
भारत में जब #MeToo आंदोलन (#MeToo Movement) की गूंज सुनाई दी, तो इसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया। शुरुआत में लोगों को लगा कि यह केवल हॉलीवुड तक सीमित रहेगा, लेकिन जैसे-जैसे भारतीय महिलाओं ने अपनी चुप्पी तोड़ी, वैसे-वैसे यहाँ भी बड़े-बड़े नाम सामने आने लगे। हैरानी की बात यह रही कि जिन सितारों को लोग पर्दे पर हीरो मानते थे, वही असल ज़िंदगी में आरोपों के घेरे में आ गए। इस आंदोलन के दौरान बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार, टीवी इंडस्ट्री के जाने-माने चेहरे, और यहाँ तक कि राजनीति की दुनिया के ताक़तवर नेता भी आरोपों से बच नहीं सके। तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर का मामला इसकी सबसे बड़ी शुरुआत माना गया, जिसके बाद एक के बाद एक खुलासे होते चले गए। कई महिलाओं ने हिम्मत जुटाकर सामने आकर अपनी आपबीती बताई और उन लोगों के नाम उजागर किए जिन पर पहले सवाल उठाने की कोई हिम्मत नहीं करता था। #MeToo ने यह साबित कर दिया कि चाहे शोषण करने वाला कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, सच सामने आ ही जाता है। इस अभियान ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि ग्लैमर और सत्ता की चमक के पीछे कितना अंधेरा छिपा है।
#MeToo आंदोलन की शुरुआत 2006 में अमेरिकी एक्टिविस्ट तराना बर्क (Tarana Burke) ने यौन शोषण के खिलाफ की थी। 2017 में हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे वाइंस्टीन (Hollywood producer Harvey Weinstein) पर लगे आरोपों के बाद यह शब्द दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ। भारत में इसकी गूंज 2018 में सुनाई दी, जब अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगाया। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। देखते ही देखते यह लहर पूरे देश में फैल गई और बड़े-बड़े नाम बेनकाब हुए। इस लिस्ट में कई राजनेता, फिल्मी सितारे और टीवी कलाकार भी शामिल हैं, जो खुद को प्रभावशाली समझते थे लेकिन #MeToo के तूफ़ान से नहीं बच पाए।
अभिनेत्री तनुश्री दत्ता (Tanushree Dutta) ने 2018 में आरोप लगाया कि वर्ष 2008 में फिल्म Horn Ok Pleassss की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर (Nana Patekar) ने गाने की शूटिंग के सेट पर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। इस मामले में उन्होंने नाना के अलावा कोरियोग्राफर गणेश आचारा, निर्देशक राकेश सारंग और प्रोड्यूसर सामी सिद्दिक़ी का नाम लिया। पुलिस ने जांच की लेकिन सबूतों के अभाव और गवाहों की अनुपस्थिति के कारण मामला बंद कर दिया।
निर्देशक विकास बहल (Vikas Bahal) पर उनकी पूर्व कर्मचारी ने 2018 में आरोप लगाया कि 2015 में गोवा में एक पार्टी में उन्होंने उन पर यौन उत्पीड़न किया था। इस आरोप की पुष्टि अभिनेत्री कंगना रनौत और उनसे जुड़े अन्य कलाकारों ने की। Phantom Films, कंपनी जिसमें बहल के भागीदार थे, इस विवाद के बाद घिर गई और बाद में कंपनी को विघटित कर दिया गया। विकास बहल ने आरोपों को “झूठा, प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण” बताया।
लेखिका-निर्देशक विंटा नंदा ने आरोप लगाया कि अभिनेता आलोक नाथ (Alok Nath) ने उन्हें दशक पहले बलात्कार किया कई अन्य कलाकारों ने भी यौन उत्पीड़न के अनुभव साझा किये। आलोक नाथ ने इन आरोपों का खंडन किया और उन्होंने खुद पर लगे आरोपों के ख़िलाफ़ कानूनी कदम उठाए; इंडस्ट्री और CTAA ने नोटिस जारी किया।
दिवंगत पत्रकार-राजनेता एम. जे. अकबर (M.J. Akbar) पर दर्जनों महिला पत्रकारों ने मीडिया हाउस के वर्षों पुराने यौन शोषण के आरोप लगाए (प्रिया रमानी, पल्लवी गोगोई सहित)। परिणामस्वरूप अकबर को मंत्री पद छोड़ना पड़ा; उन्होंने कई आरोपों का इनकार कर दिया और कुछ मामलों में मानहानि मुक़दमों का रुख भी अपनाया।
कॉमेडियन/राइटर उत्सव चक्रवर्ती (Utsav Chakraborty) पर युवतियों ने अनुचित मेसेज और अनचाहे अश्लील फोटो भेजने के आरोप लगाए। उनके खिलाफ सोशल-मीडिया पर किए गए खुलासों के बाद कई कार्यक्रमों/प्रोजेक्ट्स से अलग किया गया और उन्हें सार्वजनिक निंदा झेलनी पड़ी; इसने भारतीय कॉमेडी पर भी असर डाला।
अभिनेता-निर्देशक रजत कपूर (Rajat Kapoor) पर कुछ महिलाओं ने अनुचित व्यवहार और छेड़छाड़ का आरोप लगाया। इन खुलासों के कारण उनके कामों को फ़िल्म-फेस्टिवल से हटाया गया और उन्होंने सार्वजनिक तरीके से माफ़ी/व्याख्याएँ दीं; मामले की औपचारिक कानूनी स्थिति विविध रिपोर्टों में मिली-जुली दिखाई देती है।
फिल्म-निर्देशक साजिद खान (Sajid Khan) पर कई अभिनेत्रियों और कर्मठों ने अनौपचारिक छेड़छाड़ और अनुचित प्रस्तावों के आरोप लगाए (Saloni Chopra, Rachel White आदि)। इंडस्ट्री बाडीज़ ने जांच के बाद उन्हें निलंबित किया; IFTDA ने अस्थायी प्रतिबंध लगाए और साजिद ने सार्वजनिक माफी दी।
म्यूज़िक डायरेक्टर अनु मलिक (Anu Malik) पर नेहा भसीन, श्वेता पंडित और अन्य गायिकाओं ने अनचाही छेड़छाड़ और अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए। इन खुलासों के बाद टीवी शो से उन्हें हटाया गया; अनु मलिक ने बाद में ब्रेक लेकर कुछ समय बाद वापसी भी की, जिससे विवाद बना रहा।
लेखक चेतन भगत (Chetan Bhagat) पर कुछ महिलाओं ने पुराने मैसेजों/स्क्रीनशॉट शेयर कर अनुचित संदेश भेजने के आरोप लगाए; भगत ने कुछ संदेशों की स्वीकारोक्ति और माफ़ी जाहिर की और कहा कि वे भूल से की गई भ्रामक बातचीत थी। मीडिया ने इसे व्यापक रूप से कवर किया।
गायक कैलाश खैर (Kailash Kher) पर सोंहा/सोनमाहापात्रा जैसी गायिकाओं ने अनुचित शारीरिक संपर्क और छेड़छाड़ का आरोप लगाया। खैर ने आरोपों का खंडन किया; मामला सार्वजनिक बहस का विषय बना और संगीत-संसार में आचरण पर सवाल उठे।
कॉमेडी-ग्रुप/परिचित हस्तियाँ जैसे तनमय भाट (Tanmay Bhaatt) और कुछ AIB-संबंधित लोग सोशल मीडिया पर उठे आरोपों के दायरे में आए कुछ मामलों में अनौपचारिक, अनचाहे मैसेजिंग व गैर-उपयुक्त व्यवहार के आरोप। परिणामस्वरूप कई कार्यक्रमों से नाम हटे और सार्वजनिक निंदा हुई।
कास्टिंग-डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा (Mukesh Chhabra) के खिलाफ दो-तीन अभिनेत्रीओं ने कास्टिंग-कुर्सी/यौन प्रस्ताव के आरोप लगाए; कुछ प्रोडक्शन-हाउस ने उन्हें अस्थायी तरीके से हटाया और जांच की बात कही गई। ये आरोप इंडस्ट्री में “कास्टिंग-घोटाले” पर ध्यान लाए।
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#MeToo आंदोलन ने भारतीय समाज और इंडस्ट्री को यह सिखाया कि सत्ता, शोहरत और प्रभाव के पीछे छिपे सच को ज़्यादा दिनों तक दबाया नहीं जा सकता। इस लहर ने न सिर्फ़ पीड़िताओं को आवाज़ दी बल्कि आम जनता को भी सोचने पर मजबूर किया कि स्टारडम के पीछे कितना अंधेरा छिपा है। हालांकि कई मामलों में कानूनी नतीजे नहीं निकल पाए, लेकिन इसने यह ज़रूर दिखा दिया कि चुप्पी तोड़ना बदलाव की पहली सीढ़ी है। [Rh/SP]