पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों की देरी से डिलीवरी पराली जलाने (Stubble Burning) के मुद्दे पर हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक में एक प्रमुख चिंता का विषय बना। दिल्ली और आसपास के शहरों में खराब वायु गुणवत्ता की स्थिति के बीच राष्ट्रीय राजधानी में कृषि मंत्री, पर्यावरण मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन मंत्री की सह अध्यक्षता में बैठक हुई। एनसीआर राज्यों और एनसीटीडी की संबंधित कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति, प्रबंधन के लिए मशीनरी का उपयोग, धान की भूसी के इन-सीटू प्रबंधन के लिए बायो-डीकंपोजर (bio-decomposer) के व्यापक उपयोग और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई।
कृषि मंत्री ने अपनी संक्षिप्त प्रस्तुति में इस बात पर प्रकाश डाला कि हरियाणा में पराली प्रबंधन की स्थिति पंजाब की तुलना में काफ़ी बेहतर है। पंजाब के 22 जिलों में से 9 और हरियाणा के 22 में से 4 जिलों में पराली जलाने की प्रमुख घटनाएं सामने आई हैं और इन 13 जिलों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
पिछले साल की तुलना में 15 अक्टूबर तक आग की घटनाओं का रुझान कम है, लेकिन अब यह तेजी से बढ़ने लगा है, खासकर पंजाब में। जल्दी कटाई अमृतसर और तरनतारन में आग की बड़ती घटनाओं की वजह है। यह भी अवगत कराया गया कि पंजाब में पूसा डीकंपोजर के आवेदन के लिए भूमि का कवरेज कम है जिसे बढ़ावा देने और बढ़ाने की आवश्यकता है।
विद्युत मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि उसने थर्मल पावर प्लांट्स (टीपीपी) में सह-फायरिंग के लिए कोयले के साथ बायोमास पेलेट के 5 प्रतिशत सम्मिश्रण को अनिवार्य किया है। सह-फायरिंग सीओ2 उत्सर्जन को रोकने में भी मदद करता है। अब तक, 0.1 मिलियन मीट्रिक टन सीओ2 उत्सर्जन को रोका गया है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने 'पराली' के प्रबंधन के लिए एक विस्तृत ढांचा तैयार किया है और राज्यों को सलाह दी गई है कि वे पराली जलाने से रोकने के लिए इसे लागू करें। बैठक में उल्लेख किया गया कि सीएक्यूएम द्वारा कई बैठकों और प्रयासों के बावजूद, पंजाब द्वारा उठाए गए कदम अपर्याप्त हैं।
आईएएनएस/RS