बड़ा लिंग, पोर्न और पुलिंग आउट – सेक्स की 8 सबसे बड़ी भ्रांतियाँ

ज़्यादातर लोग सेक्स (Sex) के बारे में जानकारी अनौपचारिक स्रोतों (Unofficial sources) से पाते हैं, लेकिन इन मिथकों (Myths) और सही शिक्षा की कमी के कारण कई तरह के जोखिम पैदा हो जाते हैं। जिससे हमारे रिलेशनशिप्स पर असर पड़ते है।
बड़ा लिंग, पोर्न और पुलिंग आउट – सेक्स की 8 सबसे बड़ी भ्रांतियाँ
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अधिकतर लोग सेक्स (Sex) के बारे में सबसे पहले फ़िल्मों, दोस्तों, स्कूल की पढ़ाई या बचपन की साधारण बातचीत से सीखते हैं। समस्या यह है कि सेक्स और सेक्स एजुकेशन (Sex Education) को अक्सर “ग़लत” या शर्म की बात समझकर टाला जाता है। इसी वजह से हमें सही जानकारी नहीं मिल पाती है और जो हम जानते हैं, वह आधा सच और आधा मिथक (Myths) बनकर रह जाता है।

इन मिथकों पर यक़ीन करना ख़तरनाक हो सकता है। इससे अनचाही प्रेग्नेंसी, यौन रोग (STIs), अस्वस्थ रिश्ते या सेक्स को लेकर तनाव और चिंता जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। भरोसेमंद सेक्स एजुकेशन बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह हमें अपने शरीर को समझने, सुरक्षित निर्णय लेने और बेहतर रिश्ते बनाने में मदद करता है।

इसीलिए इस आर्टिकल (Article) में हमने सेक्स से जुड़े कुछ आम मिथकों और ग़लतफ़हमियों को दूर करने की कोशिश की है। सही जानकारी से चीज़ें आसान, सुरक्षित और सुखद हो सकती हैं। ज़ाहिर है, ऐसे और भी कई भ्रम हैं, लेकिन ये मुख्य बातें आपको सच और ग़लत के बीच फर्क समझने में मदद करेंगी।

जितना बड़ा, उतना बेहतर?

कई पुरुष अपने लिंग (Penis) के आकार को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन यह सोच कि “बड़ा मतलब बेहतर” सिर्फ़ एक आम मिथक है। शोध से पता चलता है कि केवल 55% स्ट्रेट पुरुष और 62% गे व बाइसेक्शुअल पुरुष (Bisexual Men) ही अपने आकार को लेकर आत्मविश्वास महसूस करते हैं। अक्सर पुरुष मानते हैं कि बड़ा लिंग सेक्स को ज़्यादा सुखद बनाता है, लेकिन अध्ययनों से साबित हुआ है कि ज़्यादातर महिलाएँ आकार को सबसे महत्वपूर्ण नहीं मानतीं—85% स्ट्रेट महिलाएँ कहती हैं कि वे अपने पार्टनर के आकार से संतुष्ट हैं। असली आनंद ज़्यादा इस बात पर निर्भर करता है कि कपल (Couple) के बीच कनेक्शन, तकनीक और बातचीत कैसी है, न कि सिर्फ़ लंबाई या मोटाई पर।

अगर लिंग का आकार चिंता का कारण बने, तो अपने पार्टनर से खुलकर बात करना मददगार हो सकता है। एक सहायक पार्टनर आपकी भावनाओं को समझेगा और आपको भरोसा दिलाएगा। अंतरंगता (Intimacy) सिर्फ़ पेनिट्रेशन (Penetration) तक सीमित नहीं है—ओरल सेक्स (Oral Sex) या हाथों का इस्तेमाल जैसी चीज़ें भी आनंद और जुड़ाव बढ़ा सकती हैं। असल में, आपका दिमाग़ सबसे शक्तिशाली सेक्स ऑर्गन है, और कल्पना व भावनात्मक निकटता यौन संतुष्टि में बड़ी भूमिका निभाती हैं।

कई महिलाओं के लिए ऑर्गैज़्म (Orgasm) पाना लिंग के आकार से कम और अनुभव की गुणवत्ता से ज़्यादा जुड़ा होता है। छोटे लिंग वाले पुरुष स्वाभाविक रूप से अलग-अलग पोज़िशन ट्राई करते हैं, फोरप्ले पर ध्यान देते हैं और पार्टनर के आनंद पर ज़्यादा फ़ोकस करते हैं। यह अतिरिक्त प्रयास उन्हें बहुत ध्यान देने वाला और कुशल प्रेमी बना सकता है। इसी तरह, छोटी योनि वाली महिलाओं को बड़ा लिंग असहज या दर्दनाक लग सकता है, जबकि छोटा लिंग सेक्स को उनके लिए अधिक आनंददायक और कम डरावना बना देता है।

यह ज़रूरी है कि पुरुषों का मज़ाक उड़ाना या उन्हें उनके आकार को लेकर शर्मिंदा करना बंद किया जाए, क्योंकि इससे आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को नुकसान पहुँचता है। कपल्स को बातचीत पर ध्यान देना चाहिए, अलग-अलग पोज़िशन (Different Position) आज़मानी चाहिए और विभिन्न यौन तकनीकों को एक्सप्लोर करना चाहिए—जैसे कि कामसूत्र से मिलने वाले विचार। सच्चाई यह है कि सेक्सुअल रिलेशनशिप (Sexual Relationship) में आकार की अहमियत बहुत कम है, असली महत्व अंतरंगता, देखभाल और रचनात्मकता का है।

अगर लिंग का आकार चिंता का कारण बने, तो अपने पार्टनर से खुलकर बात करना मददगार हो सकता है
अगर लिंग का आकार चिंता का कारण बने, तो अपने पार्टनर से खुलकर बात करना मददगार हो सकता हैAi

सेक्स टॉयज़ पार्टनर का विकल्प नहीं हैं

सेक्स टॉयज़ (Toys) पार्टनर का विकल्प नहीं होते—ये आनंद बढ़ाने और आपकी अंतरंग ज़िंदगी में नई विविधता लाने के साधन हैं।

कई लोग इस मिथक पर विश्वास करते हैं कि सेक्स टॉयज़ पार्टनर से “बेहतर” होते हैं। इससे असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है, जैसे—“क्या मैं काफ़ी नहीं हूँ?” या “क्या टॉयज़ मुझसे बेहतर हैं?” लेकिन ये सच नहीं है। सेक्स टॉयज़ (Sex Toys) पार्टनर की जगह नहीं लेते—ये सिर्फ़ आनंद बढ़ाने और अंतरंग जीवन को और रोमांचक बनाने के लिए होते हैं। आपका पार्टनर आपको आपकी पहचान के लिए प्यार करता है, और टॉयज़ का इस्तेमाल करने से आप न तो कम ज़रूरी हो जाते हैं और न ही कम संतोषजनक। बल्कि, ये अक्सर इस बात का संकेत होता है कि आपका पार्टनर आपके साथ नए अनुभव तलाशना चाहता है और रिश्ते को और मज़बूत बनाना चाहता है।

सेक्स टॉयज़ को आनंद के साधन के रूप में देखा जाना चाहिए, रिश्ते के लिए ख़तरे के रूप में नहीं। जैसा कि साइकोसेक्सुअल और रिलेशनशिप थेरेपिस्ट केट मॉयल (Relationship Therapist Kate Moyle) ने द गार्जियन से कहा, “ सेक्स टॉयज सिर्फ पार्टनर के साथ होने वाले सेक्स से अलग कुछ देते हैं। दोनों एक-दूसरे के विकल्प नहीं हैं।” टॉयज़ नए एहसास ला सकते हैं, विविधता और खेल का तत्व जोड़ सकते हैं, भावनात्मक जुड़ाव को मज़बूत कर सकते हैं और यहाँ तक कि यौन चुनौतियों को पार करने में भी मदद कर सकते हैं। जब कपल्स इसे भरोसे और खुलेपन के साथ अपनाते हैं, तो अक्सर पाते हैं कि ये उन्हें अलग करने के बजाय और करीब ले आते हैं।

शुरुआत करने वालों के लिए, मॉयल (Moyle) सलाह देती हैं कि आसान चीज़ से शुरू करें: “अगर आप सेक्स टॉयज़ में नए हैं, तो एक सिंपल वाइब्रेटर चुनें और उसे पूरे शरीर पर ट्राय करें—सिर्फ़ यौन अंगों पर ही ध्यान न दें। ये प्रत्याशा, इच्छा और उत्तेजना को बढ़ाने में मदद करता है।” धीरे-धीरे, जिज्ञासा और आराम के साथ एक्सप्लोर करना अनुभव को सुरक्षित, रोमांचक और बेहद आनंददायक बना देता है।

कई लोग इस मिथक पर विश्वास करते हैं कि सेक्स टॉयज़ पार्टनर से “बेहतर” होते हैं
कई लोग इस मिथक पर विश्वास करते हैं कि सेक्स टॉयज़ पार्टनर से “बेहतर” होते हैंAi

एनल सेक्स सिर्फ़ गे पुरुषों के लिए नहीं है

एक आम मिथक यह है कि एनल सेक्स (Anal Sex) सिर्फ़ गे (Gay) पुरुष करते हैं। यह ग़लतफ़हमी ग़लत सेक्स एजुकेशन और मीडिया में गे पुरुषों की यौन छवि के कारण पैदा हुई है। ऐसी मान्यताएँ न सिर्फ़ ग़लत जानकारी फैलाती हैं, बल्कि कलंक और होमोफोबिया को भी बढ़ावा देती हैं।

सच्चाई यह है कि एनल सेक्स किसी भी जेंडर या सेक्सुअलिटी तक सीमित नहीं है—इसे कोई भी एन्जॉय कर सकता है। कई स्ट्रेट पुरुष इसे सुखद मानते हैं, क्योंकि प्रोस्टेट नाम की ग्रंथि, जो लिंग और गुदा के बीच होती है, उत्तेजित होने पर तीव्र सुख देती है। जैसा कि नेव्स बताते हैं, “कई स्ट्रेट पुरुष एनल सेक्स का आनंद लेते हैं। यह प्रोस्टेट को उत्तेजित करता है, जो बहुत सुखद हो सकता है।”

इसके बावजूद, एनल सेक्स को लेकर जिज्ञासा अक्सर शर्म के साथ आती है। कुछ पुरुष इस बारे में बात करने या सही जानकारी लेने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें जज किए जाने का डर होता है। लेकिन अपने शरीर और सुख को लेकर जिज्ञासु होना आपको “कम स्ट्रेट” या “कम मर्दाना” नहीं बनाता। यह बस आपको अपने शरीर को बेहतर समझने में मदद करता है।

विभिन्न प्रकार के सुख की खोज करना आपकी यौन पहचान नहीं बदलता—बल्कि यह आपके अंतरंगता की समझ को और गहरा करता है। सही जानकारी, खुलेपन और सुरक्षा के साथ एनल सेक्स भी आपके पार्टनर के साथ निकटता बढ़ाने का एक और तरीका बन सकता है—बिना शर्म और कलंक के।

विभिन्न प्रकार के सुख की खोज करना आपकी यौन पहचान नहीं बदलता—बल्कि यह आपके अंतरंगता की समझ को और गहरा करता है।
विभिन्न प्रकार के सुख की खोज करना आपकी यौन पहचान नहीं बदलता—बल्कि यह आपके अंतरंगता की समझ को और गहरा करता है।Ai

शरीर हमेशा मन की चाहत का आइना नहीं होता !

सेक्स को लेकर एक आम मिथक यह है कि शरीर एक झूठ पकड़ने वाली मशीन की तरह है, जो तुरंत आकर्षण या उत्तेजना दिखा देता है। कई लोग मानते हैं कि दिखाई देने वाले संकेत—जैसे पुरुषों में इरेक्शन या महिलाओं में नमी—हमेशा इच्छा का सबूत होते हैं। यह सोच ग़लत है। शरीर मशीन नहीं है, और उत्तेजना कई कारणों से प्रभावित हो सकती है—जैसे तनाव, दवाइयाँ, हार्मोन, पुराना आघात या प्रदर्शन का दबाव। सिर्फ़ इसलिए कि किसी का शरीर एक ख़ास तरह से प्रतिक्रिया नहीं कर रहा, इसका मतलब यह नहीं है कि वे रुचि नहीं रखते।

जैसा कि साइकोसेक्सुअल (psychosexual) और रिलेशनशिप थेरेपिस्ट (Relationship Therapist) जेम्स अर्ल (James Earl) ने द गार्जियन से कहा, दिमाग़ और शरीर हमेशा मेल नहीं खाते। “पुरुष कभी-कभी बिना उत्तेजित हुए भी इरेक्शन पा सकते हैं, जैसे महिलाएँ इच्छा महसूस किए बिना भी नमी अनुभव कर सकती हैं। इसका उल्टा भी सही है: आप उत्तेजित महसूस कर सकते हैं लेकिन शरीर में उसका शारीरिक संकेत न दिखे।” यह दर्शाता है कि यौन प्रतिक्रिया जटिल है, और केवल शारीरिक संकेत पूरे सच को नहीं बताते।

यह ज़रूरी है कि दिखाई न देने वाली उत्तेजना को व्यक्तिगत अस्वीकृति न समझें। एक पार्टनर को बस ज़्यादा समय, आराम या उत्तेजना की ज़रूरत हो सकती है। चीज़ों को धीरे करें, खुलकर बातचीत करें और आपसी सुख पर ध्यान दें, बजाय इसके कि यह सोचें कि “क्या होना चाहिए।”

यह समझने से कि यौन प्रतिक्रिया हर व्यक्ति में अलग हो सकती है, कपल्स चिंता कम कर सकते हैं और अनुभव को सुरक्षित व सुखद बना सकते हैं। भावनात्मक और शारीरिक संकेतों पर ध्यान देना, जुड़ने के अलग-अलग तरीक़े आज़माना और बातचीत को अहमियत देना इस मिथक को तोड़ने और अंतरंगता को बेहतर बनाने में मदद करता है।

सेक्स को लेकर एक आम मिथक यह है कि शरीर एक झूठ पकड़ने वाली मशीन की तरह है
सेक्स को लेकर एक आम मिथक यह है कि शरीर एक झूठ पकड़ने वाली मशीन की तरह हैAi

पेनिट्रेशन ही एकमात्र तरीका नहीं है

अंतरंगता (Intimacy) केवल पेनिट्रेशन तक सीमित नहीं होती—इसमें कई अलग-अलग गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं जो उतनी ही मान्य और सुखद हैं।

जब ज़्यादातर लोगों से सेक्स की परिभाषा पूछी जाती है, तो वे अक्सर सिर्फ़ पेनिट्रेशन को सोचते हैं। इसके बाहर की चीज़ें—जैसे ओरल सेक्स या छूना—को केवल “फोरप्ले” मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। यह संकीर्ण दृष्टिकोण खासकर स्ट्रेट लोगों में आम है, जहाँ पेनिट्रेशन को “असल” सेक्स माना जाता है और बाकी सबको गौण समझा जाता है।

हालाँकि, कई लेस्बियन, गे और बाइसेक्शुअल लोग सेक्स की परिभाषा को अधिक व्यापक और समावेशी मानते हैं। उनके लिए अंतरंगता सिर्फ़ पेनिट्रेशन तक सीमित नहीं होती—इसमें कई गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं जो उतनी ही वैध और सुखद हैं। ऐतिहासिक रूप से, सेक्स एजुकेशन ने प्रजनन पर ज़्यादा ध्यान दिया है, यही कारण है कि पेनिट्रेशन को समाज में सेक्स का केंद्र माना गया। लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रजनन सेक्स करने का सिर्फ़ एक कारण है।

इस सोच पर अड़े रहना कि पेनिट्रेशन ही “सही” या “उचित” सेक्स है, आपके अनुभवों को सीमित कर सकता है। अगर आप मानते हैं कि केवल एक ही प्रकार का सेक्स मायने रखता है, तो आप अन्य रूपों की अंतरंगता को मिस कर सकते हैं, जो उतना ही—या उससे भी ज़्यादा—आनंद दे सकते हैं। सेक्स एक जैसा सबके लिए नहीं होता; यह जुड़ाव, रचनात्मकता और आनंद के बारे में है।

अगर आपको लगता है कि आप “पेनिट्रेशन रूटीन” (Penetration Routine) में फँस गए हैं, तो प्रयोग करना और सेक्स का अर्थ फिर से सोचना मदद कर सकता है। छोटे बदलाव—जैसे लाइटिंग बदलना, कपड़े देर तक पहने रखना, पोज़िशन बदलना या बिल्कुल पेनिट्रेशन न करना—अंतरंगता को नया और रोमांचक महसूस करा सकते हैं। नएपन को अपनाना जिज्ञासा को बढ़ा सकता है, अंतरंगता को गहरा कर सकता है और आपके सेक्स जीवन में फिर से जोश ला सकता है।

जब ज़्यादातर लोगों से सेक्स की परिभाषा पूछी जाती है, तो वे अक्सर सिर्फ़ पेनिट्रेशन को सोचते हैं।
जब ज़्यादातर लोगों से सेक्स की परिभाषा पूछी जाती है, तो वे अक्सर सिर्फ़ पेनिट्रेशन को सोचते हैं।Ai

पोर्न का मतलब यह नहीं कि आपका पार्टनर असंतुष्ट है

यह समझना भी ज़रूरी है कि पोर्न एक जैसी चीज़ नहीं होती।

लोग अक्सर इस पर बहस करते हैं कि पोर्न का हमारे सेक्स जीवन पर क्या असर पड़ता है, और क्या इसे सच में “लत” माना जा सकता है। कुछ लोग पोर्न (Porn)को बहुत ज़्यादा देखते हैं, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि समस्या हमेशा पोर्न खुद नहीं होती। कई मामलों में लोग इसे गहरी भावनात्मक परेशानियों जैसे तनाव, चिंता या डिप्रेशन से निपटने के लिए देखते हैं। उस समय पोर्न एक अस्थायी सुकून का तरीका बन जाता है, न कि असली समस्या।

हालाँकि, थेरेपिस्ट चेतावनी देते हैं कि जब पोर्न का इस्तेमाल ज़रूरत से ज़्यादा होने लगे तो यह रिश्तों को नुकसान पहुँचा सकता है। पार्टनर को धोखा या असुरक्षा महसूस हो सकती है, जिससे झगड़े, भावनात्मक दूरी या नज़दीकी में कमी आ सकती है। शर्म, छुपाने और उलझन की भावनाएँ समस्या को और बढ़ा देती हैं, जिससे यह व्यक्तिगत और रिश्तों दोनों के लिए चुनौती बन जाती है।

यह समझना भी ज़रूरी है कि पोर्न एक जैसी चीज़ नहीं होती। इसके कई प्रकार होते हैं—कुछ हानिकारक भी हो सकते हैं, जो सेक्स को लेकर अवास्तविक या स्त्री विरोधी सोच को बढ़ावा देते हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ नैतिक पोर्न भी होते हैं, जो सहमति, सम्मान और संतुलित नज़दीकी पर ध्यान देते हैं। असली बात यह है कि आप क्या देखते हैं और क्या वह आपकी सोच और मूल्यों से मेल खाता है।

अगर आप पोर्न देखना पसंद करते हैं तो ईमानदारी सबसे ज़रूरी है। इसे अपने पार्टनर से छुपाना अनावश्यक गलतफहमियाँ पैदा कर सकता है। इसके बजाय, ऐसा पार्टनर चुनना बेहतर है जो आपकी सोच को साझा करे—या कम से कम उसका सम्मान करे। सीमाओं और पसंदों पर खुलकर बातचीत करना भरोसा बढ़ा सकता है और शर्म को कम कर सकता है। लक्ष्य यह होना चाहिए कि पोर्न असली नज़दीकी की जगह न ले, बल्कि इसे ऐसे तरीके से देखा जाए जो आपके रिश्ते को नुकसान पहुँचाने की बजाय मज़बूत बनाए।


यह समझना भी ज़रूरी है कि पोर्न एक जैसी चीज़ नहीं होती। इसके कई प्रकार होते हैं
यह समझना भी ज़रूरी है कि पोर्न एक जैसी चीज़ नहीं होती। इसके कई प्रकार होते हैंAi

यौन प्रदर्शन (Sexual Performance)की चिंता सभी लिंगों को प्रभावित करती है

एक आम गलतफहमी यह है कि केवल पुरुष ही यौन प्रदर्शन (Sexual Performance) की चिंता का सामना करते हैं। लेकिन यह स्थिति सभी लिंगों को प्रभावित कर सकती है, हालाँकि इसका असर अलग-अलग रूपों में दिखता है। शोध से पता चला है कि लगभग 25% पुरुष और 16% महिलाएँ इस चिंता का अनुभव करती हैं। पुरुषों में यह अक्सर इरेक्शन पाने या बनाए रखने में कठिनाई, या समय से पहले स्खलन के रूप में दिखता है। वहीं जिनके पास वल्वा है, उनमें यह चिंता लुब्रिकेशन कम होना, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में जकड़न, आनंद में कमी या ऑर्गैज़्म में रुकावट जैसी समस्याओं के रूप में सामने आ सकती है।

प्रदर्शन की चिंता सिर्फ शारीरिक प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं होती—यह उम्मीदों के दबाव से भी जुड़ी होती है। कई पुरुष सेक्स में “सफल” होने का तनाव महसूस करते हैं, उन्हें डर होता है कि वे अपने पार्टनर को निराश कर देंगे या समाज के पुरुषत्व के मानकों पर खरे नहीं उतर पाएंगे। ये डर यौन अनुभव को कम आनंददायक बना सकते हैं और चिंता को और बढ़ा सकते हैं, जिससे एक ऐसा चक्र बनता है जिसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है।

यौन चिंता को संभालने में संवाद (Communication) की बहुत अहम भूमिका होती है। अगर आपका एक नियमित पार्टनर है, तो अपनी चिंताओं के बारे में खुलकर बात करना दबाव कम कर सकता है और भरोसा बना सकता है। यह समझाना कि आपको क्या आराम देता है या जुड़ाव महसूस करने के दूसरे तरीकों का सुझाव देना सेक्सुअल अनुभवों को अधिक सुखद और कम तनावपूर्ण बना सकता है। इस चिंता को नज़रअंदाज़ करना या ऐसा दिखाना कि यह है ही नहीं, स्थिति को और बिगाड़ सकता है। इसके बजाय, उन गतिविधियों से थोड़ी दूरी बनाना जो तनाव पैदा करती हैं, आपको उस चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है जो आपको अच्छी लगती है।

यह समझना ज़रूरी है कि यौन चिंता आम बात है और यह किसी असफलता का संकेत नहीं है। कई पुरुष इसे अपने जीवन के किसी न किसी समय अनुभव करते हैं, और इसे धैर्य, आत्म-जागरूकता और सहयोगी संवाद से संभाला जा सकता है। आपसी आनंद, प्रयोग और भावनात्मक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करना इस मिथक को तोड़ने में मदद कर सकता है कि पुरुषों को हमेशा “परफेक्ट” प्रदर्शन करना चाहिए या यह कि चिंता एक व्यक्तिगत कमी है।

प्रदर्शन की चिंता सिर्फ शारीरिक प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं होती—यह उम्मीदों के दबाव से भी जुड़ी होती है।
प्रदर्शन की चिंता सिर्फ शारीरिक प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं होती—यह उम्मीदों के दबाव से भी जुड़ी होती है।Ai

पुलिंग आउट सुरक्षित नहीं है

सेक्स से जुड़ी सबसे पुरानी मिथकों में से एक यह है एजकलशन (Ejaculation) से पहले लिंग को बाहर निकाल लेना प्रेग्नेंसी को पूरी तरह रोक सकता है। यह सच नहीं है। स्खलन से पहले भी एक छोटा सा तरल जिसे प्री-कम कहा जाता है, निकल सकता है और उसमें शुक्राणु हो सकते हैं। उसी समय, उत्तेजना के दौरान योनि में भी तरल मौजूद होता है। ये तरल यौन संचारित संक्रमण (STIs) फैला सकते हैं, और असली समस्या यह है कि प्री-कम में मौजूद शुक्राणु भी प्रेग्नेंसी का कारण बन सकते हैं।

पुल-आउट मेथड(Pull-Out Method), जिसे विदड्रॉअल मेथड (Withdrawal Method) भी कहते हैं, में पुरुष स्खलन से पहले अपना लिंग योनि से बाहर निकाल लेता है। सिद्धांत रूप से यह प्रेग्नेंसी के चांस को कम कर सकता है, लेकिन यह बिल्कुल भरोसेमंद नहीं है। अगर इसे हर बार पूरी तरह सही तरीके से किया जाए, तब भी इसकी असफलता दर लगभग 4% रहती है। तुलना के लिए, कंडोम की असफलता दर केवल लगभग 2% होती है। लेकिन क्योंकि लोग शायद ही कभी इस तरीके को पूरी तरह सही तरीके से अपनाते हैं, “सामान्य इस्तेमाल” में इसकी असफलता दर 20–30% तक पहुँच जाती है। इसका मतलब है कि केवल इस तरीके पर भरोसा करने वाले कई कपल्स को अनचाही प्रेग्नेंसी का सामना करना पड़ता है।

इस तरीके की सबसे बड़ी कमी इंसानी गलती है। टाइमिंग बिल्कुल सही होनी चाहिए, और थोड़ी सी भी देरी या योनि के पास थोड़ा सा भी वीर्य होने पर शुक्राणु अंडाणु को निषेचित कर सकते हैं। इस वजह से, अगर आप सच में प्रेग्नेंसी से बचना चाहते हैं, तो पुल-आउट को कभी भी अकेले गर्भनिरोधक तरीके के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

अगर कोई फिर भी पुल-आउट मेथड का इस्तेमाल करना चाहता है, तो इसे किसी और गर्भनिरोधक (Contraception) जैसे कंडोम (Condom) या बर्थ कंट्रोल पिल (Birth Control Pill) के साथ मिलाकर करना कहीं ज़्यादा सुरक्षित होता है। यह ड्यूल प्रोटेक्शन न केवल प्रेग्नेंसी के खतरे को कम करता है, बल्कि STIs से भी बचाता है। इसलिए अकेले पुल-आउट मेथड पर भरोसा करना जोखिमभरा, अविश्वसनीय और पुराने ज़माने का है, जबकि आधुनिक गर्भनिरोधक कहीं ज़्यादा प्रभावी (Effective) और सुरक्षित है।

[RH/SS]

बड़ा लिंग, पोर्न और पुलिंग आउट – सेक्स की 8 सबसे बड़ी भ्रांतियाँ
सेक्स का आनंद अभिनय में नहीं, सच्ची नज़दीकी और जुड़ाव में छिपा है

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