एक ऐसा शहर जिसका सब कुछ अपना है : ऑरोविले

जब वर्ष 1968 में ऑरोविले शहर की स्थापना हुई तो उसे यूनिवर्सल सिटी के नाम से जाना गया अर्थात एक ऐसा शहर जहां कोई भी आकर रह सकता है।
ऑरोविले
ऑरोविलेPixabay

आज के वक्त में देखा जाए तो हर दूसरा व्यक्ति पैसे ,जात पात, धर्म और राजनीति में उलझा हुआ है। लेकिन क्या आप एक ऐसे शहर की कल्पना भी कर सकते हैं जिनमें ना पैसा है ना धर्म और ना ही कोई सरकार। जी हां ,इस शहर का नाम है ऑरोविल। यह भारत में स्थित है।

ऑरोविल (Auroville) इस शहर की स्थापना 1968 में की गई थी हालांकि इसका निर्माण अभी 2008 में ही पूरा हुआ है। यह शहर चेन्नई से करीब 150 किलोमीटर दूर बसा हुआ है। यह "सिटी ऑफ डॉन" (City of Dawn) यानी "भोर का शहर" के नाम से प्रसिद्ध है। इस शहर को विकसित करने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि आप किसी भी जात पात, धर्म और मजहब के लोग एक साथ प्यार से मिलजुल कर रह सके। बशर्ते आप एक सेवक बनने को तैयार हैं। इस शहर की संस्थापक मीरा अल्फाजों है। मीरा को लोग "मां" कहकर पुकारते हैं।

जब वर्ष 1968 में ऑरोविल शहर की स्थापना हुई तो उसे यूनिवर्सल सिटी के नाम से जाना गया अर्थात एक ऐसा शहर जहां कोई भी आकर रह सकता है। वर्तमान में यहां करीब 50 देशों के लगभग 25,000 लोग रह रहे हैं।

ऑरोविले
अखबार में Hindu Gods की तस्वीर नहीं चाहते हैं एडवोकेट फिरोज बाबूलाल सैयद, की प्रतिबंध की मांग

इस शहर के नाम के पीछे की कहानी बहुत ही प्रेरणादाई है इस शहर का नाम ऑरोविल इसलिए रखा गया, जहां सभी देशों के स्त्री-पुरुष बिना किसी भेदभाव के रह सकते हैं और राजनीति तथा राष्ट्रीयता को पीछे छोड़ते हुए यहां शांति और प्रगतिशील सद्भावना को महत्व दिया गया है।

इस शहर में कोई मंदिर नहीं है और ना ही आपको किसी देवी या देवता की तस्वीर या मूर्ति देखने को मिलेगी यहां के लोग किसी देवी देवता की पूजा नहीं करते वैसे उपयोग में तल्लीन रहते हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) और प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (Pratibha Devi Singh Patil) भी यहां का दौरा कर चुकी हैं।

ताज्जुब की बात तो यह है कि इस शहर में इंडियन करेंसी नहीं चलती है। क्योंकि यहां का एक अपना बैंक है जो आरबीआई ( Reserve bank of India) से मंजूरी प्राप्त है । लगभग 35 साल पहले यहां एक फाइनेंस सर्विस सेंटर की शुरुआत की गई थी जो अब सेंटर बैंक की तरह कार्य कर रहा है।

शहर का आकर्षण केंद्र यहां स्थित मातृ मंदिर है यह मंदिर केवल ऑरोविले शहर के लोगों के लिए ही खुलता है यह ध्यान और एकाग्रता को समर्पित मंदिर है।

यहां के लोग अपनी आर्थिक दिक्कतों का निपटारा खुद ही कर लेते हैं ।हालांकि वे एक दूसरे की भाषा नहीं समझते लेकिन इससे कि कभी किसी प्रकार के कार्य में रुकावट नहीं आई है।

इस शहर के बीच में एक ऑरोविल बॉटनिकल गार्डन (Auroville Botanical Garden) भी स्थित है। यह काफी शांत है और यह शहर के भीतर सबसे हरे भरे स्थानों में से एक माना जाता है।

(PT)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com