अस्पतालों का है बुरा हाल, कारण जाने बिना ही मरीजों को दी जा रही है दवाइयां

अस्पतालों में बीमारी का वास्तविक कारण जानने के लिए आवश्यक जांच कराए बिना ही दवा लिखी जा रही है। सामान्य बीमारी में भी जरूरत से अधिक दवाएं लिखी जा रही है।
Government Hospital :अस्पतालों में बीमारी का वास्तविक कारण जानने के लिए आवश्यक जांच कराए बिना ही दवा लिखी जा रही है। (Wikimedia Commons)
Government Hospital :अस्पतालों में बीमारी का वास्तविक कारण जानने के लिए आवश्यक जांच कराए बिना ही दवा लिखी जा रही है। (Wikimedia Commons)
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Government Hospital : अस्पताल ही वो आखिरी उम्मीद होती है जहां मरीज अपना इलाज करवाने जाते है यदि वहां भी मरीजों के बीमारी का इलाज में लापरवाही होने लग जाए तब लोगों का अस्पताल से विश्वास ही उठ जायेगा। आपको बता दे की अस्पतालों में बीमारी का वास्तविक कारण जानने के लिए आवश्यक जांच कराए बिना ही दवा लिखी जा रही है। सामान्य बीमारी में भी जरूरत से अधिक दवाएं लिखी जा रही है। कुछ मामलों में आधी-अधूरी दवा चिकित्सक लिख दे रहे हैं।

अब होगी कड़ी कार्रवाई

अब जाकर स्वास्थ्य विभाग ने एक ठोस कदम उठाया है सरकार ऐसे लापरवाह चिकित्सकों को चिह्नित करके कार्रवाई करेगा। इन चिकित्सकों को पहले नोटिस दी जाएगी और उत्तर नहीं मिलने पर नियमानुसार निलंबन आदि की कार्रवाई होगी। चार जिलों मुजफ्फरपुर, नालंदा, सीवान, गोपालगंज के सभी सरकारी अस्पतालों के मरीजों का पुर्जा मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना के तहत भाव्या सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया जा रहा है।

पाया गया है की एक ही तरीके की दवाइयां अधिक दी जा रही है जिससे बाद में जाकर बहुत से परेशानियां झेलने पड़ सकते है। (Wikimedia Commons)
पाया गया है की एक ही तरीके की दवाइयां अधिक दी जा रही है जिससे बाद में जाकर बहुत से परेशानियां झेलने पड़ सकते है। (Wikimedia Commons)

अधिक दी जा रही है ये दवाइयां

पाया गया है की एक ही तरीके की दवाइयां अधिक दी जा रही है जिससे बाद में जाकर बहुत से परेशानियां झेलने पड़ सकते है। जैसे - पारासिटामोल जो बुखार के लिए उपयोग होता है इसका लंबे समय पर उपयोग से लीवर और किडनी पर असर पड़ता है, डिक्लोफिनैक ये दर्द की दवा है और इसका लीवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है। एमोक्सी एक एंटीबायोटिक है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता घटाता है। लिबोसिट्रिजिन एक सर्दी की दवा जिसका अधिक सेवन करने पर गला नाक सूखने लगता है। पैन 40 या एसिलोक एक गैस की दवा है इसका साइड इफेक्ट कम है।

हो रहा है गहनता से जांच

स्वास्थ्य विभाग के ऊपर मुख्य सचिव द्वारा इस योजना की समीक्षा में अधिकारियों को निर्देश दिया था। निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य और विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से एक भाव्या एप पर अपलोड पुर्जा की गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया। पुर्जा के आधार पर जांच करने के लिए कहा गया था कि मरीजों के इलाज में कही किसी प्रकार की लापरवाही तो नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से भाव्या एप पर अपलोड पुर्जे के आधार पर 20 मरीजों या उनके परिजनों को प्रतिदिन रैंडम तरीके से इलाज की जानकारी फोन के माध्यम से ली जा रही थी।

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