भारत के पाठशाला से विदेशों की यूनिवर्सिटीज तक हिंदी की बढ़ रही है लोकप्रियता!

कभी सिर्फ भारत की गलियों और पाठशालाओं में गूंजने वाली हिंदी, आज दुनिया के नामी विश्वविद्यालयों की क्लासरूम तक पहुँच चुकी है। अमेरिका से लेकर जापान, रूस से लेकर फ्रांस तक अब छात्र 'मैं ठीक हूँ, आप कैसे हैं?' जैसे वाक्य सिर्फ अनुवाद के लिए नहीं, बल्कि समझने और महसूस करने के लिए सीख रहे हैं।
भारत के पाठशाला से विदेशों की यूनिवर्सिटीज तक हिंदी की बढ़ रही है लोकप्रियता!
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कभी सिर्फ भारत की गलियों और पाठशालाओं में गूंजने वाली हिंदी, आज दुनिया के नामी विश्वविद्यालयों (From schools in India to universities abroad) की क्लासरूम तक पहुँच चुकी है। अमेरिका से लेकर जापान, रूस से लेकर फ्रांस तक अब छात्र 'मैं ठीक हूँ, आप कैसे हैं?' जैसे वाक्य सिर्फ अनुवाद के लिए नहीं, बल्कि समझने और महसूस करने के लिए सीख रहे हैं। लेकिन क्या सिर्फ किताबों तक सीमित है ये दीवानगी? बिलकुल नहीं! जब हॉलीवुड स्टार टॉम हैंक्स या फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) जैसे नाम हिंदी में "धन्यवाद" कहते हैं, तो सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भावनाएँ बोलती हैं। दुनिया बदल रही है, और इसके साथ बदल रही है हिंदी की पहचान। एक देश की भाषा से, अब यह एक ग्लोबल जुबान बनती जा रही है। आइए, आज हम जानते हैं कि कैसे विदेशों के स्कूलों और यूनिवर्सिटियों में बढ़ रही है हिंदी की पढ़ाई की ललक, और कौन-कौन से इंटरनेशनल चेहरे हैं जो हिंदी को दिल से अपना चुके हैं।


अब हिंदी सिर्फ भारत की नहीं रही अब तो ग्लोबल हो गई है!

क्या आपने कभी सोचा था कि न्यूयॉर्क की सड़कों पर कोई बच्चा 'कहाँ जा रहे हो?' बोलता मिले, या टोक्यो की किसी यूनिवर्सिटी में “पढ़ाई का आनंद” शब्द पर चर्चा हो? जी हाँ, अब हिंदी सिर्फ देसी दिलों की धड़कन नहीं, बल्कि विदेशी ज़ुबानों की मिठास बन चुकी है। दुनिया भर में 50 से ज़्यादा विश्वविद्यालयों और संस्थानों में हिंदी एक फुल-फ्लेज्ड भाषा के तौर पर पढ़ाई जा रही है। हार्वर्ड (Harvard), ऑक्सफोर्ड (Oxford), टोक्यो यूनिवर्सिटी (Tokyo University), और यहां तक कि अफ्रीका के कुछ हिस्सों में भी हिंदी की कक्षाएं चल रही हैं।

क्या आपने कभी सोचा था कि न्यूयॉर्क की सड़कों पर कोई बच्चा 'कहाँ जा रहे हो?' बोलता मिले, या टोक्यो की किसी यूनिवर्सिटी में “पढ़ाई का आनंद” शब्द पर चर्चा हो?  [Sora Ai]
क्या आपने कभी सोचा था कि न्यूयॉर्क की सड़कों पर कोई बच्चा 'कहाँ जा रहे हो?' बोलता मिले, या टोक्यो की किसी यूनिवर्सिटी में “पढ़ाई का आनंद” शब्द पर चर्चा हो? [Sora Ai]

इसके पीछे सिर्फ साहित्य या संस्कृति नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और बॉलीवुड की ग्लोबल पहुंच भी एक बड़ी वजह है। Netflix पर 'RRR' देख कर जब ब्राजील का दर्शक 'दादा जी' शब्द समझने लगता है, तो समझ लीजिए कि भाषा अब सीमाओं की मोहताज नहीं रही। आज हिंदी एक Cultural Bridge बन रही है जो भारत को दुनिया से जोड़ रही है, और दुनिया को भारत से जोड़ रही है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ हिंदी की एक सच्चाई यह भी है कि भारत की धरती से जन्मी हिंदी खुद अपने देश में ही अपनी महत्व को खो रही है।

जब हार्वर्ड में बोला गया 'नमस्ते'!

कभी भारत के गाँवों की बोली मानी जाने वाली हिंदी, आज विदेशी यूनिवर्सिटीज़ की हॉल में गूंज रही है। अमेरिका की हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जैसी टॉप संस्थाओं में अब हिंदी को न केवल भाषा के रूप में पढ़ाया जा रहा है, बल्कि इसे भारतीय समाज, संस्कृति और राजनीति को समझने की कुंजी माना जा रहा है। इतना ही नहीं, जर्मनी (Germany), रूस (Russia), जापान (Japan), फ्रांस (France), और दक्षिण कोरिया जैसी जगहों पर भी स्टूडेंट्स हिंदी सीखने के लिए Enrollment बढ़ा रहे हैं।

"Hindi Language & South Asian Studies"  [Sora Ai]
"Hindi Language & South Asian Studies" [Sora Ai]

कोई बॉलीवुड से प्रभावित है, कोई योग और ध्यान से, तो कोई भारतीय बाज़ार और डिप्लोमैसी में करियर बनाना चाहता है। कुछ यूनिवर्सिटीज़ ने तो बाकायदा "Hindi Language & South Asian Studies" जैसे कोर्स भी लॉन्च किए हैं। वहाँ के प्रोफेसर्स मानते हैं कि हिंदी अब सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि एक Cultural और Economic Power बन चुकी है, जिसे समझना आज की ज़रूरत है। तो अगली बार जब कोई विदेशी छात्र 'आपका नाम क्या है?' पूछे, तो चौंकिए मत शायद वो भी हिंदी में मास्टर्स कर रहा हो!

जब विल स्मिथ ने कहा 'क्या हाल चाल?'

हिंदी अब सिर्फ भारतवासियों की नहीं रही इसकी मिठास ने कई विदेशी हस्तियों को भी अपना दीवाना बना दिया है। बात करें हॉलीवुड के सुपरस्टार विल स्मिथ (Will Smith) की, तो जब वे भारत आए थे, उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में न सिर्फ "नमस्ते इंडिया" कहा बल्कि 'क्या हाल चाल?' और 'सब बढ़िया है' जैसे वाक्य भी चुटकियों में बोले।

Will Smith [Wikimedia Commons]
Will Smith [Wikimedia Commons]

उनका कहना था कि भारतीय संस्कृति और भाषा में जो Warmth है, वो कहीं और नहीं। वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी हिंदी के प्रति अपना लगाव खुलकर ज़ाहिर किया। एक भाषण में उन्होंने 'जय हिंद' कहा, और कई बार "भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती अमिट है" जैसे वाक्य हिंदी में बोले। उन्होंने अपनी किताब "The Audacity of Hope" में लिखा है कि उन्हें भारतीयों की भाषाई विविधता से गहरी प्रेरणा मिलती है।

Jackie Chan [Wikimedia Commons]
Jackie Chan [Wikimedia Commons]


जैकी चैन (Jackie Chan), जो एक्शन और कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने एक बार एक प्रमोशनल टूर के दौरान मंच से 'मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूँ' बोला और वो भी एकदम सही उच्चारण के साथ! उनका मानना है कि हिंदी बोलकर वो अपने भारतीय प्रशंसकों से और गहराई से जुड़ सकते हैं। जूलिया रॉबर्ट्स, ऑस्कर विजेता एक्ट्रेस, जब भारत आई थीं तो उन्होंने न केवल ध्यान और योग सीखा, बल्कि हिंदी के कुछ वाक्य भी सीखे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि “हिंदी में कुछ तो जादू है, जैसे मन को छू लेती है।” क्रिकेट की दुनिया भी पीछे नहीं है।

Brett lee [Wikimedia Commons]
Brett lee [Wikimedia Commons]

ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज खिलाड़ी ब्रेट ली (Brett lee) को कौन भूल सकता है, जिन्होंने हिंदी में गाने गाए और “मुझसे शादी करोगी?” जैसी लाइनें मज़ाक में बोलकर सबका दिल जीत लिया था। उन्होंने बाकायदा हिंदी क्लासेज़ लीं, क्योंकि उन्हें बॉलीवुड में दिलचस्पी थी। वहीं इंग्लैंड के फुटबॉलर डेविड बेकहम, जब इंडिया में UNICEF के ब्रांड एंबेसडर के रूप में आए, तो उन्होंने बच्चों के साथ बातचीत करते हुए 'शुक्रिया' और 'आप कैसे हैं?' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया पर उनके हिंदी बोलने का वीडियो वायरल हो गया था। इन सब किस्सों से साफ है कि अब हिंदी सिर्फ भाषा नहीं रही यह एक emotional connect बन चुकी है, जो भाषाई दीवारों को गिराकर दिलों को जोड़ रही है।

Also Read: हिंदी भाषा क्यों नहीं बन पाई एक संपर्क की भाषा?

हिंदी अब सिर्फ हमारी नहीं, सबकी भाषा है

हिंदी की पहचान अब केवल भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रही। यह भाषा अब विश्व मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। क्लासरूम में, फिल्मों में, खेल के मैदान में और दिलों में भी हिंदी की एक अलग पहचान है। विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है, तो मशहूर नेता, कलाकार और खिलाड़ी इसे बोलने में गर्व महसूस कर रहे हैं। हिंदी अब सिर्फ एक संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि एक संवेदनात्मक सेतु बन चुकी है, जो विविध संस्कृतियों को जोड़ रही है।

हिंदी की पहचान अब केवल भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रही। [Pixabay]
हिंदी की पहचान अब केवल भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रही। [Pixabay]

यह साबित करता है कि भाषा केवल शब्दों का संग्रह नहीं होती, वह एक सोच, एक संस्कृति और एक भाव होती है और हिंदी ने इस भूमिका को बखूबी निभाया है। आज जब कोई विदेशी छात्र 'आपका नाम क्या है?' पूछता है, या कोई सेलिब्रिटी 'धन्यवाद' कहकर मुस्कुराता है, तो वह सिर्फ हिंदी नहीं बोलता वह भारत की आत्मा से जुड़ता है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम उस भाषा के दूत हैं, जो अब वैश्विक संवाद की शक्ति बन चुकी है। आइए, हिंदी के इस विश्वव्यापी सफर को और आगे बढ़ाएं गर्व से, प्रेम से, और पूरे मन से। [Rh/SP]

भारत के पाठशाला से विदेशों की यूनिवर्सिटीज तक हिंदी की बढ़ रही है लोकप्रियता!
क्यों हिंदी अपना महत्व खोती जा रही है?

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