पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में है रूमेटाइड अर्थराइटिस का खतरा, जानें क्या है लक्षण ?

यह एक ऑटोइम्यून और इन्फ्लेमेटरी डिजीज है। इसके चलते घुटनों में दर्द के साथ सूजन भी बढ़ जाती है। इससे चलने फिरने और उठने बैठने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
Rheumatoid arthritis : रूमेटाइड अर्थराइटिस जोड़ों के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। (Wikimedia Commons)
Rheumatoid arthritis : रूमेटाइड अर्थराइटिस जोड़ों के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। (Wikimedia Commons)
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Rheumatoid arthritis : सर्दियों आते ही आमतौर पर महिलाओं को अक्सर जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और शारीरिक अंगों में ऐंठन महसूस होने लगती है। ये सभी लक्षण रूमेटाइड अर्थराइटिस का संकेत देते हैं, जो एक ऑटोइम्यून और इन्फ्लेमेटरी डिजीज है। इसके चलते घुटनों में दर्द के साथ सूजन भी बढ़ जाती है। इससे चलने फिरने और उठने बैठने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है।

यह एक ज्वाइंट डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हेल्दी टिशूज को प्रभावित करती है। इम्यून सिस्टम ज्वाइंट्स की लाइनिंग को नुकसान पहुंचता है, जिसके कारण जोड़ों में सूजन और दर्द होना शुरू हो जाता है। रूमेटाइड अर्थराइटिस जोड़ों के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है।

40 के बाद बढ़ सकता है जोखिम

ऑटो इम्यून कंडीशन पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। अधिकतर महिलाओं में 40 के बाद रूमेटाइड अर्थराइटिस के बढ़ने की संभावना बनी रहती है। अर्थराइटिस फाउंडेशन की रिसर्च के अनुसार ये रोग महिलाओं को पुरूषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा प्रभावित करता है। महिलाओं के शरीर में 30 की उम्र के बाद प्रेगनेंसी, पोस्टपार्टम, ब्रेस्टफीडिंग, मेनोपॉज और पीसीओएस के कारण हार्मोनल बदलाव आने लगते हैं, जो शरीर में दर्द और सूजन को बढ़ाते हैं।इसलिए यदि आपके हाथ-पैरों के जोड़ों में तीन महीने से ज्यादा दर्द हो, तो डाक्टर से तुरंत दवाएं ले जिससे ज्वाइंट को डैमेज होने से बचा सकती हैं।

अधिकतर महिलाओं में 40 के बाद रूमेटाइड अर्थराइटिस के बढ़ने की संभावना बनी रहती है।(Wikimedia Commons)
अधिकतर महिलाओं में 40 के बाद रूमेटाइड अर्थराइटिस के बढ़ने की संभावना बनी रहती है।(Wikimedia Commons)

क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण ?

रूमेटाइड अर्थराइटिस की स्थिति में जोड़ों में ऐंठन, दर्द व सूजन बढ़ने लगती है। सबसे पहले ये हाथों, कलाई और पैर के ज्वाइंटस को प्रभावित करता है। इसके चलते किसी चीज़ को पकड़ने, सीढ़ियां चढ़ने और उतरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बाद कंधों और कोहनी भी अर्थराइटिस की चपेट में आने लगते हैं और ज्वाइंटस में स्टिफनेस बढ़ जाती है,इसके अलावा पैरों में सूजन की भी समस्या बनी रहती है।

लंबे वक्त तक बैठने के बाद उठने में दिक्कत महसूस होने लगती है। इसमें नियमित तौर पर भूख नहीं लगती है। भरपूर खाना न खाने के वजह से शरीर में थकान बढ़ने लगती है। ऑटो इम्यून डिजीज के कारण शरीर में बार बार बुखार आने की समस्या बढ़ने लगती है। ये सभी लक्षण बढ़ने लगे तो इतना जल्दी हो सके डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए क्योंकि बाद में ये दर्द गंभीर हो सकते है।

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