दिव्या खोसला कुमार का अभिनय करियर: शादी, पारिवारिक उम्मीदें और अन्य पड़ाव

दिव्या खोसला कुमार ने शादी के बाद परिवार की उम्मीदों के चलते अपना अभिनय करियर रोक दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, कैमरे के पीछे रहकर काम किया और फिर आत्मविश्वास के साथ फिल्मों और म्यूज़िक वीडियोज़ में वापसी की।
दिव्या खोसला कुमार
दिव्या खोसला कुमारWikimedia Commons
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दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla kumar) ने हाल ही में भारती सिंह (Bharti Singh) के पॉडकास्ट (Podcast) में अपने जीवन का एक अहम सच साझा किया। उन्होंने बताया कि उनकी पहली फिल्म अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो (Ab Tumhare Hawale Watan Sathiyo) जब रिलीज़ हुई, तब उनकी शादी पहले से ही तय हो चुकी थी। शादी के बाद उनका परिवार नहीं चाहता था कि वे फिल्मों में काम जारी रखें। दिव्या (Divya) ने यह भी कहा कि उस समय उन्होंने परिवार की इच्छाओं को प्राथमिकता दी और अपने एक्टिंग करियर से दुरी बना ली। यह कदम उनके लिए बिलकुल भी आसान नहीं था।

दिव्या की यह कहानी हमें उन कई अभिनेत्रियों की याद दिलाती है, जिन्होंने अपने करियर को बीच में छोड़ दिया। बॉलीवुड (Bollywood) का इतिहास गवाह है कि कई अभिनेत्रियों को शादी के बाद अपना करियर त्यागना पड़ा। कपूर (Kapoor) खानदान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। परिवार की परंपरा के अनुसार, बहुएँ और बेटियाँ शादी के बाद फिल्मों में काम नहीं कर सकती थीं। बबीता (Babita), जो उस समय की ग्लैमरस (Glamorous) और सफल अभिनेत्री थीं, ने अपने करियर को अलविदा कह दिया। इसी तरह नीतू कपूर (Nitu Kapoor) ने भी शादी के बाद फिल्मों से दूरी बना ली।

उस दौर में यह आम सोच थी कि शादीशुदा महिला पर्दे पर नायक के साथ रोमांस नहीं कर सकती। यह सोच न सिर्फ एक अभिनेत्री के करियर को रोकती थी, बल्कि औरतों की पहचान को सिर्फ “पत्नी और माँ” तक सीमित कर देती थी।

आज का बॉलीवुड (Bollywood) पहले जैसा नहीं है। अब समाज धीरे-धीरे बदल रहा है और फिल्मों में भी इसका असर दिखाई दे रहा है। अब कई अभिनेत्रियाँ शादी के बाद भी सफल करियर बना रही हैं। करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) ने शादी और माँ बनने के बाद भी फिल्मों में अपनी मज़बूत मौजूदगी कायम रखी। दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) शादी के बाद भी बड़े प्रोजेक्ट्स (Podcast) का हिस्सा हैं।

यह बदलाव दर्शाता है कि समय के साथ इंडस्ट्री (Industry) की सोच भी बदली है। लेकिन दिव्या (Divya) की कहानी हमें उस दौर की झलक देती है, जब समाज और परिवार का दबाव इतना गहरा था कि अभिनेत्रियों को अपने सपनों से समझौता करना ही पड़ता था।

कई सालों तक कैमरे के पीछे काम करने के बाद दिव्या ने एक बार फिर स्क्रीन पर कदम रखा।
कई सालों तक कैमरे के पीछे काम करने के बाद दिव्या ने एक बार फिर स्क्रीन पर कदम रखा। Wikimedia Commons

दिव्या ने भले ही एक्टिंग को छोड़ा, लेकिन उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से रिश्ता नहीं तोड़ा। उन्होंने कैमरे के पीछे की बारीकियों को समझना शुरू किया। उन्होंने सिनेमैटोग्राफी (Cinematography), एडिटिंग (Acting) और निर्देशन (Direction) की पढ़ाई की। यह आसान नहीं था, क्योंकि एक अभिनेत्री के तौर पर उन्हें सिर्फ स्क्रीन पर काम करने की आदत थी। लेकिन दिव्या ने खुद को नए सिरे से तैयार किया।

उन्होंने यारियां (Yaariyan) और सनम रे (Sanam Re) जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। इन फिल्मों के ज़रिए उन्होंने दिखाया कि औरत सिर्फ पर्दे पर चेहरा नहीं होती, बल्कि कहानी गढ़ने वाली निर्देशक भी हो सकती है। यह कदम उनकी मेहनत और आत्मविश्वास का प्रतीक था।

ग्लैमर की दुनिया चमकदार दिखाई देती है, लेकिन इसके पीछे कई कहानियाँ छिपी होती हैं। दिव्या की कहानी उसी सच्चाई को सामने लाती है। सवाल यह उठता है कि क्यों हमेशा औरतों से ही करियर और सपनों की कुर्बानी की उम्मीद की जाती है?

पुरुष कलाकार शादी के बाद भी फिल्में करते हैं। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान या अजय देवगन जैसे बड़े सितारों ने शादी के बाद भी काम किया। उनके करियर में किसी ने दखल नहीं दिया। लेकिन औरतों के मामले में परिवार और समाज अब भी यही चाहता है कि वे घर को प्राथमिकता दें।

दिव्या का अनुभव इस असमानता की ओर इशारा करता है। यह सिर्फ बॉलीवुड की बात नहीं, बल्कि पूरे भारतीय समाज की सच्चाई है, जहां लाखों महिलाएँ अपनी इच्छाओं, सपनों और करियर को पीछे छोड़ देती हैं।

कई सालों तक कैमरे के पीछे काम करने के बाद दिव्या ने एक बार फिर स्क्रीन पर कदम रखा। उन्होंने सत्यमेव जयते 2 (Satyamev Jayate 2), यारियां 2 (Yaariyan 2) और कई म्यूज़िक वीडियोज़ (Music Videos) जैसे याद पिया की आने लगी में काम किया।

दिव्या खोसला कुमार की कहानी सिर्फ एक अभिनेत्री के करियर की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों औरतों की आवाज़ है
दिव्या खोसला कुमार की कहानी सिर्फ एक अभिनेत्री के करियर की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों औरतों की आवाज़ हैWikimedia Commons

निष्कर्ष

दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) की कहानी सिर्फ एक अभिनेत्री के करियर की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों औरतों की आवाज़ है, जिन्हें अपने सपनों और परिवार की उम्मीदों के बीच किसी एक को चुनना पढता है। दिव्या ने यह दिखाया है कि भले ही परिवार और समाज का दबाव कितना भी क्यों न हो, अगर आपके अंदर जुनून है तो आप अपने रास्ते पर दोबारा लौट सकते हैं।

(Rh/BA)

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