी। इसी फिल्म के लिए हंसल मेहता को बाद में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।

30 अक्टूबर 2021 को युसूफ हुसैन के निधन के बाद, हंसल मेहता ने सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक और मार्मिक (Poignant) पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने इस घटना का जिक्र किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

[AK]

हल्की मुस्कान के साथ नजर आते अभिनेता यूसुफ हुसैन, जिन्होंने लखनऊ से बॉलीवुड तक अपनी पहचान बनाई|
“लगान फिल्म ने मुझे बहुत कुछ दिया” - अभिनेता यशपाल शर्मा

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com