क्या महाभारत केवल कथा है ? राजस्थान की खुदाई से मिले प्रमाण खोल रहे हैं इतिहास के पन्ने

राजस्थान (Rajasthan) के डीग जिले में खुदाई (Excavation) के दौरान भारतीय पुरातत्व (Indian Archaeology) सर्वेक्षण को 4,500 साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल से जुड़े यज्ञ कुंड, प्राचीन मूर्तियां, तांबे के सिक्के और ब्राह्मी लिपि की मुहरें यह संकेत देती हैं कि यह स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
खुदाई के दौरान ASI की टीम को 23 मीटर गहराई में एक प्राचीन नदी का चैनल (Paleo-channel) मिला है, जिसे ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी से जोड़ा जा रहा है। Wikimedia commons
खुदाई के दौरान ASI की टीम को 23 मीटर गहराई में एक प्राचीन नदी का चैनल (Paleo-channel) मिला है, जिसे ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी से जोड़ा जा रहा है। Wikimedia commons
Published on
3 min read

राजस्थान की तपती धरती ने एक बार फिर अपने भीतर छिपे इतिहास के अद्भुत रहस्यों से पर्दा हटाया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने राज्य के भरतपुर संभाग के डीग जिले के बहज गांव में खुदाई के दौरान लगभग 4,500 साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण खोज निकाले हैं। ये खोजें न सिर्फ पुरातत्व के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं, बल्कि भारत के महाभारत काल के इतिहास को लेकर चली आ रही कई मान्यताओं को नया आधार भी प्रदान करती हैं।

खुदाई में अब तक क्या-क्या मिला ?

खुदाई के दौरान ASI की टीम को 23 मीटर गहराई में एक प्राचीन नदी का चैनल (Paleo-channel) मिला है, जिसे ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी (Saraswati River) से जोड़ा जा रहा है। सरस्वती नदी (Saraswati River) को भारतीय सभ्यता की जननी माना जाता है, और यदि यह कड़ी प्रमाणित होती है, तो यह खोज भारतीय इतिहास के अध्यायों में एक क्रांतिकारी मोड़ ला सकती है।

ASI के मुताबिक जनवरी 2024 में शुरू हुई इस खुदाई में अब तक 800 से अधिक अवशेष सामने आ चुके हैं। इनमें शामिल हैं - शिव-पार्वती की टेराकोटा मूर्तियां, तांबे के सिक्के, ब्राह्मी लिपि की शुरुआती मुहरें, 15 से अधिक यज्ञ कुंड, हड्डियों से बने औजार – जैसे सुई, कंघा, सांचे, गुप्त काल की धातु विज्ञान से जुड़ी भट्टियां, शंख की चूड़ियां और अर्ध-कीमती पत्थर के मनके।इन सभी वस्तुओं को देखकर यह स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र धार्मिक, शिल्पकला और व्यापार का समृद्ध केंद्र रहा है।

खुदाई में एक मानव कंकाल भी मिला है, यह खोज मानव सभ्यता के विकास को लेकर कई नए आयाम खोल सकती है। Pexels
खुदाई में एक मानव कंकाल भी मिला है, यह खोज मानव सभ्यता के विकास को लेकर कई नए आयाम खोल सकती है। Pexels

इस स्थान पर खुदाई में पांच प्रमुख ऐतिहासिक कालों के प्रमाण मिले हैं जैसे- हड़प्पा के बाद का काल, महाभारत काल, मौर्य काल, कुषाण काल, गुप्त काल। खासतौर पर हवन कुंड, चित्रकला और मिट्टी के बर्तनों में महाभारत काल की झलक देखी गई है। ASI की टीम का मानना है कि यह क्षेत्र शक्ति और भक्ति परंपराओं का प्रमुख केंद्र रहा होगा, जहां वैदिक और उत्तरवैदिक काल के धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता रहा होगा।

खुदाई में एक मानव कंकाल (Human Skeleton) भी मिला है, जिसे गहन जैविक जांच के लिए इजरायल भेजा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कंकाल की डीएनए जांच से यह पता चल सकेगा कि उस समय के लोगों का जीवन, खानपान और स्वास्थ्य स्तर कैसा था। यह खोज मानव सभ्यता के विकास को लेकर कई नए आयाम खोल सकती है।

Also Read: हरिप्रसाद ने रच दिया इतिहास: बांसुरी के सुरों में छिपी पहलवान के बेटे की तक़दीर !

क्यों है यह खोज खास ?

इस तरह की खोजें आमतौर पर सिंधु घाटी या गंगा यमुना क्षेत्र में होती हैं, लेकिन राजस्थान जैसे सूखे इलाके में 4,500 साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। इस खोज से यह प्रमाणित होता है कि प्राचीन भारत की सभ्यताएं सिर्फ नदी घाटियों तक सीमित नहीं थीं, बल्कि राजस्थान जैसे जगहों में भी विकसित नगर सभ्यताएं और धार्मिक केंद्र मौजूद थे।

निष्कर्ष

राजस्थान की यह खुदाई न केवल क्षेत्र के इतिहास को फिर से परिभाषित करती है, बल्कि यह साबित करती है कि भारत की सभ्यता और संस्कृति की जड़ें जितनी गहरी हैं, उतनी ही रहस्यमयी और गौरवशाली भी है। महाभारत काल से लेकर गुप्त काल तक की कहानियां अब सिर्फ पौराणिक कथाएं नहीं रह जाएंगी, बल्कि वैज्ञानिक और ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ भारत की समृद्ध विरासत का हिस्सा बन जाएंगी। Rh/PS

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com