गणतंत्र दिवस समारोह में बाजरे से बने व्यंजन परोसने की तैयारी

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम)- 2023 के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने स्वीकार किया है।
गणतंत्र दिवस समारोह में बाजरे से बने व्यंजन परोसने की तैयारी (Wikimedia)

गणतंत्र दिवस समारोह में बाजरे से बने व्यंजन परोसने की तैयारी (Wikimedia)

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम)- 2023 के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया

इस वर्ष गणतंत्र दिवस (Republic Day) समारोह के एक हिस्से के तहत बाजरे के व्यंजनों को परोसा जायेगा। भारत सरकार का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता (Indus valley civilization) के दौरान बाजरे की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में बाजरा का उत्पादन किया जाता है। इसे पूरे एशिया और अफ्रीका में 50 करोड़ से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। वहीं, भारत में बाजरा मुख्य रूप से एक खरीफ फसल है, जिसमें अन्य समान फसल की तुलना में कम जल और कृषि साधनों (इनपुट) की जरूरत होती है। इसके अलावा बाजरा जी-20 (G-20) बैठकों का भी एक अभिन्न हिस्सा है। इसके तहत प्रतिनिधियों को इसे चखने, किसानों से मिलने और स्टार्ट-अप व एफपीओ के साथ संवादात्मक सत्रों के माध्यम से बाजरा को लेकर अनुभव प्रदान किया जाएगा।

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम)- 2023 के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने स्वीकार किया है। 2023 के दौरान 140 से अधिक देशों में भारत के दूतावास इस उत्सव में प्रदर्शनी, सेमिनार, वार्ता, पैनल चर्चा आदि के माध्यम से भारतीय प्रवासियों को शामिल करते हुए आईवाईएम पर कार्यक्रम आयोजित करके हिस्सा लेंगे। इसके तहत जनवरी में अजरबैजान और बेलारूस स्थित भारतीय दूतावास स्थानीय चैंबर, खाद्य ब्लॉगर, खाद्य पदार्थों के आयातकों और स्थानीय रेस्तरां आदि की भागीदारी के साथ बी2बी बैठक जैसी गतिविधियों का आयोजन करेंगे। पके हुए बाजरे के व्यंजन की प्रदर्शनी व प्रतियोगिता का आयोजन भारतीय प्रवासियों की सहायता से किया जाएगा।

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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक बाजरा आजीविका उत्पन्न करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरे विश्व में खाद्य व पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी बड़ी क्षमता को देखते हुए महत्वपूर्ण है।

बाजरे की असाधारण क्षमता, जो संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरुप है, को मान्यता प्रदान करते हुए भारत सरकार ने इसे प्राथमिकता दी है। मंत्रालय के मुताबिक इससे पहले अप्रैल, 2018 में बाजरे को 'पौष्टिक अनाज' के रूप में आगे बढ़ाया गया था। इसके बाद साल 2018 को राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया गया। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर इसका प्रचार और मांग उत्पन्न करना था। 2021-2026 की पूवार्नुमान अवधि के दौरान वैश्विक बाजार में बाजरे की बढ़ोतरी की दर (सीएजीआर) 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

<div class="paragraphs"><p>अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष- 2023 </p></div>

अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष- 2023

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संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने 6 दिसंबर 2022 को इटली के रोम में अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष- 2023 के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में भारत की ओर से वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। इस श्रृंखला में 'अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम) 2023' के पूरे साल चलने वाले उत्सव से पहले कृषि और किसान कल्याण विभाग ने संसद भवन में सांसदों के लिए एक विशेष 'बाजरा लंच' का आयोजन किया।

जनवरी में कार्यक्रमों की योजना बनाने वाले कुछ अन्य मंत्रालयों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय शामिल है। यह आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बाजरा मेले-सह-प्रदर्शनियों का आयोजन करेगा। वहीं, भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) पंजाब, केरल और तमिलनाडु में 'ईट राईट मील' जैसे मेलों का आयोजन करेगा।

अगर राज्यों की बात करें तो छत्तीसगढ़, मिजोरम और राजस्थान को आईवाईएम के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और प्रचार को लेकर विशिष्ट गतिविधियों को संचालित करने के लिए जनवरी माह आवंटित किया गया है। जनवरी में इस तरह की गतिविधियों का आयोजन करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पंजाब शामिल हैं।

अबुजा में भारत के उच्चायोग और लागोस स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने आईवाईएम के प्रचार के तहत जनवरी, 2023 में बाजरा खाद्य उत्सव और बाजरे से बने खाद्य पकवानों की प्रतियोगिता की योजना बनाई है।

आईएएनएस/PT

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