![The 10 Oldest Languages [Pixabay]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-09-02%2Fyatz6dj7%2Fistockphoto-145239812-612x612.jpg?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
भाषा मानव सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण देन मानी जाती है। यह न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि किसी भी संस्कृति की पहचान, इतिहास और सोचने के तरीके को भी दर्शाती है। हजारों वर्षों से दुनिया भर में अनगिनत भाषाएं जन्मी और लुप्त हो गईं, लेकिन कुछ भाषाएं ऐसी भी हैं जो काफी पुरानी होने के बावजूद आज अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं। ये भाषाएं केवल बोलचाल का साधन नहीं, बल्कि इतिहास के जीवित दस्तावेज़ हैं। आज हम आपको उन 10 सबसे पुरानी भाषाओं (The 10 Oldest Languages) के बारे में बताएंगे जो आज भी विभिन्न देशों, समुदायों और क्षेत्रों में जीवंत रूप से बोली जा रही हैं। यह जानना न सिर्फ रोचक है, बल्कि प्रेरणादायक भी कि कैसे ये भाषाएं पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं और आज के आधुनिक समय में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। तो आइए, हम जानते हैं कि वो कौन-कौन सी भाषाएं हैं जो हजारों साल पुरानी होते हुए भी आज भी लोगों की ज़बान पर हैं।
तमिल दुनिया की सबसे पुरानी जीवित भाषा
तमिल भाषा (Tamil Language) को दुनिया की सबसे पुरानी जीवित भाषाओं (Tamil Is Oldest Living Languages) में से एक माना जाता है। इसकी शुरुआत लगभग 2,000 से 2,500 वर्ष पहले मानी जाती है, हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार इसके प्रमाण इससे भी पुराने हैं। तमिल भाषा द्रविड़ भाषा परिवार (Dravidian language family) की प्रमुख भाषा है और यह आज भी भारत के तमिलनाडु (Tamil Naddu) राज्य, श्रीलंका, सिंगापुर और मलेशिया में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है। तमिल न केवल बोली जाती है, बल्कि इसका समृद्ध साहित्य, कविता और शास्त्रीय ग्रंथ भी आज तक पढ़े और सराहे जाते हैं। यह भारत की आधिकारिक शास्त्रीय भाषाओं में से एक है, और इसकी सांस्कृतिक विरासत को यूनेस्को द्वारा भी मान्यता मिली है। आधुनिक तकनीक और इंटरनेट युग में भी तमिल भाषा ने अपने पारंपरिक स्वरूप और महत्व को बनाए रखा है।
संस्कृत भारतीय ज्ञान और संस्कृति की जननी
संस्कृत भाषा (Sanskrit language) को भारतीय सभ्यता की आत्मा (Sanskrit is Soul of Indian Civilization) कहा जाता है। यह एक प्राचीन आर्य भाषा (Oldest Arya Language) है जिसकी जड़ें वैदिक काल (1500 ईसा पूर्व या उससे पहले) तक जाती हैं। संस्कृत न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों (Sanskrit is language of religious and spiritual texts) की भाषा रही है, बल्कि विज्ञान, गणित, चिकित्सा, खगोलशास्त्र और दर्शन जैसे अनेक विषयों में भी इसका योगदान अमूल्य रहा है। वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण और भगवद्गीता जैसे महान ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गए हैं। यह भाषा आज भी भारत के कुछ क्षेत्रों, विशेषकर मंदिरों, गुरुकुलों और शास्त्रीय शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई और बोली जाती है। हालांकि यह आम बोलचाल की भाषा नहीं रही, फिर भी संस्कृत को भारत की शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है और यह आधुनिक भाषाओं की नींव मानी जाती है। संस्कृत न केवल भारत में, बल्कि विश्व के कई देशों में अध्ययन और अनुसंधान का विषय बनी हुई है।
यूनानी (Greek) है यूरोप की भाषाओं की जड़
यूनानी भाषा (Greek language) दुनिया की सबसे पुरानी जीवित भाषाओं में से एक है, जिसकी लिखित परंपरा लगभग 3400 साल पुरानी मानी जाती है। यह भाषा इंडो-यूरोपीय भाषा (Indo-European languages) परिवार का हिस्सा है और आज भी ग्रीस और साइप्रस (Greece and Cyprus) में लाखों लोगों द्वारा बोली जाती है। प्राचीन यूनानी भाषा में लिखे गए ग्रंथों ने दर्शन, विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र और राजनीति जैसे क्षेत्रों को एक नई दिशा दी। प्लेटो, अरस्तू, होमर जैसे महान विद्वानों और लेखकों ने इसी भाषा में अमूल्य साहित्य की रचना की। न्यू टेस्टामेंट (ईसाई धर्मग्रंथ) का मूल रूप भी यूनानी में ही लिखा गया था। आज का आधुनिक ग्रीक, प्राचीन यूनानी से विकसित हुआ है, लेकिन इसकी जड़ें आज भी उतनी ही मजबूत हैं। यूनानी भाषा पश्चिमी सभ्यता की बुनियादों में से एक मानी जाती है, जो आज भी शिक्षा, संस्कृति और शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
चीनी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली प्राचीन भाषा
चीनी भाषा (Chinese Language), विशेष रूप से मैंडरिन(Mandarin), दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और इसकी इतिहासिक जड़ें करीब 3000 साल पुरानी हैं। चीनी भाषा का पहला लिखित प्रमाण शांग राजवंश (लगभग 1250 ईसा पूर्व) के "ओरेकल बोन" ("Oracle Bone") लेखों में मिलता है। यह भाषा सिनो-टिबेटन भाषा परिवार (Sino-Tibetan language family) की प्रमुख शाखा है। चीनी लिपि, जिसे लोगोग्राफिक स्क्रिप्ट (Logographic Script) कहा जाता है, विश्व की सबसे पुरानी सतत प्रयुक्त लिखावट प्रणालियों में से एक है। हजारों सालों से यह भाषा न केवल संवाद का माध्यम रही है, बल्कि साहित्य, कला, दर्शन और विज्ञान के क्षेत्रों में भी इसका अत्यंत समृद्ध योगदान रहा है। आज भी चीन, ताइवान, सिंगापुर और कई अन्य देशों में चीनी भाषा करोड़ों लोगों द्वारा बोली और पढ़ी जाती है, और इसकी वैश्विक आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभावशीलता लगातार बढ़ रही है।
हिब्रू जिसे समझा गया था मरा हुआ
हिब्रू भाषा (Hebrew Language) एक प्राचीन सेमेटिक भाषा है, जिसकी उत्पत्ति लगभग 3000 साल पहले हुई मानी जाती है। यह भाषा विशेष रूप से यहूदी धर्मग्रंथों , जैसे कि तनाख (यहूदी बाइबिल) की मूल भाषा रही है। एक समय ऐसा भी आया जब हिब्रू केवल धार्मिक अनुष्ठानों और ग्रंथों तक सीमित रह गई थी, और इसे एक "मृत भाषा" माना जाने लगा। लेकिन 19वीं और 20वीं शताब्दी में एलिएज़र बेन-यहूदा जैसे विद्वानों के प्रयासों से इस भाषा को पुनर्जीवित किया गया। आज हिब्रू इज़राइल की आधिकारिक भाषा है और लाखों लोग इसे दैनिक जीवन में बोलते हैं। हिब्रू भाषा (Hebrew language) इस बात का अद्भुत उदाहरण है कि कैसे एक प्राचीन भाषा आधुनिक युग में वापस जीवंत हो सकती है और एक पूरे राष्ट्र की पहचान बन सकती है।
अरबी है कुरान की भाषा
अरबी भाषा (Arabic Language) की उत्पत्ति लगभग 1500 साल पहले मानी जाती है, लेकिन इसके मौखिक स्वरूप की जड़ें इससे भी पहले की हैं। यह भाषा सेमेटिक भाषा परिवार (Semitic Language Family) का हिस्सा है और इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि यह इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘कुरान’ (Arabic Language is The holy book of Islam 'Quran') की भाषा है। 7वीं शताब्दी में इस्लाम के उदय के साथ अरबी ने पूरे मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और कई एशियाई देशों में तेज़ी से प्रसार पाया। अरबी भाषा (Arabic Language) ने न केवल धार्मिक क्षेत्र में, बल्कि गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, दर्शन और साहित्य में भी ऐतिहासिक योगदान दिया है। आज अरबी दुनिया की प्रमुख भाषाओं में से एक है, जिसे लगभग 25 से अधिक देशों में बोला जाता है और यह संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में भी शामिल है। अरबी की लिपि और ध्वनि संरचना इसे भाषाई दृष्टि से भी बेहद समृद्ध बनाती है।
आरामाईक ईसा मसीह की मातृभाषा
आरामाईक भाषा (Aramaic Language) एक प्राचीन सेमेटिक भाषा (Ancient Semitic Language) है, जिसकी उत्पत्ति लगभग 3000 साल पहले मध्य पूर्व के क्षेत्र में हुई थी। यह भाषा एक समय में पूरे पश्चिमी एशिया में प्रमुख संवाद का माध्यम थी और इसे विभिन्न साम्राज्यों जैसे कि असीरियन, बेबीलोनियन और फारसी साम्राज्य द्वारा प्रशासनिक भाषा के रूप में अपनाया गया था। आरामाईक की ऐतिहासिक महत्ता का एक बड़ा कारण यह भी है कि इसे ईसा मसीह की मातृभाषा माना जाता है (Aramaic is believed to be the mother tongue of Jesus Christ), और बाइबिल के कुछ अंश इसी भाषा में लिखे गए थे। आज यह भाषा विलुप्ति की कगार पर है, लेकिन फिर भी सीरिया, ईराक, ईरान और कुछ यहूदी व ईसाई समुदायों में इसके कुछ बोलचाल के रूप अब भी जीवित हैं। आरामाईक भाषा इतिहास और धर्म के दृष्टिकोण से एक अमूल्य विरासत मानी जाती है।
फारसी कविता, संस्कृति और सभ्यता की भाषा
फारसी (Persian Language), जिसे पारसी या फ़ार्सी भी कहा जाता है, एक प्राचीन ईरानी भाषा है जिसकी उत्पत्ति लगभग 2500 साल पहले हुई मानी जाती है। यह भाषा हिन्द-ईरानी शाखा की सदस्य है और ऐतिहासिक रूप से ईरान, अफगानिस्तान (दरी), और ताजीकिस्तान (ताजिक) की प्रमुख भाषा रही है। फारसी ने साहित्य, कविता और दर्शन के क्षेत्र में अत्यंत समृद्ध परंपरा को जन्म दिया। रूमी, हाफ़िज़, उमर खैय्याम और फ़िरदौसी जैसे महान कवि इसी भाषा की देन हैं। भारत में भी मुग़ल काल के दौरान फारसी शाही दरबार और प्रशासन की भाषा रही है, और इसने उर्दू व हिंदी पर गहरा प्रभाव डाला। आज भी फारसी भाषा ईरान की आधिकारिक भाषा है और लाखों लोग इसे बोलते हैं। इसकी मधुरता और काव्यात्मक शैली के कारण इसे आज भी प्रेम और संस्कृति की भाषा माना जाता है।
लैटिन यूरोपीय भाषाओं की मां
लैटिन भाषा (Latin language) की उत्पत्ति प्राचीन रोम में हुई थी और इसका इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। यह भाषा एक समय में रोमन साम्राज्य की प्रमुख भाषा रही, जिसने यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के बड़े हिस्से को प्रभावित किया। लैटिन को “मृत भाषा” माना जाता है क्योंकि यह अब किसी देश की मातृभाषा नहीं है, लेकिन यह अब भी वैटिकन सिटी में धार्मिक और औपचारिक भाषा के रूप में जीवित है। इसके अलावा, चिकित्सा, जीवविज्ञान, कानून और दर्शन जैसे क्षेत्रों में लैटिन शब्दावली का व्यापक उपयोग होता है। लैटिन को इतालवी, फ्रेंच, स्पेनिश, पुर्तगाली और रोमानियाई जैसी कई आधुनिक यूरोपीय भाषाओं की नींव माना जाता है। यह भाषा आज भी शिक्षा, शोध और चर्च की परंपराओं में सम्मान के साथ उपयोग की जाती है।
जापानी अनोखी लिपि और सांस्कृतिक धरोहर
जापानी भाषा (Japanese Language) की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मत हैं, लेकिन माना जाता है कि इसकी शुरुआत लगभग 1500 से 2000 साल पहले हुई थी। जापानी भाषा अलग भाषा परिवार से जुड़ी है और इसकी लिपि में कांजी (चीनी वर्ण), हिरागाना और काटाकाना जैसी विशेष प्रणालियां शामिल हैं। जापानी संस्कृति और साहित्य में इस भाषा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हाइकू कविता, पारंपरिक नाटक और समकालीन साहित्य में जापानी भाषा की खास शैली और सौंदर्य साफ झलकती है। जापान में आज भी लगभग 125 मिलियन लोग जापानी बोलते हैं, और यह भाषा तकनीकी, विज्ञान, कला और व्यापार में वैश्विक प्रभाव रखती है। जापानी भाषा की अनोखी लिपि और व्याकरण इसे विश्व की सबसे दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण भाषाओं में से एक बनाती है।
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दुनिया की सबसे पुरानी भाषाएं न केवल समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं, बल्कि वे आज भी जीवित संस्कृति, इतिहास और ज्ञान की धरोहर हैं। तमिल, संस्कृत, यूनानी, चीनी, हिब्रू, अरबी, आरामाईक, फारसी, लैटिन और जापानी जैसी भाषाएं हजारों वर्षों से बदलती दुनिया में अपनी खास पहचान बनाए हुए हैं। ये भाषाएं न केवल संवाद का माध्यम हैं, बल्कि उन सभ्यताओं की गवाही भी हैं जिन्होंने मानव इतिहास को आकार दिया। इन भाषाओं के अध्ययन से हमें अपने अतीत को समझने, सांस्कृतिक समृद्धि को जानने और मानवता के विकास की कहानी को महसूस करने का अवसर मिलता है। आधुनिक तकनीक और वैश्वीकरण के युग में भी ये भाषाएं अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान के खजाने की तरह हैं। इसलिए, इन प्राचीन भाषाओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार हमारी साझा जिम्मेदारी है। [Rh/SP]