
हमारे समाज में सेक्स को लेकर कई तरह की धारणाएँ और अपेक्षाएँ बनाई जाती हैं। फिल्मों, विज्ञापनों और पोर्न की दुनिया हमें यह सिखाती है कि सेक्स कैसा होना चाहिए तीव्र, परफेक्ट और हमेशा रोमांचक। लेकिन हकीकत इससे बहुत अलग होती है। असली सेक्स उस पल की नज़दीकी, आत्मीयता (Intimacy) और एक-दूसरे के साथ जुड़ाव में छिपा होता है। जब हम इन धारणाओं के दबाव में आकर "प्रदर्शनकारी" (Exhibitionism) यानी परफ़ॉर्मेंस करने लगते हैं, तो आनंद की जगह चिंता और तनाव हावी होने लगता है।
प्रदर्शनकारी सेक्स क्या है ?
प्रदर्शनकारी सेक्स वह है, जब कोई व्यक्ति सेक्स को आनंद के बजाय किसी "स्क्रिप्ट" या तय किए गए लक्ष्य के हिसाब से करने की कोशिश करता है। जैसे – साथी को प्रभावित करना, एक खास छवि को दिखाना, किसी फिल्म या पोर्न में देखे गए दृश्य की नकल करना, या बस यह साबित करना कि वह "अच्छा प्रेमी" है।
सेक्स थेरेपिस्ट कसांड्रा मौरिकिस बताती हैं, "जब सेक्स अभिनय जैसा लगने लगे, जब आपको लगे कि आप किसी रोल को निभा रहे हैं, तो समझिए कि आप बस परफ़ॉर्म कर रहे हैं।" एक आसान नियम यह है कि अगर आप सेक्स के दौरान महसूस करने से ज्यादा सोचने में समय बिता रहे हैं, तो आप वास्तविक आनंद से दूर और प्रदर्शन की ओर बढ़ रहे हैं।
सेक्स के बारे में हमारे विचार ही इस प्रवृत्ति की जड़ हैं। पोर्न और मीडिया का असर अवास्तविक तरीके से दिखाता है। इसमें फोरप्ले लगभग नहीं होता, महिलाएँ तुरंत उत्तेजित दिखाई जाती हैं और हर क्रिया को आनंददायक (Pleasure) दिखाया जाता है। इसमें न मोटे शरीर नज़र आते हैं, न विकलांग शरीर, और न ही नस्लीय विविधता नज़र आते हैं। कई लोग सेक्स के दौरान सोचते रहते हैं कि वो कैसे दिख रहे हैं, उनकी हरकतें सही लग रही हैं या नहीं। यह आत्म-जागरूकता उन्हें वर्तमान पल से दूर कर देती है।
हमारे समाज में अक्सर यह धारणा बनाई जाती है कि सेक्स "कमाल का" होना चाहिए और इसमें "फेल" होने की कोई गुंजाइश नहीं है। यही सोच लोगों को घबराहट और प्रदर्शन (Exhibitionism) की ओर ले जाती है। जब कोई व्यक्ति सेक्स को सिर्फ़ साथी को खुश करने या प्रभावित करने का ज़रिया मान लेता है, तो वह असल आनंद से कट जाता है।
प्रदर्शनकारी सेक्स के नुकसान
प्रदर्शनकारी (Exhibitionism) सेक्स केवल शारीरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी नुकसान पहुँचाता है। जैसे आनंद में कमी, आपको बता दें जब आप सोचने में व्यस्त होते हैं, तो शरीर की संवेदनाओं का अनुभव नहीं कर पाते है। दूसरा बार-बार यह सोचते रहना कि आप अच्छा कर रहे हैं या नहीं तो आपकी चिंता को बढ़ा देता है। तीसरा है अगर कोई व्यक्ति साथी की प्रतिक्रियाओं को अनदेखा करके बस प्रदर्शन करता रहता है, तो इससे सहमति की गंभीर समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं। चौथा प्रदर्शनकारी सेक्स से अक्सर ऑर्गैज़्म तक पहुँचने में दिक्कत आती है, और पुरुषों में स्तंभन दोष (erectile dysfunction) और महिलाओं में इच्छा की कमी जैसी समस्याएँ देखी गई हैं।
अच्छी बात यह है कि प्रदर्शनकारी सेक्स की आदत बदली जा सकती है। इसके लिए ज़रूरी है कि हम सेक्स को लक्ष्य की बजाय यात्रा मानें। सेक्स के दौरान अपने मन और शरीर को एक साथ महसूस करने की कोशिश करें। साँसों पर ध्यान दें, स्पर्श को महसूस करें। दिमाग को "क्या करना चाहिए" वाली सोच से हटाकर "क्या महसूस हो रहा है" पर लाएँ। हर अनुभव को सीखने और समझने का अवसर मानें। गलती हो गई तो चिंता न करें, बल्कि देखें कि उसमें नया क्या था।
सेक्स कोई परीक्षा नहीं है, यह खोज और साझा आनंद की प्रक्रिया है। अपने साथी से खुलकर बात करना बेहद ज़रूरी है। आप क्या महसूस कर रहे हैं, किन चीज़ों से असहज हैं और किनसे आनंद (Pleasure) आता है यह सभी बातचीत आपके रिश्ते में सुरक्षा और भरोसा पैदा करती है। हर शरीर अनोखा है। अगर आप लगातार अपने शरीर की तुलना पोर्न या फिल्मों में दिखाए गए शरीर से करेंगे, तो आत्मविश्वास खत्म हो जाएगा, इसलिए अपने शरीर को अपनाना ही आत्मीयता (Intimacy) का पहला कदम है। अगर आपके विचार और चिंताएँ इतनी गहरी हो गई हैं कि आप अकेले उनसे नहीं निपट पा रहे हैं, तो सेक्स थेरेपी या काउंसलिंग मददगार हो सकती है।
आनंद (Pleasure) को प्राथमिकता दें, प्रदर्शन को नहीं
सेक्स का असली उद्देश्य "प्रदर्शन" नहीं बल्कि साझा आनंद (Pleasure) और जुड़ाव है। अगर हम इसे किसी काम या रोल की तरह निभाएँगे, तो यह तनाव देगा। लेकिन अगर हम इसे सहजता, जिज्ञासा और संवेदनशीलता के साथ करेंगे, तो यह आत्मीयता (Intimacy) को गहरा करेगा।
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हम सभी को ज़रूरत है कि हम सेक्स से जुड़ी अवास्तविक अपेक्षाओं को छोड़कर इसे इंसानी जुड़ाव के तौर पर देखें। जब हम प्रदर्शन की जगह उपस्थिति को महत्व देते हैं, तो सेक्स केवल शारीरिक क्रिया नहीं रहता, बल्कि यह एक भावनात्मक अनुभव बन जाता है, जिसमें विश्वास, प्यार और स्वतंत्रता शामिल होती है।
निष्कर्ष
प्रदर्शनकारी (Exhibitionism) सेक्स से बचने के लिए हमें अपनी सोच, शरीर की छवि और सामाजिक दबावों को समझना और चुनौती देना होगा। माइंडफुलनेस, संवाद और आत्म-स्वीकृति से हम सेक्स को अधिक आनंददायक और आत्मीय बना सकते हैं। आखिरकार, सेक्स का असली मक़सद किसी को प्रभावित करना नहीं बल्कि खुद और साथी के साथ उस पल को पूरी तरह जीना है। [Rh/PS]