मंकीपॉक्स से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें, जिनसे जरूर बचें

कोविड की तरह ही मंकीपॉक्स की जांच के लिए भी आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है।
मंकीपॉक्स से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें, जिनसे जरूर बचें
मंकीपॉक्स से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें, जिनसे जरूर बचें Wikimedia Commons
Published on
4 min read

कोविड के मामले से हम अभी पूरी तरह उबरे ही नहीं थे कि तब तक ओमीक्रॉन, टोमैटो फ्लू, आ गया, और अब मंकीपॉक्स। भारत में अब तक कुल चार मामले आ चुके हैं मंकीपॉक्स के। केरल में तीन और दिल्ली में एक मरीज में इस वायरस की पुष्टि की गई है।

हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को एक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी बताया है। इस ऐलान के बाद आमलोगों में फिर से लॉकडाउन, प्रतिबंध और सोशल डिस्टेंसिंग का डर घर करने लगा है। इस नए खौफ ने लोगों को सकते में डाल दिया है। खौफ और ज्यादा इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इसको लेकर कई भ्रामक बातें और दावे तेजी से फैल रहे हैं।

कहा जा रहा है कि मंकीपॉक्स कोविड-19 जैसी ही एक महामारी है, और कुछ लोग तो कह रहे हैं कि ये केवल समलैंगिक लोगों में ही हो रहा है। कुछ तो ये तक बता रहे हैं कि ये लाइलाज है, इलाज ही नहीं है इसका कोई। कुछ भ्रामक तथ्य ये भी कह रहे हैं कि इसके लिए फ़िलहाल कोई जांच सुविधा मौजूद नहीं है।

यहाँ हम इन्हीं बातों की पड़ताल करके सामने आए हैं कि इन बातों में कितनी सच्चाई और कितना झूठापन है। ये तमाम जानकारी यहाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट के आधार पर कही जा रही है।

आइए पहले भ्रामक सवाल आर नज़र डालते हैं। लोगों का कहना है कि मंकीपॉक्स क्या कोविड-19 जैसी ही एक नई महामारी है? तो इसका स्पष्ट सा उतार है नहीं। डबल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स इतना संक्रामक नहीं है जितना दूसरे संक्रमण हैं। इसके अतिरिक्त यह कोविड की तरह आसानी से नहीं फैलता। दरअसल यह संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति के अथवा उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली चीजों के सीधे संपर्क में आने पर होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसका वायरस किसी घाव या आंख, नाक या मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सकता है।

इसके अतिरिक्त यह संभोग अर्थात सेक्स द्वारा भी फैलता है। यहाँ तक कि मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों के ठीक होने के 12 हफ़्तों तक यौन संबंध बनाने के दौरान कॉन्डोम के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

संक्रमित जानवरों जैसे बंदर, चूहे या गिलहरियों के संपर्क में आने पर भी इस संक्रमण को फैलने में आसानी होती है। वैसे तो कहीं कहीं ऐसे तथ्य भी सामने आ रहे हैं कि ये संक्रमण सांसों से भी संक्रमण फैल सकता है। लेकिन फिर भी यह बात स्पष्ट है कि मंकीपॉक्स कोरोना जितना संक्रामक नहीं है। यहाँ यह बात ध्यान देने कि है कि यह संक्रमण केवल यौन संबंध बनाने से ही नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैलता है।

अब दूसरा सवाल जो खासकर समलैंगिकों के लिए सिर दर्द बना हुआ है कि इससे केवल समलैंगिकों को ही खतरा है। तो इसपर यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक जनरल डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने साफ करते हुए काही थी कि अभी इसका संक्रमण ज़्यादातर समलैंगिक पुरुषों में देखा जा रहा है। जबकि ये किसी को भी प्रभावित कर सकता है। उन्होंने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी बताया था।

लेकिन यह बात भी स्पष्ट है कि मंकीपॉक्स किसी को भी प्रभावित कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति अथवा उसके संक्रमित सामान के संपर्क में एक लंबे समय के लिए आता है तो ये संक्रमण उसे भी हो सकता है।

इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि ये संक्रमण स्वास्थ्यकर्मियों और सेक्स वर्कर्स को भी हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे, और ऐसे व्यक्ति जिनको स्वास्थ्य समस्याएँ हैं, उनको विशेष रूप से बचाने की आवश्यकता है।

इसका इलाज है या नहीं? इसका भी एक बड़ा भ्रामक सवाल लोगों के सामने है। tतो ऐसे में यह स्पष्टीकरण मिला है कि ज़्यादातर मामलों में इलाज की ज़रूरत नहीं पड़ती, बल्कि सभी लक्षण धारे-धीरे ख़त्म हो जाते हैं। फिर भी अगर जरूरत पड़ी तो दर्द और बुखार के लिए दवाएँ ली जा सकती हैं।

मरीजों के लिए हिदायत दी गई है कि वो पौष्टिक खाना खाएं, खुद को हाइड्रेट रखने और पर्याप्त नींद लें। त्वचा पर उभरी फुंसियों या चकत्तों पर खुजली न करें और समय-समय पर साफ पानी और एंटीसेप्टिक से इसे साफ करते रहना चाहिए।

मंकीपॉक्स के ख़िलाफ़ प्रभावी रहीं कुछ दवाइयों जैसे, वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन, एसटी-246 और सिडोफोविर का नाम यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अपनी वेबसाइट पर डाला हुआ है। इसके अतिरिक्त मंकीपॉक्स की रोकथाम और उपचार के लिए JYNNEOSTM नाम की एक वैक्सीन भी है, जिसे कई देश की सरकारों ने मंजूरी भी दे दी है। इस वैक्सीन को म्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है।

2022 में यूरोपीयन मेडिसिन एजेंसी ने मंकीपॉक्स की इलाज के लिए टेकोविरिमैट नाम का एक एंटीवायरल भी विकसित किया है।

मंकीपॉक्स से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें, जिनसे जरूर बचें
MonkeyPox केवल 'निरंतर' आमने-सामने संपर्क के दौरान हवा से फैलता है: सीडीसी

इस वैक्सीन के अलावा कई स्वास्थ्य अधिकारी मानते हैं कि ACAM2000 नामक स्मॉल पॉक्स का टीका भी मंकीपॉक्स के खिलाफ काफी प्रभावी होता है।

अब आखिरी में एक सवाल और बचता है कि क्या मंकीपॉक्स की जांच के लिए कोई सुविधा मौजूद नहीं है?

तो यहाँ बता दें कि कोविड की तरह ही मंकीपॉक्स की जांच के लिए भी आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है। बस फर्क इतना सा है कि कोविड जांच के लिए गले या नाक का स्वैब लिया जाता है, जबकि मंकीपॉक्स में शरीर पर उभरे रैश के अंदर के पानी की जांच की जाती है। हालांकि देश में पुणे के एनआईवी में ही ये जांच सुविधा फिलहाल उपलब्ध है।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com