

बिहार में बहुत सारे टूरिस्ट प्लेस है जहाँ सभी पर्यटन प्रेमियों को जाना चाहिए क्योकि ये जगहे न केवल दिखने में अच्छी है बल्कि इन जगहों का ऐतिहासिक कहानी भी रहा है। और इसीलिए पहले स्थान पर है बोधगया जो विश्वप्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक जगह है, जहाँ भगवान बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। यह स्थान बौद्ध धर्म के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है, यही नहीं यहाँ पर स्थित महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है। बोधगया की शांत वातावरण, ध्यान केंद्र जगह और देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की उपस्थिति इसे और भी आध्यात्मिक बनाता हैं। महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित बोधि वृक्ष बुद्ध की ज्ञानस्थली का प्रतीक है, जिसके दर्शन के लिए लाखों लोग हर साल इस जगह पर पहुंचते हैं।
बोधगया में थाई, तिब्बती, जापानी और बर्मा शैली के अनेक मठ बने हुए हैं, जो विभिन्न देशों की बौद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं। यहाँ का विशाल बुद्ध प्रतिमा पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र है। आपको बता दें कि बोधगया का इतिहास लगभग 2500 वर्ष पुराना है, जब सिद्धार्थ ने घोर तपस्या के बाद यहाँ बुद्धत्व को प्राप्त किया। आज यह स्थान ध्यान, योग और आध्यात्मिक साधना का केंद्र बन चुका है।
नालंदा भी बिहार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और शैक्षणिक स्थल है, जिसे दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। यहाँ स्थित नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) प्राचीन भारत का एक विशाल ज्ञान केंद्र था, जहाँ चीन, तिब्बत, श्रीलंका, कोरिया और अन्य देशों से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने यहाँ आते थे। इस विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन, चिकित्सा, गणित, साहित्य और विभिन्न विषयों पर गहन अध्ययन किया जाता था। इसकी विशाल लाइब्रेरी “धर्मगंज” दुनिया की सबसे बड़ी पुस्तकालयों में गिनी जाती थी, जिसे लोग बताते थे कि यह तीन मंज़िलों का हुआ करता था। नालंदा का इतिहास लगभग 5वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब गुप्त और बाद में पाल वंश के राजाओं ने इसे संरक्षित और विकसित किया था। आज नालंदा के खंडहर उस काल के भव्य निर्माण, छात्रावास और शिक्षण केंद्रों की झलक दिखाते हैं। हर साल यहाँ देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं और इस ज्ञानभूमि को नमन करते हैं।
राजगीर बिहार का एक प्राचीन, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटन स्थल है, जो पहाड़ियों और हरियाली के बीच बसा है। यह स्थान बौद्ध, जैन और हिन्दू। तीनों धर्मों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। राजगीर कभी मगध साम्राज्य की पहली राजधानी भी था और यह वही भूमि है जहाँ गौतम बुद्ध ने कई वर्षों तक प्रवास किया था और लोगो को अनेक उपदेश दिए थे। यहाँ स्थित “विश्व शांति स्तूप” (Vishwa Shanti Stupa) राजगीर का सबसे प्रसिद्ध जगह है, जहाँ पहुँचने के लिए रोपवे का रोमांचक अनुभव लिया जाता है। इसके अलावा, गर्म पानी के कुंड भी यहाँ की विशेषता हैं, जिन्हें चिकित्सकीय रूप से भ्ही लाभदायक माना जाता है।
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आज पटना बिहार की राजधानी है। इसके साथ ही इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का शानदार संगम भी है। प्राचीन काल में यह पाटलिपुत्र नाम से जाना जाता था और मौर्य, गुप्त तथा मगध साम्राज्य की राजधानी भी हुआ करता था। इसी कारण पटना का हर हिस्सा आज इतिहास की खुशबू समेटे हुए है। यहाँ बहुत सारे धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक स्थल मौजूद हैं, जो इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं। गुरुद्वारा (Gurudwara) जो पटनासाहिब (Patna Sahib) में है। यहाँ का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है, क्योकि यहाँ सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था। इसके अलावा पटनादेवी मंदिर, महावीर मंदिर और गोलघर जैसे स्थल यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थान हैं। पटना संग्रहालय एवं बिहार संग्रहालय इतिहास प्रेमियों को प्राचीन मूर्तियों, ग्रंथों और पुरातात्विक वस्तुओं के माध्यम से बिहार की समृद्ध विरासत के बारे मे रूबरू कराते हैं।
मधुबनी बिहार का एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक और कलात्मक जिला कहलाता है, जो अपनी अनोखी “मधुबनी पेंटिंग” (Madhubani Painting) के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह कला सदियों पुरानी है और लोग मानते है कि इसका आरम्भ राजा जनक के काल में हुआ था, जब सीता के विवाह के अवसर पर पूरे नगर को सुंदर चित्रों से सजाया गया था। आपको बता दें कि मधुबनी पेंटिंग में प्रकृति, देवी-देवताओं, लोककथाओं और दैनिक जीवन के दृश्य बेहद आकर्षक तरीके से बनाए जाते हैं।
मधुबनी जिला न केवल कला का केंद्र है, बल्कि अपनी समृद्ध संस्कृति, लोकगीतों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की महिलाएँ आज भी घरों की दीवारों और आँगनों पर पारंपरिक चित्र बनाती हैं, जो अब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी लोकप्रिय हो गया हैं।
सासाराम बिहार का शहर है, जो विशेष रूप से शेरशाह सूरी की भव्य ईमारत के लिए प्रसिद्ध है। सासाराम रोहतास जिले में स्थित है और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, जलप्रपात और विशाल पहाड़ियाँ लोगो के लिए इसे आकर्षक बनाती हैं। सासाराम का सबसे प्रमुख आकर्षण का केंद्र शेरशाह सूरी का मकबरा है, जिसे भारत की सबसे सुंदर मुगलकालीन कला कृतियों में गिना जाता है।
इतना ही नहीं सासाराम में स्थित रोहतासगढ़ किला (Rohtasgarh Fort) भी बेहद प्रसिद्ध है, यह किला ऊँची पहाड़ियों पर स्थित है। इसके अलावा, मनेर जलप्रपात, तुतला भवन जलप्रपात और आसपास की हरियाली यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता इस जगह को और आकर्षक बनता हैं।
सासाराम की यात्रा के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में सावधानी से चलना, गर्मियों में पानी साथ रखना और स्थानीय मार्गदर्शक की मदद लेना उपयोगी होता है। ऐतिहासिक स्थलों पर चढ़ाई करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है।
रोहतास (Rohtas) बिहार का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा जिला है, जो अपनी वीरता और रोमांचक पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जाना जाता है। रोहतास का सबसे प्रमुख आकर्षण रोहतासगढ़ किला है, जिसे भारत के सबसे विशाल और मजबूत किलों में गिना जाता है। यह किला ऊँची पहाड़ियों पर स्थित है और प्राचीन काल में सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था। माना जाता है कि इसकी स्थापना रोहतास राजा ने की थी, जबकि बाद में शेरशाह सूरी और मुगल शासकों ने भी इसका उपयोग किया। किले के अंदर मंदिर, कुएँ, महल और प्राचीन इमारतों के अवशेष आज भी इसकी भव्यता का प्रमाण देते हैं।
रोहतास जिले में प्राकृतिक सुंदरता भी भरपूर है। यहाँ के घने जंगल, शांत वातावरण और जलप्रपात पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। तुतला भवन जलप्रपात, करकटगढ़ और इंद्रपुरी बांध जैसे स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए खास अनुभव प्रदान करते हैं। रोहतास की मिट्टी कृषि से भरपूर है और यहाँ की ग्रामीण संस्कृति अपनी सादगी और परंपराओं के लिए जानी जाती है।
रोहतास की यात्रा के दौरान पहाड़ी मार्गों पर सावधानी जरूरी है, खासकर रोहतासगढ़ किले की चढ़ाई के समय। पानी, हल्का भोजन और उपयुक्त जूते साथ रखना उपयोगी होता है।
कुल मिलाकर, रोहतास इतिहास, प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है, जहाँ हर यात्री को ज्ञान, रोमांच और शांति, तीनों का अनोखा अनुभव मिलता है।
मुज़फ़्फ़रपुर बिहार का एक प्रमुख शहर है, जो अपनी शाही लीची, समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्तर बिहार का महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी है और यहाँ का वातावरण यात्रियों को जीवंतता और सौहार्द से भर देता है। मुज़फ़्फ़रपुर की सबसे बड़ी पहचान इसकी विश्वप्रसिद्ध मुज़फ़्फ़रपुर लीची (Muzaffarpur Litchi) है, जिसकी मिठास और खुशबू पूरे देश में मशहूर है। गर्मियों में आने वाले पर्यटक यहाँ की ताज़ी लीची का स्वाद लेना नहीं भूलते।
यह शहर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ स्थित बाबा गरीबनाथ मंदिर शिव भक्तों का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ पूरे वर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। वहीं, बड़गांव का अहीर माता मंदिर, श्री राम मंदिर और लंगट सिंह कॉलेज जैसे स्थान भी देखने योग्य हैं। शहर के आसपास लक्ष्मी चौक, जुब्बा सहनी पार्क और बड़े-बड़े बाजार घूमने वालों को आकर्षित करते हैं।
पावापुरी (Pawapuri) बिहार का एक अत्यंत पवित्र स्थल है, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसे जैन धर्म का तीर्थ स्थल माना जाता है क्योंकि यहीं भगवान महावीर (Lord Mahavira) , जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर ने महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया। पावापुरी की शांति, खुला वातावरण और धार्मिक महत्व इसे हर यात्री के लिए यादगार बनाते हैं।
बिहार कई चीज़ों से समृद्ध है, और यहाँ की ऐतिहासिक कहानियाँ तो और भी रोचक हैं। चाहे वह नालंदा (Nalanda) हो या राजगीर(Rajgir) , हर जगह की अपनी एक खासियत है जो बिहार को लोगों के लिए विशेष बनाती है।
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