
इतिहास के पन्नों में हर दिन अपने साथ कुछ खास घटनाएँ समेटे होता है। 18 सितम्बर का दिन भी ऐसा ही है, जिसने भारत और विश्व के कई पहलुओं को प्रभावित किया। यह दिन राजनीति, विज्ञान, युद्ध, साहित्य और समाज से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है। कभी इस दिन नई खोजों ने मानव जीवन को दिशा दी, तो कभी बड़े राजनीतिक फैसलों ने देशों की तस्वीर बदल दी। इतिहास हमें यह याद दिलाता है कि बीते हुए कल की घटनाएँ आने वाले कल की नींव होती हैं। आइए जानते हैं 18 सितम्बर से जुड़ी कुछ अहम ऐतिहासिक घटनाएँ। आइए जानते हैं 18 सितंबर (History Of 18th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।
18 सितम्बर 1824 को यूरोप में खबर फैली कि नेपोलियन बोनापार्ट (Death of Napoleon Bonaparte) की मृत्यु हो चुकी है। हालांकि उनकी असली मृत्यु 1821 में हुई थी, लेकिन उस दौर की सूचना व्यवस्था कमजोर होने के कारण यूरोप के कुछ हिस्सों में 1824 तक इस सूचना की आधिकारिक पुष्टि हुई। नेपोलियन फ्रांस के महान सेनापति और शासक थे, जिनकी रणनीतियाँ आज भी पढ़ाई जाती हैं। उनकी मृत्यु की खबर ने यूरोपीय राजनीति को बदल दिया और कई देशों ने नए गठबंधन बनाने शुरू कर दिए।
18 सितम्बर 1837 को ब्रिटेन में डाक व्यवस्था को संगठित (Organised postal system in Britain) और सरल बनाने के लिए नया कानून लागू किया गया। यह कानून डाक सेवाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम था। इसके बाद आम जनता को सस्ती दरों पर डाक सेवाओं का लाभ मिलने लगा। इस सुधार ने न केवल ब्रिटेन में संचार व्यवस्था को मजबूत किया बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण पेश किया। इस कदम ने लोगों के बीच पत्राचार को आसान बनाया और शिक्षा, व्यापार तथा सामाजिक संबंधों को प्रगाढ़ करने में बड़ी भूमिका निभाई।
18 सितम्बर 1896 को जापान में एक भयंकर भूकंप (A massive earthquake strikes Japan) आया था जिसने हजारों लोगों की जान ले ली। यह भूकंप आधुनिक जापानी इतिहास की बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में गिना जाता है। उस समय जापान अभी विकासशील अवस्था में था और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त साधन नहीं थे। इस आपदा के बाद जापान सरकार ने आपदा प्रबंधन की दिशा में काम करना शुरू किया। आगे चलकर यही अनुभव जापान को भूकंप-रोधी निर्माण तकनीकों और बचाव व्यवस्थाओं के लिए विश्व स्तर पर अग्रणी देश बनाने में सहायक हुआ।
18 सितम्बर 1931 को बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में एक विनाशकारी भूकंप (A devastating earthquake struck Burma (present-day Myanmar) आया था। इस भूकंप ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली और हजारों घरों को तबाह कर दिया। दक्षिण एशिया के इस हिस्से में आए इस भूकंप ने ब्रिटिश शासन के समय प्रशासन को चुनौती दी। बर्मा की यह त्रासदी भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के लिए भी एक चेतावनी थी क्योंकि भूकंप की आशंका इस पूरे क्षेत्र में बनी रहती है। इस घटना ने आपदा प्रबंधन और भूगर्भीय अध्ययन पर ध्यान देने की आवश्यकता को उजागर किया।
18 सितम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपना पहला शांति मिशन शुरू किया (The United Nations (UN) launched its first peacekeeping mission)। यह मिशन मध्य-पूर्व में अरब-इजरायल संघर्ष को रोकने के लिए भेजा गया था। इस मिशन की अगुवाई काउंट बर्नाडोट नामक एक राजनयिक ने की। हालांकि उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन यह मिशन आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र की पहचान बना। आज दुनिया भर में UN के शांति मिशन काम कर रहे हैं। इस घटना ने विश्व राजनीति को एक नई दिशा दी और यह साबित किया कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग शांति की स्थापना के लिए जरूरी है।
18 सितम्बर 1933 को भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और नेता विट्ठलभाई पटेल का निधन (Leader Vithalbhai Patel passes away) हुआ। वे सरदार वल्लभभाई पटेल के बड़े भाई थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। विट्ठलभाई पटेल भारत की केंद्रीय विधान सभा के पहले निर्वाचित अध्यक्ष बने थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और युवाओं को जागरूक करने का काम किया। उनके निधन से स्वतंत्रता आंदोलन को बड़ा झटका लगा, लेकिन उनके विचार और योगदान आज भी भारतीय राजनीति में याद किए जाते हैं।
18 सितम्बर को भारत में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UN Peacekeeping Missions) में योगदान देने वाले भारतीय सैनिकों को विशेष रूप से याद किया जाता है। 1948 के बाद भारत ने कई बार शांति सेनाओं को विश्व के विभिन्न देशों में भेजा। इस दिन भारतीय सैनिकों के बलिदान और योगदान का स्मरण किया जाता है। भारत आज भी UN Peacekeeping Missions में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। यह घटना भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करती है और देश की प्रतिबद्धता को शांति एवं मानवता के प्रति दर्शाती है।