जब कैमरे की रोशनी से शब्दों की दुनिया तक पहुंचीं ट्विंकल खन्ना, फिल्मों से किनारे होने का कभी नहीं किया अफसोस

ट्विंकल खन्ना, बॉलीवुड की चमक-दमक से लेखिका बनने तक का सफर, जहाँ उन्होंने सफलता की परिभाषा खुद लिखी।
ट्विंकल खन्ना नजर आ रही हैं।
ट्विंकल खन्ना: बॉलीवुड अभिनेत्री से सफल लेखिका तक का सफर|IANS
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ट्विंकल खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1973 को हुआ। यह संयोगवश रहा कि उनके पिता जतिन, उर्फ ​​सुपरस्टार राजेश खन्ना, भी 1942 में उसी दिन जन्मे थे। ट्विंकल खन्ना का फिल्मों में आना एक विरासत जैसा ही था, क्योंकि उनके पिता राजेश खन्ना और मां डिंपल कपाड़िया अपने समय के जाने-माने कलाकार रहे।

21 साल की उम्र में ट्विंकल खन्ना (Twinkle Khanna) ने फिल्म 'बरसात (1995)' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, जिसमें उनके साथ बॉबी देओल थे। इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर औसत सफलता मिली, लेकिन दोनों कलाकारों ने अपने अभिनय से काफी लोकप्रियता हासिल की। इसी फिल्म में अभिनय के लिए ट्विंकल खन्ना को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू पुरस्कार मिला था।

इसके बाद ट्विंकल खन्ना (Twinkle Khanna) कई फिल्मों में नजर आईं, जिसमें उन्होंने सलमान खान, गोविंदा, शाहरुख खान और आमिर खान समेत कई बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया। हालांकि, अपने पिता की तरह ट्विंकल खन्ना फिल्मों में ज्यादा छाप नहीं छोड़ पाईं। ट्विंकल ने 'जब प्यार किसी से होता है', 'मेला', 'बादशाह' और 'जोरू का गुलाम' जैसी फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन छाप छोड़ने में असफल रहीं।

फिल्मों से अलग होने का फैसला किसी असफलता का परिणाम नहीं था, बल्कि उनके लिए आत्मबोध का नतीजा था। ट्विंकल ने समय के साथ यह समझा कि उन्हें कहानी कहना अच्छा लगता है, बजाय किसी और की लिखी कहानी का हिस्सा बनने के। इसी समझ ने उन्हें कागज और कलम की ओर मोड़ दिया। एक दैनिक अखबार में उनके कॉलम के माध्यम से उनकी लेखन प्रतिभा को पहचान मिली और आखिर में वे लेखिका बन गईं, जिसमें उनकी बचपन से रुचि रही।

जनवरी 2001 में अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar) से शादी के बाद ट्विंकल खन्ना फिल्मों से दूर हो गईं। फिल्मों में सफलता न मिलने पर उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है। आगे उन्होंने अपने लेखन को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया। चाहे उनकी किताबें 'मिसेज फनीबोन्स' और 'द लीजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद' हों, सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणियां हों या फिर उनके लिखे कॉलम, वे लगातार सुर्खियां बंटोरते रहे हैं।

उनके लेखन ने हल्का-फुल्का होने के बावजूद गहरे सवाल उठाए, चाहे वह महिलाओं की भूमिका हो, पारिवारिक रिश्ते हों या समाज की विसंगतियां। इसी अंदाज ने उन्हें 'मिसेज फनीबोन्स' के नाम से लोकप्रिय बना दिया। एक इंटरव्यू में ट्विंकल खन्ना ने बताया था, "मुझे बड़ी उम्र की औरतें बहुत अच्छी लगती हैं। मुझे लगता है कि जैसे-जैसे दुनिया उन्हें गायब करने लगी है, मुझे वे और भी दिलचस्प लगने लगीं। मुझे लगता है कि उनके पास बहुत अनुभव है।"

उनके लिए उनकी पसंद की किताब 'वेलकम टू पैराडाइज' रही। इसके बारे में ट्विंकल खन्ना ने एक इंटरव्यू में कहा, "वेलकम टू पैराडाइज एक ऐसी किताब है जिसके बारे में मुझे संतुष्टि होती है कि मैंने कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया। मैंने इसे वैसे ही लिखा जैसा मैं लिखना चाहती थी। मैंने इसे अपनी जिंदगी के उस मोड़ पर लिखा, जब मुझे लगता है कि मेरे पास इतना अनुभव है कि मैं अकेलेपन, मौत, उम्र और जिंदगी की परतों जैसी चीजों से निपट सकूं।"

हालांकि, अपनी पहली किताब 'मिसेज फनीबोन्स' के दस साल बाद ट्विंकल खन्ना इसका सीक्वल 'मिसेज फनी फनीबोन्स रिटर्न्स' लेकर आईं।

[AK]

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