यूं तो आजादी से पहले कई इमारतें बनी जो आज भी अस्तित्व में है और एक अलग पहचान रखती है।लेकिन स्वतंत्रता के बाद भी बहुत सी ऐसी इमारतें बनी जो अपनी अद्भुत वास्तुकला,चित्रशैली और सौन्दर्य के लिए जानी जाती है।ऐसी ही एक इमारत है कर्नाटक में निर्मित विधान सौधा। आज के लेख में हम इसी इमारत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानेंगे।
विधान सौधा का निर्माण 1956 में किया गया था। इसकी आधारशिला 13 जुलाई 1951 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के. सी. रेड्डी के द्वारा रखी गई थी। यह कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु शहर के संपांगी रामा नगर के अंबेडकर भीढी में स्थित है है। इसका उपयोग कर्नाटक सरकार के सचिवालय और राज्य की विधानसभा के कार्य स्थल के रूप में होता है। यह कर्नाटक सरकार के स्वामित्व में आने वाली एक इमारत है। इसे बनाने और इसकी संकल्पना करने का श्रेय केंगल हनुमंथैया को दिया जाता है।
इसे बनाने में नव द्रविड़ शैली का उपयोग किया गया है। विधान सौधा में दो मंजिल है जिनमें से एक जमीन के नीचे और एक जमीन के ऊपर है। इस इमारत में ग्रेनाइट के बने 12 कॉलम और एक बरामदा मौजूद है। इसके मुख्य कक्ष तक पहुंचने के लिए आपको 45 सीढ़ियों का सफर पूरा करना होगा। इसके सबसे ऊपरी भाग में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। ऐसा कहा जाता है कि इस इमारत को बनाने के लिए राजमिस्त्री तिरुचिरापल्ली और कराईकल (पुडुचेरी) से बुलाए गए थे। इस इमारत के निर्माण के लिए 1953 से 1956 के बीच बहुत से मजदूर सेंट्रल जेल से आए थे जिन्हे एक चीफ वॉर्डन की निगरानी में भेजा गया था साथ ही 10 जेल वॉर्डन की टीम भी थी।विधान सौधा के आसपास आप कई बेलबूटे देख सकते है। पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा इसे राष्ट्र को समर्पित मंदिर कहा गया था।
विधान सौधा के अगले हिस्से में कन्नड़ में लिखा है कि " सरकारदा केलसा देवारा केलासा " जिसका हिंदी में अर्थ है - सरकार का काम भगवान का काम होता है। यह इमारत प्रेरणा का एक प्रतीक है।
यदि आप बेंगलुरु जाने की योजना बना रहे हैं तो आपको विधान सौधा जरूर घूमना चाहिए। यह इमारत सार्वजनिक अवकाश और रविवार के दिन बंद रहती है।
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