20 सितंबर: जानें इस दिन से जुड़ी कुछ खास घटनाएं

इतिहास में 20 सितम्बर का दिन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा है। इस दिन भारत और विश्व में अनेक घटनाएँ घटीं जिन्होंने राजनीति, समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला। स्वतंत्रता संग्राम, युद्ध, वैज्ञानिक खोजें और अंतरराष्ट्रीय समझौतों जैसे कई प्रसंग इस तारीख से जुड़े हुए हैं।
History Of 20th September
History Of 20th September [Sora Ai]
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इतिहास में 20 सितम्बर का दिन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा है। इस दिन भारत और विश्व में अनेक घटनाएँ घटीं जिन्होंने राजनीति, समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला। स्वतंत्रता संग्राम, युद्ध, वैज्ञानिक खोजें और अंतरराष्ट्रीय समझौतों जैसे कई प्रसंग इस तारीख से जुड़े हुए हैं। भारत में आज़ादी की लड़ाई, संसद से जुड़े फैसले और प्रमुख नेताओं की गतिविधियों के कारण यह दिन खास रहा, वहीं विश्व स्तर पर युद्ध, अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और सामाजिक सुधारों ने 20 सितम्बर को ऐतिहासिक बना दिया। आइए, जानते हैं इस दिन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम विस्तार से। आइए जानते हैं 20 सितम्बर से जुड़ी कुछ अहम ऐतिहासिक घटनाएँ। आइए जानते हैं 20 सितंबर (History Of 20th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।

क्रीमियन युद्ध की बैलाक्लावा की लड़ाई

Battle of Balaclava [Wikimedia Commons]
Battle of Balaclava [Wikimedia Commons]

20 सितम्बर 1854 को क्रीमियन युद्ध के दौरान बैलाक्लावा की लड़ाई (Battle of Balaclava during the Crimean War) लड़ी गई। यह युद्ध रूस और ब्रिटेन, फ्रांस, उस्मानिया साम्राज्य व सार्डिनिया के गठबंधन के बीच हुआ था। इस युद्ध में आधुनिक हथियारों और युद्धक रणनीतियों का बड़ा उपयोग देखने को मिला। यह लड़ाई रूस के विस्तारवाद को रोकने के लिए लड़ी गई थी। बैलाक्लावा की इस लड़ाई (Battle of Balaclava) ने यूरोप की राजनीति में नई दिशा दी और रूस को काफी नुकसान झेलना पड़ा। बाद में यह युद्ध यूरोप के शक्ति संतुलन का प्रतीक बन गया।

दिल्ली पर ब्रिटिश नियंत्रण

Bahadur Shah Zafar Got Arrested [Wikimedia Commons]
Bahadur Shah Zafar Got Arrested [Wikimedia Commons]

20 सितम्बर 1857 को भारत की आज़ादी की पहली लड़ाई के दौरान दिल्ली पर ब्रिटिश सेना ने कब्ज़ा कर लिया। बहादुर शाह ज़फर (Bahadur Shah Zafar Got Arrested) को गिरफ्तार कर अंग्रेजों ने उनके शासन का अंत कर दिया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक साबित हुई क्योंकि दिल्ली की हार से विद्रोहियों का मनोबल टूट गया। इसके बाद अंग्रेजों ने धीरे-धीरे पूरे देश पर फिर से अपनी पकड़ मजबूत की। हालांकि यह असफलता थी, लेकिन इसने भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की प्रेरणा दी।

कैलिफ़ोर्निया में महिलाओं को मतदान का अधिकार

The state of California granted women the right to vote [Wikimedia Commons]
The state of California granted women the right to vote [Wikimedia Commons]

20 सितम्बर 1911 को अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया (The state of California granted women the right to vote) । यह घटना अमेरिका के महिला अधिकार आंदोलन की बड़ी सफलता थी। उस दौर में महिलाओं को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता था। कैलिफ़ोर्निया (California) के फैसले ने अमेरिका के अन्य राज्यों पर भी असर डाला और धीरे-धीरे पूरे देश में महिलाओं को समान अधिकार मिलने लगे। यह घटना महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई और विश्वभर में महिला अधिकार आंदोलनों को बल मिला।

फ्रांस में महिला मताधिकार की शुरुआत

Women voted in parliamentary elections [Wikimedia Commons]
Women voted in parliamentary elections [Wikimedia Commons]Anton Gutmann

20 सितम्बर 1946 को फ्रांस में पहली बार महिलाओं ने संसदीय चुनावों में मतदान किया (Women voted in parliamentary elections for the first time in France)। यह फ्रांसीसी समाज (french society) के लिए बड़ा बदलाव था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फ्रांस में लोकतांत्रिक मूल्यों को फिर से स्थापित किया जा रहा था और इस प्रक्रिया में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिया गया। फ्रांस के इस कदम ने यूरोप में महिला अधिकारों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। इससे साबित हुआ कि लोकतंत्र तभी सशक्त हो सकता है जब उसमें महिला और पुरुष दोनों समान भागीदारी निभाएँ।

दक्षिण भारत में तूफ़ान से भारी तबाही

A severe storm hit the coastal areas [Wikimedia Commons]
A severe storm hit the coastal areas [Wikimedia Commons]

20 सितम्बर 1963 को तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश (Tamil Naddu and Andhra Pradesh) के तटीय इलाकों में एक भीषण तूफ़ान आया (A severe storm hit the coastal areas)। इस प्राकृतिक आपदा में सैकड़ों लोगों की मौत हुई और हजारों बेघर हो गए। फसलों, पशुओं और संपत्ति को भारी नुकसान पहुँचा। भारतीय सरकार ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया लेकिन तबाही का स्तर इतना बड़ा था कि पुनर्वास में लंबे समय लगे। इस आपदा ने भारत को यह सीख दी कि आपदा प्रबंधन और चेतावनी तंत्र को मजबूत करना बेहद जरूरी है।

वियतनाम का संयुक्त राष्ट्र में प्रवेश

Vietnam officially became a member of the United Nations [Wikimedia Commons]
Vietnam officially became a member of the United Nations [Wikimedia Commons]

20 सितम्बर 1977 को वियतनाम आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना (Vietnam officially became a member of the United Nations)। लंबे समय तक युद्ध झेलने के बाद वियतनाम का अंतरराष्ट्रीय राजनीति में स्वागत एक ऐतिहासिक घटना थी। यह सदस्यता वियतनाम की वैश्विक स्तर पर मान्यता और स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम थी। संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता मिलने से वियतनाम को आर्थिक सहयोग, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और विकास के अवसर प्राप्त हुए। इस घटना ने शीत युद्ध के दौरान एशिया की राजनीति पर भी असर डाला।

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का आतंकवाद पर भाषण

US President George W. Bush [Wikimedia Commons]
US President George W. Bush [Wikimedia Commons]

11 सितम्बर 2001 के आतंकी हमले के बाद 20 सितम्बर को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश (US President George W. Bush) ने कांग्रेस और अमेरिकी जनता को संबोधित किया। इस भाषण में उन्होंने ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ की घोषणा (Declaration of 'war on terror') की। बुश ने तालिबान सरकार से अल-कायदा आतंकियों को सौंपने की मांग की। यह भाषण विश्व राजनीति में निर्णायक रहा क्योंकि इसके बाद अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ अभियान शुरू किया।

संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की सदस्यता की मांग

President Mahmoud Abbas [Wkimedi Commons]
President Mahmoud Abbas [Wkimedi Commons]VUGAR AMRULLAYEV

20 सितम्बर 2011 को फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास (President Mahmoud Abbas) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने की औपचारिक मांग की। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा का विषय बनी। अमेरिका और कुछ अन्य देशों के विरोध के बावजूद, इस कदम ने फिलिस्तीन की स्वतंत्रता की मांग को मजबूत किया। इससे पश्चिम एशिया की राजनीति और शांति प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ा।

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