अकबर के नौ रत्न, कोई गायक था तो कोई असीम ज्ञानी
अकबर (Akbar) के नौ रत्नों के बारे में तो आप सभी ने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा अकबर ने अपने नौ रत्नों में अपने क्षेत्र के बेहतरीन विद्वानों को ही रखा था।
इस बात से भी हम सभी वाकिफ हैं कि बादशाह अकबर मात्र 13 वर्ष की आयु में तख्त पर बैठ गए थे और उनके साम्राज्य को किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है। अकबर अक्सर चर्चा में रहा करते थे बात फिर चाहे शासन की हो या कर प्रणाली या फिर दरबार का कोई मुद्दा। लेकिन उसके शासनकाल में उसके नौ रत्न (9 Jewels of Akbar) की चर्चा चारों तरफ थी। आज के इस लेख में हम आपको इन नौ रत्नों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
1) राजा मान सिंह (Maan Singh)
अकबर के नौ रत्नों में सबसे पहले लिया जाने वाला नाम हरखा बाई के भतीजे राजा मानसिंह का है। इन्हें मुगल सेना का सुप्रीम बनाया गया था।
2) फकीर अजिओ-दिन
यह राजा को धर्म से जुड़े मुद्दों पर सलाह देते थे और धर्म से जुड़े मुद्दे सुलझाते थे। धर्म से जुड़ा पेचीदा से पेचीदा मुद्दा भी इन्हें ही सुलझाना होता था।
3) तानसेन (Tansen)
तानसेन 60 वर्ष के एक बेहतरीन गायक थे और अकबर ने उन्हें मुगल संस्कृति की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप रखी थी।
4) फैजी (Faizi)
ये शिक्षा से जुड़े मामले देखते थे और अकबर के बेटे को सही राह दिखाने का कार्य भी इन्हीं का था। यह कोई मामूली शिक्षक नहीं थे इनके पास इस्लाम और ग्रीक साहित्य की गहरी जानकारी थी। शुरुआत में इन्हें केवल अकबर के बेटों को शिक्षा देने के लिए रखा गया था लेकिन बाद में इन्हें दरबार में भी शामिल कर लिया गया।
5) मुल्ला-दो-प्याजा
ये अकबर के राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते थे और सल्तनत की गृहमंत्री थे लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि यह सिर्फ एक कल्पना मात्र थे।
6) बीरबल (Birbal)
इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और इन्हें साहित्य में काफी रुचि थी। अपनी तेज बुद्धि के लिए काफी प्रचलित थी।
7) अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
यह दरबार के रक्षा मंत्री का पद संभालते थे और अकबर के गुरु बैरम खान के बेटे थे इन्होंने ही बाबरनामा का अनुवाद फारसी में किया था।
8) राजा टोडरमल
यह अकबर के दरबार का हिस्सा उस वक्त बने जब अकबर ने टोडरमल को शेरशाह की जगह आगरा की कमान संभालने का दायित्व दिया और यह एक लेखक के रूप में खूब प्रसिद्ध थे।
9) अबुल फ़ज़ल मुबारक
1575 में अकबर ने इन्हें अपना प्रधानमंत्री घोषित किया था। कहा जाता है कि जब से यह दरबार में शामिल हुए थे तभी से अकबर और अधिक उदार हो गए थे।
(PT)