शोधकर्ताओं के अनुसार , सांस लेने के व्यायाम से हो सकता है अल्जाइमर का इलाज

अल्जाइमर रोग का कोई कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन आनुवंशिक कारक एक भूमिका निभाते हैं। लगभग 5 से 15% मामले आनुवंशिक होते हैं।
Alzheimer's Disease : अगर धीरे-धीरे सांस लें तो यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। (Wikimedia Commons)
Alzheimer's Disease : अगर धीरे-धीरे सांस लें तो यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। (Wikimedia Commons)

Alzheimer's Disease : अल्जाइमर एक प्रकार का मनोभ्रंश है जो स्मृति, सोच और व्यवहार को प्रभावित करता है। इसके लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि दैनिक कार्यों में भी बाधा उत्पन्न करने लगती है। अल्जाइमर से दिमाग की कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं, जिसके कारण याददाश्त, सोचने समझने की शक्ति और अन्य व्यवहार बदलने लगते हैं। इसका असर हमारे सामाजिक जीवन पर पड़ता है। अल्जाइमर रोग का कोई कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन आनुवंशिक कारक एक भूमिका निभाते हैं। लगभग 5 से 15% मामले आनुवंशिक होते हैं। अक्सर अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोग निदान के बाद 3 से 11 साल तक जीवित रहते हैं लेकिन कुछ लोग केवल 20 साल या फिर उससे अधिक जीवित रहते हैं।

सांस लेने के प्रकिया से हो सकता है असर

इस बीमारी के संबंध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि अगर धीरे-धीरे सांस लें तो यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। एशिया के कई देशों में ऐसा लंबे समय से अभ्यास किया जा रहा है। भारत में अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम योगाभ्यास का एक प्राचीन हिस्सा है। परंतु शोध में सांस लेने के विभिन्न तरीक़े की तुलना नहीं की गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह कई बीमारियों के प्रतिरोधक के रूप में भी काम करता है, यहां तक कि यह अल्ज़ाइमर में भी आराम दे सकता है।

भारत में अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम योगाभ्यास का एक प्राचीन हिस्सा है। (Wikimedia Commons)
भारत में अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम योगाभ्यास का एक प्राचीन हिस्सा है। (Wikimedia Commons)

ब्लड प्लाज़्मा से है खतरा

शोधकर्ताओं ने अल्ज़ाइमर होने के सबसे बड़े ख़तरे बायोमार्कर की ब्लड प्लाज़्मा में माप की तथा इस शोध की लेखिका यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न कैलिफ़ोर्निया में मनोविज्ञान और बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग की प्रोफ़ेसर मारा मेथर के मुताबिक जिन 108 लोगों पर ये शोध किया गया उनमें से आधे लोगों के समूह को ऐसी जगहों पर जाने को कहा गया जहां उन्हें शांति मिले, जैसे- उन्हें गाना सुनने या आंख बंद करने या ध्यान लगाने को कहा गया। इसका उद्देश उनकी हृदय गति को नियमित करना था।

इन दोनों समूहों के लोगों की पांच हफ़्ते बाद जब ब्लड सैंपल चेक की गई तब उन्होंने बताया कि अल्ज़ाइमर के किसी एक कारण के बारे में तो पता नहीं चल पाया लेकिन इस बीमारी के होने का एक मुख्य कारण एमिलॉयड बीटा प्रोटीन के समूहों या प्लेक़्स को बताया।

गहरी नींद का होगा फायदा

शोधकर्ता निश्चित नहीं हैं कि वास्तव में ऐसा क्यों होता है परंतु एक परिकल्पना यह है कि धीमी, स्थिर सांस लेने से गहरी नींद के कुछ फायदे मिल सकते हैं। शोध में पाया गया है कि इससे ब्रेन और नर्व सिस्टम से न्यूरोटॉक्सिक वेस्ट को तेज़ी से साफ किया जा सकता है। न्यूरोटॉक्सिक वेस्ट अल्ज़ाइमर के विकास में अहम भूमिका निभाता है।

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