

अधिकारियों के अनुसार, यह समन जांच की प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें ओरी से उन दावों और जानकारी को लेकर पूछताछ की जाएगी, जो मुख्य आरोपी सोहेल उर्फ लविश शेख (Lavish Shaikh) ने अपनी पूछताछ में किए थे।
पुलिस का कहना है कि अभी तक किसी भी हाई-प्रोफाइल व्यक्ति के खिलाफ कोई आरोप तय नहीं हुए हैं और यह कदम केवल तथ्यों की पुष्टि करने के लिए उठाया गया है।
जांच टीम यह समझना चाहती है कि आरोपी द्वारा बताए गए समय और स्थानों पर ओरी की मौजूदगी का कोई तथ्यात्मक आधार है या नहीं। इसके अलावा, शेख के दावों में जिन रेव पार्टियों का उल्लेख था, उनमें ओरी की कथित मौजूदगी का कौन-सा पक्ष सही है और कौन-सा नहीं, इसी की पुष्टि करना इस पूछताछ का मकसद होगा।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि हाई-प्रोफाइल जांचों में किसी भी बयान को तभी माना जाता है जब उसके पीछे ठोस इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) या दस्तावेजी सबूत हों, इसलिए ओरी को समन भेजना सामान्य जांच प्रक्रिया का हिस्सा है।
यह पूरा मामला फरवरी 2024 में तब शुरू हुआ था जब मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक महिला को 741 ग्राम मेफेड्रोन (एमडी) (MD) के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में महिला ने सांगली स्थित एक केमिकल फैक्ट्री का नाम बताया। जब पुलिस वहां पहुंची तो उन्हें 122.5 किलो एमडी और ड्रग्स (Drugs) बनाने में इस्तेमाल होने वाला केमिकल मिला, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपयों में आंकी गई। इस बरामदगी के बाद पुलिस को पता चला कि यह ड्रग्स नेटवर्क केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है, बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना तक फैला हुआ है।
जांच में यह भी सामने आया कि यह नेटवर्क फरार ड्रग माफिया सलीम डोला के इशारों पर चलता था, जो कथित रूप से दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) सिंडिकेट से जुड़ा बताया जाता है।
इस केस में गिरफ्तार प्रमुख आरोपी सोहेल शेख (Sohail Shaikh) को पुलिस इस पूरे रैकेट का कोऑर्डिनेटर मानती है। उस पर आरोप है कि वह फैक्ट्रियों (Factories), पेडलर्स (Peddlers) और सप्लाई चेन को जोड़ने का काम करता था।
शेख ने पूछताछ में दावा किया कि वह भारत और विदेश में रेव पार्टियों का आयोजन करता था और इन्हीं में ड्रग्स (Drugs) की सप्लाई होती थी। उसने कुछ हाई-प्रोफाइल (High-Profile) नाम भी लिए, जिनकी जांच अब पुलिस कर रही है।
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