भारतीय मूल के सीईओ (CEO) और उनकी सफलता की कहानी

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों और कॉर्पोरेट्स को आज भारतीय मूल के सीईओ (CEO) चला रहे है
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आज अमेरिका (America) की कई कई बड़ी कंपनियों की कमान भारतीय मूल के CEO संभाल रहे है। गूगल (Google), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) से लेकर आई.बी.एम् (IBM) और पेप्सीको तक (Pepsi Co.), इन लोगो और युवाओ ने अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय टैलेंट किसी से कम नहीं है। हमे उनकी इस सफलता पर गर्व तो महसूस होता है, लेकिन साथ ही यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि इतना टैलेंट भारत (India) से बाहर क्यों जाता है।

सत्य नडेला (Satya Nadella) माइक्रोसॉफ्ट

सत्य नडेला का जन्म हैदराबाद (Hyderabad) में हुआ था। उन्होंने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Manipal University of Technology) से इंजीनियरिंग से अपनी बैचलर्स की। इसके बाद वे अमेरिका (America) चले गए और यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन से मास्टर ऑफ साइंस और शिकागो यूनिवर्सिटी से एमबीए (MBA) किया।

सत्य नडेला ने माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) में 1992 में जॉइन किया और क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing), बिज़नेस सॉल्यूशंस जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट संभाले। 2014 में वे माइक्रोसॉफ्ट के CEO बने। उनके नेतृत्व में कंपनी ने क्लाउड बिज़नेस में बड़ा विस्तार किया और आज यह दुनिया की सबसे प्रॉफिटेबल कंपनियों में से एक है।

सुंदर पिचाई – गूगल और अल्फाबेट

सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) का जन्म चेन्नई (Chennai) में हुआ था। उन्होंने IIT खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। आगे चलकर उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) से मास्टर और वॉर्टन स्कूल से एमबीए (MBA) किया।

2004 में गूगल (Google) जॉइन करने के बाद उन्होंने गूगल क्रोम (Chrome), जीमेल (Gmail) और गूगल ड्राइव (Drive) जैसी सर्विसेज पर काम किया। उनकी क्षमता को देखते हुए 2015 में वे गूगल के सीईओ (CEO) बने और 2019 में अल्फाबेट (Alphabet) के भी CEO बनाए गए। आज उनके नेतृत्व में गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) और क्लाउड टेक्नोलॉजी में लगातार प्रोग्रेस कर रहा है।

अरविंद कृष्णा – IBM

अरविंद कृष्णा (Arvind Krishna) का जन्म आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में हुआ था। उन्होंने IIT कानपुर (Kanpur) से इंजीनियरिंग और फिर यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय से पीएचडी (PHD) की।

उन्होंने IBM में कई रिसर्च और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उनकी गहरी समझ और टेक्नोलॉजी के प्रति जुनून की वजह से 2020 में उन्हें IBM का CEO बनाया गया। वे कंपनी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाइब्रिड क्लाउड (Hybrid Cloud) की दिशा में आगे ले जा रहे हैं।

सत्य नडेला – माइक्रोसॉफ्ट
सत्य नडेला – माइक्रोसॉफ्टWikimedia Commons

लक्ष्मण नरसिम्हन – स्टारबक्स

लक्ष्मण नरसिम्हन (Laxman Narasimhan) का जन्म पुणे (Pune) में हुआ था। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे (University of Pune) से पढ़ाई की और फिर पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से MBA किया।

उन्होंने पहले मैकिन्से और फिर रेकिट बेंकिज़र जैसी कंपनियों में काम किया। 2022 में उन्हें स्टारबक्स (Starbucks) का CEO नियुक्त किया गया। अब वे इस ग्लोबल कॉफी कंपनी (Global Coffee Company) को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

शांतनु नारायण – एडोबी

शांतनु नारायण (Shantanu Narayan) का जन्म हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई की और फिर MBA किया।

उन्होंने एडोबी (Adobe) में 1998 में जॉइन किया और 2007 में CEO बने। उनके नेतृत्व में एडोबी ने फिजिकल सॉफ़्टवेयर से डिजिटल सब्सक्रिप्शन मॉडल (Digital Subscription Model) की ओर कदम बढ़ाया। आज एडोबी क्रिएटिव इंडस्ट्री की सबसे महत्वपूर्ण कंपनियों में है।

ब्रेन ड्रेन की समस्या

इन भारतीय (Indian) मूल के सीईओ (CEOs) की सफलता पर हमें हमे बहुत गर्व महसूस होता है। लेकिन इसके साथ ही यह एक सच्चाई भी सामने लाती है कि इतना टैलेंट भारत छोड़कर बाहर क्यों चला जाता है। जब हमारे लोग बाहर जाकर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियाँ बनाते हैं, तो भारत में वैसा माहौल और अवसर क्यों नहीं है? यह ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) भारत की प्रगति को रोकता है। हमें ऐसा सिस्टम बनाना होगा जहाँ टैलेंट देश में ही रहकर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियाँ बना सके। 

भारत हर साल लाखों इंजीनियर, डॉक्टर और मैनेजमेंट प्रोफेशनल तैयार करता है। IIT, IIM और AIIMS जैसी संस्थाएँ दुनिया-स्तरीय शिक्षा देती हैं। लेकिन अक्सर होता यह है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र विदेश चले जाते हैं। इसका कारण है, वहाँ बेहतर रिसर्च सुविधाएँ, ऊँचे वेतन, पारदर्शी सिस्टम और ऐसा माहौल, जहाँ प्रतिभा को तुरंत पहचान मिलती है। दूसरी तरफ भारत में कई बार टैलेंट को सही अवसर नहीं मिलते

लक्ष्मण नरसिम्हन – स्टारबक्स
लक्ष्मण नरसिम्हन – स्टारबक्सX

निष्कर्ष

भारतीय मूल के सीईओ (CEOs) ने अपनी मेहनत और काबिलियत से दुनिया को जीत लिया है। वे हमें गर्व दिलाते हैं, लेकिन उनकी कहानियाँ हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती हैं कि भारत कब ऐसा माहौल बनाएगा जहाँ अपने ही देश में लोग इतनी बड़ी कंपनियाँ खड़ी कर सकें।

(Rh/BA)

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