आप अक्सर जम्हाई या उबासी (Yawn) लेते होंगे। ऐसा अक्सर तब होता है जब आप थक जाते हैं या फिर आपको नींद आती है, पर कभी-कभी बिना बात के भी जम्हाई आ जाती है। तो फिर क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता होगा? जम्हाई के आने के पीछे की असल वजह क्या है?
दरअसल एक लंबे समय से माना जाता रहा है कि Yawn करना एक श्वसन क्रिया है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगता है तो हमारा शरीर गहरी सांस लेने-छोड़ने लगता है जिससे कि ऑक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाए। यह दिल की धड़कन को, पूरे शरीर के रक्तप्रवाह (Blood Flow) में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने के लिए, बढ़ा देता है।
यह सिद्धांत आज भी सही साबित है, पर अब यह जम्हाई (Yawn) का मात्र एक पहलू बन कर रह गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब शोधकर्ता इसे ऑक्सीजन की कमी से जोड़ने के बजाय शरीर में तापमान नियंत्रण से जोड़ कर देख रहे हैं। हमारा दिमाग, यानि मस्तिष्क, सबसे ज्यादा ऊर्जा ग्रहण करता है। यह हमारी कुल मेटाबोलिक ऊर्जा का लगभग 40% ऊर्जा खुद में खपा लेता है। ऐसे में हमारा दिमाग गरम होने लगता है जिसे ठंड करने के लिए अन्य माध्यमों कि जरूरत होती है। यह ठीक वैसे ही है जैसे कंप्युटर का दिमाग CPU पंखे का इस्तेमाल करता है खुद को ठंडा करने के लिए। चूंकि, हमारा दिमाग भी एक तंत्र है जिसके द्वारा हमारा पूरा शरीर नियंत्रित होता है, और ऐसे में इसे भी एक ऐसे जरिए कि जरूरत होती है जिससे कि ये खुद को ठंडा कर सके।
जम्हाई (Yawn) लेने के दौरान मुंह से ठंडी हवा अंदर प्रवेश करती है। जम्हाई लेते वक्त हमारे जबड़े और खोपड़ी के आस-पास के मांसपेशियां सिकुड़ती हैं और उनमें खिचाव आता है, जिससे इस क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। जम्हाई के द्वारा अंदर गई ठंडी हवा रक्त को ठंडा करती है, और उस वक्त बढ़ी हुई हृदय गति (Heartbeat) मस्तिष्क में ठंडे रक्त को पम्प करती है। और हम जानते हैं कि ठंडा दिमाग ज़्यादा सतर्क और स्वस्थ दिमाग होता है।
यह बात अजीब लग सकती है पर अध्ययनों से यही सामने आया है कि लोग ठंडे तापमान में अधिक बार जम्हाई लेते हैं। जब बाहर की हवा 70 डिग्री फ़ारेनहाइट बनाम 98 डिग्री (शरीर का तापमान) थी, तो लोग 21% अधिक बार जम्हाई लेते थे। ऐसे ही परिणाम जानवरों के कई प्रजातियों के साथ हुए शोध में भी सामने आए हैं।