64 सूटकेस और एक तन्हा सुपरस्टार : राजेश खन्ना की जिंदगी का अनकहा सच

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की मौत के बाद उनके बंगले से 64 बंद सूटकेस (64 Suitcases) मिले, जिनमें कई तोहफे थे जो कभी किसी को दिए नहीं गए। लेखक गौतम चिंतामणि (Gautam Chintamani) की किताब में उनके अकेलेपन, खोए हुए रिश्तों और एक चमकदार लेकिन तन्हा जीवन की प्रभावशाली झलक मिलती है।
राजेश खन्ना के निधन के बाद उनके बंगले से 64 बंद सूटकेस मिले, जिनमें अनछुए तोहफे थे।  (Sora AI)
राजेश खन्ना के निधन के बाद उनके बंगले से 64 बंद सूटकेस मिले, जिनमें अनछुए तोहफे थे। (Sora AI)
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एक सुपरस्टार की चमक और तन्हाई की कहानी

हिंदी सिनेमा में जब भी सुपरस्टार शब्द की बात होती है, तो सबसे पहले ज़िक्र आता है राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का। वो न सिर्फ़ परदे पर बल्कि दर्शकों के दिलों पर भी राज करते थे। 60 और 70 के दशक में उनका करिश्मा इतना जबरदस्त था कि थियेटर के बाहर लड़कियां उनका नाम खून से चिट्ठियों में लिखा करती थीं। उनकी गाड़ियों पर लिपस्टिक से प्रेम-पत्र लिखे जाते थे। उनकी फिल्में जैसे 'अराधना', 'आनंद', 'अमर प्रेम' और 'हाथी मेरा साथी' आज भी सदाबहार मानी जाती हैं।

लेकिन उस सितारे की ज़िंदगी, जो करोड़ों दिलों की धड़कन थी, अपने अंतिम दिनों में बेहद अकेली और उदास हो चुकी थी। यही बात लेखक गौतम चिंतामणि (Gautam Chintamani) ने अपनी चर्चित किताब 'डार्क स्टार: द लोनलीनेस ऑफ बीइंग राजेश खन्ना' में बेहद भावुक तरीके से सामने रखी है।

राजेश खन्ना चले गए, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी गूंजती है, "बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए… लंबी नहीं।"
(Sora AI)
राजेश खन्ना चले गए, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी गूंजती है, "बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए… लंबी नहीं।" (Sora AI)

64 सूटकेस की रहस्यमयी कहानी

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का बंगला 'आशीर्वाद', जो कभी फैंस के लिए मक्का जैसा था, उनकी मौत के बाद एक चौंकाने वाला रहस्य सामने लेकर आया। लेखक चिंतामणि के अनुसार, जब 2012 में राजेश खन्ना का निधन हुआ, तब उनके बंगले से 64 सूटकेस (64 Suitcases) बरामद हुए, जो कभी खोले नहीं गए थे। इन सूटकेसों में वे तमाम तोहफ़े थे जो खन्ना साहब विदेश यात्राओं से लाते थे, अपने दोस्तों, परिवार और करीबी लोगों के लिए। लेकिन वो उन्हें कभी दे ही नहीं पाए। शायद इसलिए कि उनके जीवन में वो रिश्ता, वो समय, या वो अपनापन कहीं खो गया था। यह महज़ सूटकेस नहीं, बल्कि उनके टूटते संबंधों और गहरे अकेलेपन की गवाही थे।

गौतम चिंतामणि (Gautam Chintamani) की किताब यह दर्शाती है कि राजेश खन्ना स्टारडम के शिखर पर पहुंचने के बाद भी अंदर से कितने अकेले होते जा रहे थे। करियर ढलान पर आया, मगर उन्होंने शाही जीवनशैली छोड़ना मंज़ूर नहीं किया। महंगे कपड़े, शानदार कारें, और परियों जैसी पार्टियाँ, सब चलता रहा, लेकिन दिल के किसी कोने में एक खालीपन पनपता रहा। यह विडंबना ही है कि जिस अभिनेता ने करोड़ों दर्शकों को ‘आनंद’ दिया, उसी को अंतिम समय में एक बुनियादी साथ तक प्राप्त नहीं था।

इन सूटकेसों ने उनके अकेलेपन और खोए हुए रिश्तों की कहानी बयां की।
(Sora AI)
इन सूटकेसों ने उनके अकेलेपन और खोए हुए रिश्तों की कहानी बयां की। (Sora AI)

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का निधन 18 जुलाई 2012 को हुआ। कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद, उन्होंने अस्पताल में नहीं, बल्कि अपने प्रिय बंगले 'आशीर्वाद' में अंतिम सांस लेने की इच्छा जताई। जब उन्होंने आंखें मूंदी, तो उनके परिवार और करीबी लोग उनके आसपास थे।

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उनके आखिरी शब्द एक फिल्मी अभिनेता की तरह ही थे,"टाइम अप हो गया... पैकअप" यह एक अभिनेता के जीवन का पर्दा गिरना था, बेहद भावुक, बेहद सजीव और बिल्कुल उसी अंदाज़ में जैसे वह अपनी फिल्मों में करते थे।

उनकी मौत की खबर सुनते ही मुंबई की सड़कों पर हजारों लोग उमड़ पड़े। तेज बारिश भी उनके चाहने वालों को नहीं रोक सकी। लोगों की आंखों में आंसू थे, हाथों में फूल थे और दिल में एक अधूरी सी याद थी। नौ साल के उनके नाती आरव ने उन्हें मुखाग्नि दी। यह दृश्य उस अभिनेता के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि थी, जिसने कभी सिनेमा को अपनी जान से बढ़कर चाहा था।

भारी बारिश के बावजूद हज़ारों लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए।   (Sora AI)
भारी बारिश के बावजूद हज़ारों लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए। (Sora AI)

'डार्क स्टार' में छिपे दर्द के पन्ने

गौतम चिंतामणि (Gautam Chintamani) की किताब 'डार्क स्टार' कोई आम जीवनी नहीं, बल्कि एक ऐसी दास्तां है जो बताती है कि शोहरत की ऊँचाई कितनी अकेली हो सकती है। यह किताब सिर्फ राजेश खन्ना के जीवन की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम सितारों की भी कहानी है जो रोशनी में चमकते हैं मगर अंधेरे में घुटते हैं। "राजेश खन्ना को स्टारडम तो मिला, लेकिन दोस्ती नहीं। उन्हें चाहने वाले लाखों थे, पर समझने वाला कोई नहीं।"

64 सूटकेस, बंद दराजें, अधूरी चिट्ठियाँ और न दिए गए तोहफे – यह सब उस चकाचौंध के पीछे छिपे अकेले इंसान की निशानियाँ थीं। राजेश खन्ना का जीवन एक ऐसा चमकता हुआ तारा था, जो धूप की तरह उगता है और शाम के सन्नाटे में गुम हो जाता है।

राजेश खन्ना की जिंदगी हमें यह सीख देती है कि सफलता, शोहरत और पैसा सब कुछ नहीं होता। इंसान को ज़रूरत होती है प्यार, अपनापन और साथ की।   (Sora AI)
राजेश खन्ना की जिंदगी हमें यह सीख देती है कि सफलता, शोहरत और पैसा सब कुछ नहीं होता। इंसान को ज़रूरत होती है प्यार, अपनापन और साथ की। (Sora AI)

निष्कर्ष

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की जिंदगी हमें यह सीख देती है कि सफलता, शोहरत और पैसा सब कुछ नहीं होता। इंसान को ज़रूरत होती है प्यार, अपनापन और साथ की। एक वक्त था जब उनकी एक झलक पाने को लोग दीवाने हो जाते थे और एक वक्त आया जब उनके घर में 64 बंद सूटकेस (64 Suitcases) थे, जिन्हें खोलने वाला कोई नहीं था। राजेश खन्ना चले गए, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी गूंजती है, "बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए… लंबी नहीं।" [Rh/PS]

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