हमने बचपन में सामान्य ज्ञान की पुस्तिका में पढ़ा था, दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं दुनिया की सबसे चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के बारे में। ये वही पर्वत है जिसपर 'सर' एंडमंड हिलेरी और नेपाल के पर्वतारोही शेरपा तेनजिंग नॉर्गे ने 29 मई 1953 में कदम रखकर विजय प्राप्त की थी। आज हम उसी ऊंची चोटी के बारे में एक दिलचस्प बात को जानेंगे, जिसे पढ़कर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। दरअसल कई शोधों और विश्लेषणों में यह बात सामने आई है कि माउंट एवरेस्ट अभी भी बढ़ रहा है (Mount Everest is still growing)।
यह देखा गया है कि इसके ऊर्ध्वाधर विस्तार (vertical expansion) में एक पुश-पुल निरंतर गतिशील है और जब कटाव (erosion) विपरीत होता है, तभी प्लेट टेक्टोनिक्स इसे उसी समय आकाश में आगे बढ़ाता है। इस तरह से पहाड़ औसतन हर साल लगभग 4 मिलीमीटर (0.16 ") बड़ा हो जाता है। इसका मतलब हुआ कि यह पर्वत अपने कई हिमालयी समकक्षों की तुलना में थोड़ी धीमी गति से बढ़ रहा है, और इनमें से कुछ तो प्रति वर्ष लगभग 10 मिलीमीटर (0.4 ") बढ़ रहे हैं।
1953 से अब तक लगभग 4,000 लोगों ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है। पर जो वास्तविक संख्या स्रोत के आधार पर ये संख्या थोड़ी बहुत ही ऊपर-नीचे हो सकती है। यहाँ पर चढ़ाई में लगभग $45,000 प्रति व्यक्ति औसत लागत आता है। इसके अलावा यात्रा, गाइड, भोजन और उपकरणों पर 160,000 डॉलर तक का भी खर्च आता है। अब एक चिंता और बढ़ रही है, जबसे पर्वत पर अभियान बढ़ते जा रहे हैं। यहाँ लोगों की भीड़ अपने पीछे कचरा छोड़ कर जाते हैं। लोग सुझाव दे रहे हैं कि अब यहाँ पर्वतारोहण बंद कर दिया जाना चाहिए।