जमीन पर बैठकर खाना खाने के लिए मजबूर हुई थीं शबाना आज़मी !

शबाना आज़मी हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उन्होंने अब तक लगभग 160 से अधिक फिल्मों में काम किया है। 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली शबाना आज़मी आज भी सक्रिय हैं।
शबाना आज़मी
शबाना आज़मी हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उन्होंने अब तक लगभग 160 से अधिक फिल्मों में काम किया है।Instagram
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शबाना आज़मी कौन हैं ?

शबाना आज़मी (Shabana Azmi) हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उन्होंने अब तक लगभग 160 से अधिक फिल्मों में काम किया है। 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली शबाना आज़मी आज भी सक्रिय हैं। हाल ही में वह "डब्बा कार्टेल" सीरीज़ में नज़र आई थीं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए पाँच बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी मिल चुका है। अपने बेहतरीन अभिनय से उन्होंने दर्शकों का दिल जीता है। उनकी कई हिट फिल्मों में अंकुर (1974), निशांत (1975), अर्थ (1982), मंडी (1983) और गॉडमदर (1999) शामिल हैं।

शबाना आज़मी जमीन पर बैठकर खाना क्यों खाती थीं ?

फ़िल्म बनते समय कलाकारों को अपने किरदार के अनुसार मानसिक और शारीरिक रूप से बदलाव करने पड़ते हैं। कुछ ऐसा ही शबाना आज़मी के साथ एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान हुआ। किरदार में ढलने के लिए उन्होंने जमीन पर बैठकर खाना शुरू कर दिया और बिल्कुल एक नौकरानी की तरह जीवन बिताया।

शबाना आज़मी
फ़िल्म बनते समय कलाकारों को अपने किरदार के अनुसार मानसिक और शारीरिक रूप से बदलाव करने पड़ते हैं। Wikimedia Commons

शबाना आज़मी (Shabana Azmi) ने क्या कहा था ?

शबाना अपनी पहली फ़िल्म अंकुर (1974) की शूटिंग कर रही थीं, जिससे उन्होंने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया था। फ़िल्म के निर्देशक श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) थे। शूटिंग के दौरान की एक घटना को याद करते हुए शबाना बताती हैं कि श्याम बेनेगल बहुत अच्छे इंसान थे।

वह कहती हैं, "मैं हैदराबाद से लगभग 30 किलोमीटर दूर येल्ला रेड्डी गुडा गाँव गई थी। जब मैं वहाँ पहुँची तो श्याम बेनेगल ने मुझसे कहा कि आप इस गाँव की महिलाओं के साथ रहिए और यहाँ के माहौल को समझिए। इससे आप अपने किरदार में सहज हो जाएँगी।"

शबाना बताती हैं, "फ़िल्म में मेरे किरदार को लगभग 60% सीन में पैरों को मोड़कर ज़मीन पर बैठना था। लेकिन मैं इस तरह बैठ नहीं पाती थी। इसलिए श्याम बेनेगल ने मुझसे कहा कि हम सभी टेबल पर बैठकर खाना खाएँगे और आप नीचे ज़मीन पर बैठकर खाना खाएँगी, ताकि आप इस तरह बैठने की आदत डाल सकें।"

शबाना आज़मी
शबाना अपनी पहली फ़िल्म अंकुर (1974) की शूटिंग कर रही थीं, जिससे उन्होंने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया था।Wikimedia Commons

शबाना कैसे बनी नौकरानी ?

शबाना (Shabana) ने आगे बताया कि जब फिल्म की शूटिंग के कुछ दिन बीत गए तब कॉलेज के कुछ लड़के हमारे सेट पर आए थे। और आते ही उन्होंने मुझसे पूछा कि फिल्म की हेरोइन कहा है ? मैंने कहा कि वो अभी यहाँ नहीं है, आज उसकी छुट्टी है। तब उन लड़को ने पूछा कि आप कौन है ? मैंने कहा कि यहाँ की नौकरानी हूँ। ये सब कुछ श्याम साइड से देख रहे थे। फिर वो मेरे पास आकर बोले कि तुमने उन लड़को को विश्वास दिला दिया की तुम नौकरानी हो। अब चलो ऊपर टेबल पर हमारे साथ आप खाना खा सकती है।

तो ऐसी ही कुछ दिलचस्प कहानियां बनती है फ़िल्मी जगत के सितारों की भी। फिर बाद में वो इसकी याद में लोगों को बताते है। क्योकि बेशक दिन तो गुज़र जाते है मगर यादें साथ रह जाती है।

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