अब पशुओं का इलाज होगा नंदिनी एप पर, दो बच्चों ने मिलकर बनाया

सेंसर की सहायता से गायों और अन्य मवेशियों की बीमारी का पता कर के उन्होंने एक विशेष वेब एप के जरिए उनका सही इलाज अब होगा संभव
Bokaro - टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म पशु चिकित्सकों और पशुपालकों के बीच की दूरी को कम कर देगा,जिससे अधिक से अधिक पशुओं को बचाया जा सकता है। (Wikimedia Commons)
Bokaro - टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म पशु चिकित्सकों और पशुपालकों के बीच की दूरी को कम कर देगा,जिससे अधिक से अधिक पशुओं को बचाया जा सकता है। (Wikimedia Commons)
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Bokaro - बच्चे देश का भविष्य है और हमे गर्व है ऐसे बच्चों पर जो किसी का तकलीफ देख उसे सहानुभूति देने के अलावा उसका निवारण करने का सोचे। ऐसे ही दो छात्र डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा के विद्यार्थी सर्वज्ञ और कक्षा नौवीं के ऋषित शांडिल्य ने गौ-रक्षा के लिए लोगों को जागरूक किया है। एक बीमार गाय को देखने के बाद उनके मन में यह आइडिया सूझा और पशुपालकों और पशु चिकित्सकों की मदद करने के उद्देश्य से उन्होंने नया आविष्कार कर डाला। एआई यानी (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सेंसर की सहायता से गायों और अन्य मवेशियों की बीमारी का पता कर के उन्होंने एक विशेष वेब एप के जरिए उनका सही इलाज अब संभव हो सकेगा। गौ-रक्षा की इस पहल से संबंधित अपने इस सॉफ्टवेयर को उन्होंने 'नंदिनी' का नाम दिया है। बच्चों ने बताया कि बोकारो में मवेशियों के संख्या के अनुसार पशु चिकित्सकों की काफी कमी है।

इस वेब एप से मवेशियों में प्रारंभिक बीमारी का पता लगाने के लिए एआई-सक्षम प्रणाली विकसित कर पशुपालक को पशु चिकित्सकों के साथ जोड़ने के लिए एक टेलीमेडिसिन प्प्लेटफार्म तैयार करना है। टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म पशु चिकित्सकों और पशुपालकों के बीच की दूरी को कम कर देगा, जिससे पशुपालक के लिए सलाह और सेवाओं तक पहुंच पाना आसान हो जाएगी और अधिक से अधिक पशुओं को बचाया जा सकता है।

इस प्रोजेक्ट में मवेशियों में बीमारियों के निवारण करने के लिए दो एआई मॉडल विकसित किए गए हैं। (Wikimedia Commons]
इस प्रोजेक्ट में मवेशियों में बीमारियों के निवारण करने के लिए दो एआई मॉडल विकसित किए गए हैं। (Wikimedia Commons]

मॉडल किस प्रकार काम करेगा इसको लेकर छात्र सर्वज्ञ ने बताया कि इसमें खास सेंसर लगाया गया है। इस मॉडल को बनाने में उन्हें लगभग 900 रुपये तक का खर्च आया है, जिसमें नंदिनी वेब एप के अलावा इलेक्ट्रिकल बोर्ड और सेंसर जुड़े हैं। तीन तरह के सेंसर गाय के शरीर में घंटी के पास लगे होंगे, जिनसे उनके शरीर का तापमान, ब्लड ऑक्सीजन और हृदय की धड़कन को मापा जाएगा। उसी के आधार पर वेब एप पर सूचना मिलेगा।

इस प्रोजेक्ट में मवेशियों में बीमारियों के निवारण करने के लिए दो एआई मॉडल विकसित किए गए हैं। पहला सेंसर से मिले लक्षण संबंधी इनपुट के आधार पर काम करता है। जबकि, दूसरा कंप्यूटर दृष्टि का उपयोग करके गांठ की समस्या से निजात दिलाता है। पहला मॉडल मवेशियों में 26 तरह के रोगों के 94 लक्षणों और 2444 पैरामीटर के आधार पर तैयार किया गया है। कुछ प्रमुख बीमारियों में हेमोरेजिक सेप्टिसीमिया, ब्लैक लेग, लंपी (चर्मरोग) व फुट रॉट सहित पैर और मुंह की बीमारियां आदि शामिल हैं।

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