देशभर के उच्च शैक्षणिक संस्थानों (Higher Educational Institutes) के मूल्यांकन और मान्यता प्रक्रिया को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार ने एक समिति का गठन किया है। आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के शासक-मंडल के चेयरमैन तथा आईआईटी परिषद की स्थायी समिति के चेयरमैन डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में इस उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक समिति के कार्य आदेशों में, मूल्यांकन और मान्यता प्रक्रियाओं को सशक्त बनाना एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (National Education Policy, 2020) के विज़न के अनुरूप राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद के लिए एक रोड मैप तैयार करना शामिल हैं।
मंत्रालय का कहना है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था, दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे विविध शिक्षा प्रणालियों में से एक है। सरकार के ठोस प्रयासों से उच्च शिक्षा (Higher Education) के क्षेत्र में व्यापक विस्तार हुआ है।
गुणवत्ता आश्वासन को उच्च शिक्षण संस्थानों के कामकाज का एक अभिन्न अंग बनाने में मान्यता, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मान्यता, उच्च शिक्षा संस्थानों को एक समीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से उनकी ताकत और कमजोरियों को समझने में सहायता करती है तथा इस प्रकार उन्हें ऐसे आंतरिक क्षेत्रों की पहचान करने में सुविधा प्रदान करती है, जिनमें योजना निर्माण और संसाधन आवंटन की आवश्यकता है।
किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की मान्यता, संस्थान में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में छात्रों, नियोक्ताओं और समाज के लिए विश्वसनीय जानकारी के स्रोत के रूप में कार्य करती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित इस उच्चस्तरीय समिति के अन्य सदस्य में प्रोफेसर मृदुल हजारिका, कुलपति, महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव विश्वविद्यालय, असम प्रो. भरत भास्कर, प्रोफेसर, आईआईएम (IIM), लखनऊ और संयुक्त सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education), भारत सरकार शामिल हैं।
आईएएनएस/RS