Parkinson's disease - अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जन्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह रोग मस्तिष्क के उस हिस्से की तंत्रिका कोशिकाओं में समस्या के कारण होती है जो गति को नियंत्रित करता है। इसमें तंत्रिका कोशिकाएं या तो नष्ट हो जाती हैं या खराब हो जाती हैं, जिसके कारण डोपामाइन नामक एक महत्वपूर्ण रसायन के उत्पादन की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। अध्ययनों से पता चला है कि डोपामाइन उत्पादक कोशिकाओं की 80 प्रतिशत या उससे अधिक हानि वाले रोगियों में पार्किंसंस के लक्षण विकसित होते हैं।आपको पता ही होगा की डोपामाइन आपको खुश महसूस कराने वाले न्यूरोट्रांसमिटर्स में से एक है।
शोधकर्ताओं के अनुसार , पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों के दिमाग में कई बदलाव होते हैं, जबकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि ये बदलाव क्यों होते हैं। यदि आपके परिवार में पहले किसी को यह समस्या रही है तो आपको भी हो सकता है खतरा। देखा गया है की महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस रोग होने की आशंका अधिक होती है। कुछ शोध में पाया गया है कि जो लोग विषाक्त पदार्थों के संपर्क में अधिक रहते हैं उनमें भी इसके होने का खतरा हो सकता है।
१) कंपकंपी या हाथ-पैर और जबड़े का अनैच्छिक रूप से हिलना।
२) मांसपेशियों में अकड़न और कंधों या गर्दन में दर्द सबसे आम लक्षण है।
३)मानसिक कौशल या प्रतिक्रिया के समय में कमी।
४)पलकों के झपकने की गति में कमी।
५)अस्थिर चाल या संतुलन में दिक्कत होना।
यदि आपको ये सभी लक्षण दिखाई दे तो पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
हालाँकि पार्किंसंस रोग को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन दवाएँ आपके लक्षणों में काफी सुधार कर सकती हैं। पार्किंसंस रोग के रोगियों की स्थिति के आधार पर दवाइयों और थेरपी के माध्यम से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है। नियमित एरोबिक व्यायाम से पार्किंसंस रोग का खतरा कम हो सकता है।
यदि आपमें पार्किंसंस रोग से जुड़ा कोई भी लक्षण है तो किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से मिलें - न केवल आपकी स्थिति का निदान करने के लिए बल्कि आपके लक्षणों के अन्य कारणों का पता लगाने के लिए भी।