Chronic Kidney Disease: आज की जीवनशैली के वजह से ही बीमारियां हमारे शरीर में घर कर लेती है । बाहर का खानपान, फास्ट फूड का सेवन , शराब की लत ये सभी हमारे किडनी पर असर डालती है। किडनी शरीर का सबसे अहम अंग है। यदि खानपान में गड़बड़ी हो या खराब जीवनशैली के कारण किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।किडनी का काम शरीर में ब्लड फिल्टर करने से लेकर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना होता है। शरीर की कार्यक्षमता को ठीक रखने के लिए किडनी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। लंबे समय तक किडनी में खराबी की स्थिति को क्रोनिक किडनी डिजीज कहते हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज दरअसल किडनी से जुड़ी बीमारी की गंभीर स्थिति है। इस स्थिति में आपकी किडनी काम करना बंद कर देती है या सही ढंग से काम नहीं कर पाती है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ समीर कहते हैं कि " क्रोनिक किडनी डिजीज या सीकेडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी की कार्यक्षमता 80 प्रतिशत तक कम हो जाती है। कोई भी मरीज जब किडनी से जुड़ी बीमारियों से सालों तक जूझता है, तो उसे क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और खानपान व खराब जीवनशैली के कारण क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।"
क्रोनिक किडनी डिजीज के 5 स्टेज होते हैं। शुरूआती स्टेज में दिखने वाले लक्षण सामान्य होते हैं और इसी वजह से मरीज इसे पहचान नहीं पाते है क्रोनिक किडनी डिजीज में दिखने वाले कुछ प्रमुख लक्षण ये सभी हो सकते है -
१)बार-बार पेशाब आना
२)थकान और कमजोरी
३)भूख न लगना
४)सांस लेने में दिक्कत
५)हाथ और पैर में सूजन होना
६)पेशाब में झाग ज्यादा बनना
७)मतली और उल्टी की समस्या
८)स्किन का रंग काला पड़ना
९)ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
क्रोनिक किडनी डिजीज का कोई सटीक इलाज नहीं है। इस स्थिति में मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। मरीज की स्थिति के आधार पर इसका इलाज भी अलग-अलग तरह से हो सकता है। डॉक्टर किडनी की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए मरीज को कुछ दवाओं के सेवन की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा डाइट में बदलाव करने से क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा कम होता है। प्रोटीन और मिनरल्स से युक्त फल, हरी और ताजी सब्जियां, अनाज और बीन्स का सेवन करने से किडनी को नुकसान पहुंचने का खतरा कम होता है।