केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय देशभर में भव्य तरीके से मनाएगा 'जनजातीय गौरव दिवस'

सरकार ने वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
बिरसा मुंडा की जयंती मनाया जायेगा 'जनजातीय गौरव दिवस'
बिरसा मुंडा की जयंती मनाया जायेगा 'जनजातीय गौरव दिवस'Wikimedia
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) देशभर के स्कूलों, कौशल संस्थानों और उच्च शिक्षण संस्थानों में भव्य तरीके से 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाएगा। पिछले साल, सरकार ने वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की थी। गौरतलब है कि 15 नवंबर, बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती है, जिन्हें देशभर के जनजातीय समुदाय भगवान के रूप में सम्मान देते हैं।

बिरसा मुंडा देश के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी (freedom fighter), समाज सुधारक और श्रद्धेय जनजातीय नायक थे, जिन्होंने ब्रिटिश (British) औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। वह अपने जीवनकाल में ही एक महान व्यक्ति बन गए, जिन्हें अक्सर 'भगवान' कहा जाता है। उन्होंने जनजातियों से 'उलगुलान' (विद्रोह) का आह्वान किया तथा जनजातीय आंदोलन को संगठित करने के साथ नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने जनजातियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के नेतृत्व में 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए शिक्षा मंत्रालय एआईसीटीई, यूजीसी (UGC), केंद्रीय विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों, अन्य एचईआई, सीबीएसई (CBSE), केवीएस, एनवीएस और कौशल विकास संस्थानों के सहयोग से 'जनजातीय गौरव दिवस' मना रहा है।

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जनजातीय गौरव दिवस के राष्ट्रव्यापी समारोह में देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में 'स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान' विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा सामाजिक गतिविधियों से जुड़े अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इन समारोहों के दौरान, भगवान बिरसा मुंडा और अन्य वीर जनजातीय नायकों के योगदान पर प्रकाश डाला जाएगा। छात्रों को अच्छे काम के लिए सम्मानित भी किया जाएगा।

मंत्रालय के मुताबिक, ये समारोह जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के देश के लिए दिए गए बलिदान को रेखांकित करने, उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और जनजातीय संस्कृति, कला व समृद्ध जनजातीय विरासत का संरक्षण करने के लिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।

आईएएनएस/RS

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