कामिनी कौशल का निधन: 98 की उम्र में बुझा बॉलीवुड का सबसे पुराना चमकता सितारा !

कामिनी कौशल (Kamini Kaushal), हिंदी सिनेमा (Bollywood) की 98 वर्षीय दिग्गज अभिनेत्री (Actress), का निधन (Death) हो गया। उन्होंने 1946 से लेकर नई पीढ़ी की फिल्मों तक काम किया और दिलीप कुमार, राज कपूर जैसे सितारों के साथ कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं। उनके जाने से फिल्म जगत ने एक स्वर्णिम युग खो दिया।
इस तस्वीर में कामिनी कौशल नीले रंग के कपड़े पहने हुई हैं, उनके बाल सफ़ेद हैं और वे तस्वीर में मुस्कुराती हुई नज़र आ रही हैं।
कामिनी कौशल ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत साल 1946 की क्लासिक फिल्म ‘नीचा नगर’ से की थी, जो कान फिल्म फेस्टिवल में सर्वोच्च सम्मान से नवाजी गई थी। (Wikimedia Commons)
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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे वरिष्ठ और सम्मानित अभिनेत्रि (Actress) कामिनी कौशल अब इस दुनिया में नहीं रहीं। 98 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के अपने घर पर अंतिम सांस ली। उनके निधन (Death) से बॉलीवुड (Bollywood) में शोक की लहर फैल गई है। उन्होंने अपने करियर में सात दशकों से भी अधिक समय तक हिंदी सिनेमा को वह पहचान दी, जिसकी गूंज आज भी महसूस की जाती है।

कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत साल 1946 की क्लासिक फिल्म ‘नीचा नगर’ से की थी, जो कान फिल्म फेस्टिवल में सर्वोच्च सम्मान से नवाजी गई थी। आपको बता दें उनकी पहली ही फिल्म ने उन्हें बड़े सितारों की श्रेणी में खड़ा कर दिया और उसके बाद वो धीरे-धीरे हिंदी सिनेमा की पहली बड़ी नायिकाओं में शामिल हो गईं।

उन्होंने लगातार कई यादगार फिल्मों में काम किया है जैसे दो भाई (1947), शहीद (1948), नदिया के पार (1948), ज़िद्दी (1948) और शबनम (1949) ने उन्हें उस दौर की सबसे चमकदार अभिनेत्री बना दिया। 40 के दशक में वो अपनी कमाई, लोकप्रियता और अभिनय की मांग के कारण हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस बन गईं।

कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) ने उस दौर के तीन बड़े सुपरस्टार के साथ काम किया जीने में दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद थे। आपको बता दें दर्शकों ने उनकी केमिस्ट्री को बेहद पसंद किया और उन्हें उस समय की सबसे सफल अभिनेत्रियों में गिना जाने लगा। उसके बाद साल 1960 के बाद उन्होंने मुख्य नायिका से चरित्र भूमिकाओं की ओर रुख किया और इस क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ दिया।

आपको बता दें शहीद (1965), दो रास्ते (1969), अनहोनी (1973) और प्रेम नगर (1974) में उनके अभिनय को खूब सराहा गया। कई दशक बाद तक भी उनकी चमक फीकी नहीं पड़ी, उन्होंने आधुनिक समय की फिल्मों में भी अहम भूमिकाएँ निभाईं जैसे की कबीर सिंह (2019) में दादी का किरदार और उन्होंने लाल सिंह चड्ढा (2022) में कैमियो का किरदार निभाई। 95 वर्ष की उम्र में कैमरे के सामने काम करना उनकी अभिनय निष्ठा का प्रमाण था।

इस तस्वीर में कामिनी कौशल काले रंग के कपड़े पहने हुई हैं, उनके बाल सफ़ेद हैं और वे तस्वीर में मुस्कुराती हुई नज़र आ रही हैं।
कामिनी कौशल ने उस दौर के तीन बड़े सुपरस्टार के साथ काम किया जीने में दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद थे। (Wikimedia Commons)

कामिनी कौशल का निजी जीवन की बात करें तो उनका निजी जीवन भी उतना ही दिलचस्प और भावनाओं से भरा था। साल 1927 में लाहौर में उनका जन्म हुआ, और वो अपने परिवार में सबसे छोटी थीं। उनके पिता का नाम प्रो. शिव राम कश्यप था, जिन्हें भारत में ब्रायोलॉजी (काई विज्ञान) का जनक कहा जाता है, कामिनी कौशल के पिता के निधन के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। उस समय कामिनी का उम्र कम था इसके बावजूद भी उन्होंने आकाशवाणी पर कार्यक्रम करना शुरू कर दिया, जहाँ से उन्हें हर महीने 10 रुपये मिलते थे।

उनके जीवन एक त्याग यह भी है, जब उनकी बड़ी बहन का निधन (Death) हो गया उसके बाद, 1948 में कामिनी की शादी अपनी बहन के पति बी.एस. सूद से कर दी गई, ताकि उनके बच्चों की परवरिश हो सके। आपको बता दें उनका यह फैसला उनकी मजबूरी और जिम्मेदारी का प्रतीक था।

उसके बाद फिल्म ‘शहीद’ की शूटिंग ने एक खास रिश्ता को जन्म दिया। आपको बता दें जब फिल्म ‘शहीद’ की शूटिंग चल रही थी उसी बिच दिलीप कुमार और कामिनी कौशल एक-दूसरे को पसंद करने लगे। दिलीप साहब ने तो अपनी बायोग्राफी में यह भी लिखा था कि कामिनी से दूर होना उनके जीवन की सबसे बड़ी टीस थी। लेकिन शादीशुदा होने के कारण कामिनी ने इस रिश्ते को आगे बढ़ाना उचित नहीं समझा।

उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था की "हम दोनों ही बिखर गए थे, लेकिन मैं अपने पति और बहन की याद से धोखा नहीं कर सकती थी।" सालों बाद, 2013 में एक कार्यक्रम में दोनों मिले, लेकिन उम्र और बीमारी के कारण दिलीप साहब उन्हें पहचान नहीं पाए। यह क्षण कामिनी के लिए बेहद भावुक कर देने वाला था।

कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) का अंतिम संस्कार वर्ली श्मशान भूमि में किया गया। उस समय उनके बेटे लंदन में थे, इसलिए परिवार ने अंतिम संस्कार एक दिन बाद किया ताकि परिवार के सभी सदस्य मौजूद रह सकें। सबसे भावुक दृश्य तब का था जब उनके तीन पालतू कुत्ते उनके अंतिम यात्रा में शामिल हुए। उन कुत्तों को कामिनी कौशल अपने परिवार का हिस्सा मानती थीं, इसलिए परिवार ने उन्हें भी अंतिम विदाई में साथ ही रखा। कामिनी कौशल का मुखाग्नि उनके बड़े बेटे विदुर ने दी थी।

कामिनी कौशल सिर्फ एक अभिनेत्री (Actress) नहीं थीं, बल्कि वो एक संवेदनशील कलाकार, अनुशासन और सादगी की मिसाल, और वो कला के प्रति निष्ठा का प्रतीक भी थीं। आपको बता दें करीब सात दशक तक लगातार काम करने वाली इतनी लंबी उम्र की इतनी सक्रिय अभिनेत्री हिंदी सिनेमा में शायद ही कोई हो। उनका इस दुनियां से जाना एक युग का समाप्त होने जैसा है।

इस तस्वीर में कामिनी कौशल नीले रंग के कपड़े पहने हुई हैं, उनके बाल सफ़ेद हैं और वे तस्वीर में मुस्कुराती हुई नज़र आ रही हैं।
कामिनी कौशल का अंतिम संस्कार वर्ली श्मशान भूमि में किया गया।(Wikimedia Commons)

निष्कर्ष

कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) भले ही इस दुनिया से विदा हो गई हों, लेकिन उनकी मुस्कान, उनकी आवाज़, उनकी अदाकारी और उनका साहस हिंदी सिनेमा (Bollywood) में हमेशा अमर रहेगा। उनका जीवन हमें सिखाता है कि "सादगी भी सितारा बन सकती है।" हिंदी सिनेमा की इस महान अभिनेत्रि, कामिनी कौशल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। [Rh/PS]

इस तस्वीर में कामिनी कौशल नीले रंग के कपड़े पहने हुई हैं, उनके बाल सफ़ेद हैं और वे तस्वीर में मुस्कुराती हुई नज़र आ रही हैं।
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