ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) (Human Rights Watch, HRW) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) के कुछ प्रांतों में छात्राओं और शिक्षकों की पोशाक पर नए प्रतिबंध लगाने के कारण कुछ छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान (Taliban) ने बल्ख प्रांत के एक स्कूल को कई दिनों के लिए बंद कर दिया गया क्योंकि कुछ छात्राओं के चेहरे खुले थे।
स्कूल के एक अधिकारी के अनुसार, तालिबान ने एक शिक्षिका को कथित रूप से उसकी 'अशिष्ट' पोशाक के लिए बर्खास्त करने की मांग की। एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य स्कूल में अब एक शिक्षक है जिसे 'बुराई को रोकने और पुण्य को बढ़ावा देने' के लिए नियुक्त किया गया है।
एक शिक्षक ने कहा, "हिजाब पर आवश्यकताएं दिन-ब-दिन कठिन होती जा रही हैं। उनके (तालिबान) के पास रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने के लिए जासूस हैं .. यदि छात्र या शिक्षक अपने सख्त हिजाब नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो बिना किसी चर्चा के वे शिक्षकों को और छात्रों को निष्कासित कर देते हैं।
एचआरडब्ल्यू में सहयोगी महिला अधिकार निदेशक हीथर बर्र ने कहा, "तालिबान छात्रों और शिक्षकों दोनों पर सख्त ड्रेस कोड लागू कर रहा है और छात्रों को निष्कासित करके, शिक्षकों को निकालकर और यहां तक कि पूरे स्कूल को बंद करके इन ड्रेस कोड को लागू कर रहा है।"
"छात्रों ने हमें बताया है कि उन्हें लगता है कि यह तालिबान द्वारा उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मनाने का एक प्रयास है।" इस बीच, अफगानिस्तान में मानवाधिकारों और महिलाओं के लिए अमेरिका की विशेष प्रतिनिधि रीना अमीरी ने अफगानिस्तान में लड़कियों के स्कूलों को बंद करने की आलोचना करते हुए कहा कि यह अफगानिस्तान को 'नकारात्मक दिशा' में ले जा रहा है।
अमीरी ने कहा, "महिलाओं और बच्चों की स्थिति लगातार नकारात्मक दिशा में जा रही है। तालिबान की कड़ी प्रतिक्रिया के बिना यह इस तरह से जारी रहेगा, देश को और अधिक विनाशकारी परिणाम भुगतने होंगे।"
लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि अगर नेतृत्व मान जाए तो वह छठी कक्षा से ऊपर के लड़कियों के स्कूल खोलने के लिए तैयार है। वैश्विक प्रतिक्रियाओं के अलावा, छठी कक्षा से ऊपर लड़कियों की स्कूली शिक्षा पर प्रतिबंध को राजनेताओं, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं और धार्मिक विद्वानों की व्यापक प्रतिक्रिया मिली है।
आईएएनएस (PS)