scribe tyfus infection:- कोरोनावायरस के बाद भारत के लोग हेल्थ के मामले में काफी जागरूक हो चुके हैं कोरोना ने भारत वासियों को डिसिप्लिन और सुरक्षित रहना सिखा दिया था लेकिन फिर भी बीमारियां कहां रुकने वाली है। आए दिन कोई ना कोई बीमारी सुनने को मिल ही जाती है। अभी हाल ही में उड़ीसा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई। उड़ीसा में स्क्रब टाइफास संक्रमण के कारण 6 लोगों की मौत हो गई। आश्चर्य वाली बात तो यह है कि यह बीमारी केवल उड़ीसा तक सीमित नहीं है हिमाचल प्रदेश सहित कई सारे राज्यों में इसकी घटना सुनने को मिल चुकी है।
उड़ीसा में 6 लोगों की मौत हो जाने के बाद अब इस बीमारी ने लोगों में आतंक फैला दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह संक्रमित जिगर के काटने से फैलता है। यह स्क्रब टाइपिस्ट संक्रमण बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। यह पिस्सुओं के काटने से लोगों में फैला है। आपको बता दें कि पिशु जानवरों का खून पीने वाला एक छोटा कीड़ा है जो जानवरों या मनुष्यों की त्वचा पर भोजन करते हैं जिसे कुत्तों गाय भैंसों खरगोश और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर देखा जाता है। यह देखने में खून जैसा छोटा सा होता है ज्यादातर घास झाड़ियां चौहान पर पाया जाता है इसके संपर्क में आने पर या इसके काटने पर लोग इससे संक्रमित होते हैं आमतौर पर या भारत सहित एशिया और प्रशांत क्षेत्र में पाया जाता है बारिश के समय में या पहाड़ी क्षेत्रों में काफी ज्यादा होता है और यही एक कारण है कि हिमाचल प्रदेश में आए बाढ़ और घनघोर वर्षा के कारण इस कीड़े के संक्रमण का खतरा बहुत अधिक बढ़ गया।
वैसे तो यह एक छोटा सा कीड़ा है लेकिन इसके काटने पर असर बहुत ही भयंकर है आप यूं समझ लीजिए कि इसके सभी लक्षण डेंगू की तरह दिखाई देते हैं। जैसे तेज बुखार, ठंड लगना, सिर दर्द, गहरे रंग की पपड़ी जैसा घाव, बढ़े हुए लिम्फ नोड, शरीर पर लाल धब्बे या चलते सुखा खांसी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द लाल आंखें, ब्रह्म और भी बहुत कुछ। अब जानते हैं कि इस बीमारी से किन लोगों को सबसे अधिक खतरा है
बागवानी और बाहरी गतिविधियों में लगे लोगों को इसका खतरा अधिक होता है इसके अलावा जिनकी इम्यूनिटी काफी कमजोर है या जो बाहर के समान ज्यादा खाते हैं गांव या जंगल के इलाके में रहते हैं या जो लोग खेती कैंपिंग या घास के मैदाने में पैदल चलते हैं उन्हें इस बीमारी के होने का खतरा सबसे अधिक है।
स्क्राइब टाइफास संक्रमण से बचने का उपाय और इससे जुड़ी दवाएं अभी शोध केंद्रों में परीक्षण का शिकार हो रही है। लेकिन अपने आसपास स्वच्छता रखकर पालतू जानवरों को संभालते समय सतर्कता व्रत कर और झाड़ियां व घरों के आसपास पेड़ पौधों की सफाई रखकर इस बीमारी से कुछ हद तक बचा जा सकता है। इसके अलावा यदि आपको कोई भी लक्षण अपने शरीर या अपने प्रिय जनों के शरीर में नजर आती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।