अटल बिहारी वाजपेयी की वो प्रेम कहानी जिसे कभी नाम नहीं मिला

अटल जी की कविताओं में अक्सर टूटे दिल का मर्म मिल जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अटल जी का दिल भारत देश के अलावा आखिर किसके लिए धड़कता था? चलिए विस्तार से अटल जी की खूबसूरत प्रेम कहानी जिसे कभी कोई नाम नहीं मिल सका उसके बारे में जानते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की तस्वीर
अटल जी (Atal Bihari Vajpayee) की कविताओं में अक्सर टूटे दिल का मर्म मिल जाता है [SORA AI]
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कहते हैं की फिल्में समाज का आईना होती है यानी फिल्मों में वही दर्शाया जाता है जो हमारे समाज में असल में हो रहा होता है। भारत के भूतपूर्व 13 दिनों के प्रधानमंत्री की कहानी भी किसी फिल्म से काम नहीं है। बड़े घर की लड़की को किसी आम लड़के से प्यार हो जाना और परिवार का विरोध, उसे आम से लड़के का एक दिन प्रधानमंत्री (Prime Minister) के पद को संभाल लेना यह सभी किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है लेकिन आपको बता दें कि यह कोई कहानी नहीं है बल्कि अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) के जीवन की गाथा है। अटल जी की कविताओं में अक्सर टूटे दिल का मर्म मिल जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अटल जी का दिल भारत देश के अलावा आखिर किसके लिए धड़कता था? चलिए विस्तार से अटल जी की खूबसूरत प्रेम कहानी जिसे कभी कोई नाम नहीं मिल सका उसके बारे में जानते हैं।

वाजपेयी जी और 2 लोग एक साथ
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। [Wikimedia Commons]

कॉलेज में जब हुआ अटल जी को प्यार

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने 1940 के दशक के मध्य में विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर जो अब महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से विख्यात है, से बी.ए. और बाद में कानपुर के DAV कॉलेज से एम.ए. और LLB किया। ग्वालियर कॉलेज में उनकी मुलाकात राजकुमारी कौल (Rajkumari Kaul) से हुई। दोनों की रुचियाँ साहित्य, राजनीति और कविताओं में मिलती थीं। किताबों और चर्चाओं के बीच उनका रिश्ता गहराता चला गया। अटल जी ने एक बार एक किताब के पन्नों के बीच राजकुमारी (Rajkumari Kaul) को प्रेम पत्र भी दिया था, लेकिन उस पत्र का जवाब कभी सही ढंग से अटल जी तक नहीं पहुंचा। उस वक्त कॉलेज कैंपस में लड़के-लड़कियों की दोस्ती स्वीकार्य नहीं थी, बावजूद इसके उन्होंने इशारे-इशारे में प्यार का आदान-प्रदान किया।

अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) और राजकुमारी कौल (Rajkumari Kaul) की तस्वीर
किताबों और चर्चाओं के बीच उनका रिश्ता गहराता चला गया। [SORA AI]

अधूरी रह गई प्रेम कहानी

अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) और राजकुमारी कौल (Rajkumari Kaul) एक दूसरे को काफी पसंद करते थे और एक दूसरे को काफी समझते भी थे लेकिन वह कभी एक नहीं हो पाए। राजकुमारी कॉल एक बड़े खानदान से आई थी वही अटल बिहारी वाजपेई एक साधारण से युवक। राजकुमारी कौल (Rajkumari Kaul) पिता का मानना था कि अटल उतना उच्च कुल के नहीं हैं। उस समय की सामाजिक और पारिवारिक सीमाएं बहुत कड़ी थीं। राजकुमारी कौल (Rajkumari Kaul) की शादी एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर ब्रज नारायण कौल से तय हो गई, और उन्होंने पारिवारिक दबाव में आकर विवाह कर लिया। अटल जी ने इस प्रेम को न तो कभी सार्वजनिक किया और न ही शादी की। उन्होंने जीवनभर अविवाहित रहकर राजनीति और देश सेवा को ही अपना धर्म माना। लेकिन प्रेम की इस चुप कहानी को उनके जीवन से अलग नहीं किया जा सकता।

दिल्ली में हुई दुबारा मुलाकात

वर्षों बाद जब अटल जी(Atal Bihari Vajpayee) सांसद बने और दिल्ली में सक्रिय राजनीति में आए, तो ब्रज नारायण कौल दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन चुके थे और उनका परिवार दिल्ली में ही रहता था। इस तरह अटल जी (Atal ji) का उनके परिवार से संपर्क बना रहा। राजकुमारी कौल और उनकी बेटी नमिता कौल भट्टाचार्य अटल जी के बेहद करीब रहीं। यहां तक कि नमिता को उन्होंने अपनी दत्तक पुत्री माना और उनका पूरा जीवन वाजपेयी परिवार का ही हिस्सा रहा।1978 में अटल विदेश मंत्री (Foreign Minister) बने और परिवार’ Delhi में सरकारी आवास में आ गया, जहां राजकुमारी और उनका परिवार भी संभवत: मौजूद रहा । यह संबंध 40 सालों तक बना रहा। दोस्ताना, सामंजस्यपूर्ण और सम्मानजनक, जिसे पत्रकारों और दोस्तों ने 'खूबसूरत रिश्ते' बताया।

अटल जी और मोदी जी एक साथ
अटल जी सांसद बने और दिल्ली में सक्रिय राजनीति में आए [X]

जब 13 दिन की बनी थी अटल जी की सरकार

अटल बिहारी वाजपेय 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री (Prime Minister) बने। अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार सिर्फ 13 दिन की सरकार बनी और फिर अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा। फिर 1998–1999 और 1999–2004 तक दो पूर्ण कार्यकाल किए। बिहारी जी का भारत के पहले गैर-राजनीतिज्ञ पीएम के रूप में उनके कार्यकाल में प्रमुख उपलब्धियाँ थीं। पोकरण परमाणु परीक्षण, भारत-पाकिस्तान शांति पहल, और कारगिल युद्ध का निर्णायक नेतृत्व।

अटल बिहारी वाजपेय किसी सभा को बोधित करते हुए
अटल बिहारी वाजपेय 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने। [Wikimedia Commons]

वे एक कवि, राजनेता, और राजनेता के बीच मधुर संतुलन के प्रतीक थे।राजनीति के बीच भी अटल की कविताएँ और मानवीय दृष्टिकोण चिरकाल याद किए गए। जब वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने राजकुमारी-उनके रिश्ते को ‘खूबसूरत प्रेम कहानी’ कहा, अटल ने कभी इसे महत्वपूर्ण न मानते हुए राजनीति पर विशेष ध्यान दिया। अटल जी ने अपनी कविताओं में कई बार अधूरे रिश्तों, मौन प्रेम और भावनाओं की गहराई को उकेरा है। माना जाता है कि उनमें से कई कविताएं उसी अनकहे प्रेम की अभिव्यक्ति थीं।

93 वर्ष को उम्र में हुआ निधन

अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ, वे 93 वर्ष के थे। जब अटल जी बीमार पड़े, तो उनका पूरा इलाज और देखभाल नमिता और उनके परिवार ने ही किया। 2018 में जब उनका निधन हुआ, तो उनकी चिता को अग्नि देने का कार्य भी नमिता भट्टाचार्य ने किया। यह बताता है कि भले ही वो प्रेम शादी में नहीं बदला, लेकिन स्नेह, विश्वास और साथ का वो रिश्ता जीवन के अंतिम क्षणों तक कायम रहा।

अटल बिहारी वाजपेयी का निधन समय की तस्वीर
अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ, वे 93 वर्ष के थे। [Wikimedia Commons]

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अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल की प्रेम कहानी सामान्य प्रेम कहानियों से अलग है। यह प्रेम न तो सार्वजनिक मंच पर था, न ही इसे कोई सामाजिक मान्यता मिली। फिर भी यह रिश्ता सम्मान, स्नेह और त्याग की मिसाल बनकर रह गया। [Rh/SP]

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