
आयुर्वेद में नींद को जीवन के तीन प्रमुख स्तंभों में गिना गया है। जिस तरह भोजन और संयम जरूरी हैं, वैसे ही 'निद्रा', यानी नींद, शरीर और मन को संतुलित रखने के लिए बेहद अहम है। दूसरी ओर, विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि व्यक्ति को हर रोज कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी नींद चाहिए, क्योंकि इसी दौरान शरीर अंदर से खुद की मरम्मत करता है, हार्मोन संतुलन ठीक करता है, और अगली सुबह के लिए नई ऊर्जा इकट्ठा करता है।
नींद पूरी न होने से इसका असर सबसे पहले हमारे दिमाग और दिल पर पड़ता है। कम नींद से सोचने-समझने की ताकत कमजोर होने लगती है, दिमाग थक जाता है, चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है, और किसी भी काम पर ध्यान टिकाना मुश्किल हो जाता है।
इसके साथ ही, नींद की कमी तनाव और चिंता को बढ़ावा देती है, और धीरे-धीरे मानसिक थकान डिप्रेशन (Mental fatigue Depression) जैसी गंभीर समस्या का रूप ले सकती है।
शरीर के बाकी अंग भी इस कमी से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। जैसे ही नींद कम होती है, शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और धड़कन की रफ्तार असंतुलित हो जाती है। इससे दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, शरीर में इंसुलिन पर असर पड़ता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
यही नहीं, नींद की कमी आपकी भूख को भी बिगाड़ देती है। जब शरीर थका होता है, तो वो ज्यादा ऊर्जा की मांग करता है, जिससे भूख बढ़ाने वाले हार्मोन ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में बार-बार भूख लगती है, खासकर मीठा और तला-भुना खाने का मन करता है। इससे वजन तेजी से बढ़ता है और मोटापे से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
वहीं, आपकी रोग प्रतिरोधक ताकत भी कमजोर होने लगती है और आप बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं।
इसके अलावा, नींद पूरी न होने से त्वचा अचानक बेजान लगने लगती है, आंखों के नीचे काले घेरे आ जाते हैं और चेहरे पर समय से पहले झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं।
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