अमेरिका और रूस: प्यार और नफरत का रिश्ता जो दशकों से चल रहा है

हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात ने दुनिया को फिर याद दिला दिया कि अमेरिका और रूस का रिश्ता कभी सीधा और सरल नहीं रहा। कई दशक बीत गए, लेकिन यह रिश्ता हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा।
अमेरिका और रूस (Sora AI)
अमेरिका और रूस (Sora AI)
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द्वितीय विश्व युद्ध (World War II)

द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान अमेरिका (USA) और सोवियत संघ (Soviet Union) नाज़ी जर्मनी (Nazi Germany) के खिलाफ एक ही पक्ष में खड़े थे दोनों ही अलाइड पावर (Allied Power) के मेंबर थे। लेकिन यह दोस्ती भरोसे पर नहीं, बल्कि मजबूरी पर टिकी थी। जैसे ही युद्ध खत्म हुआ, दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे और दोनों के बीच असली तनाव शुरू हुआ।

शीत युद्ध (Cold War) की शुरुआत

1940 के दशक के आखिर में यह टकराव शीत युद्ध (Cold War) के नाम से जाना जाने लगा। अमेरिका (USA) पूँजीवाद (Capitalism) का समर्थन करता था, जिसमें व्यापार और संपत्ति निजी हाथों में होती है, बाज़ार दाम तय करता है और व्यक्ति को मेहनत से कमाने और खर्च करने की आज़ादी होती है। इसके सामने, सोवियत संघ (Soviet Union) साम्यवाद (Communism) का समर्थक था, जिसमें ज़मीन, उद्योग और संसाधन राज्य (Government) के कब्ज़े में होते हैं और संपत्ति सभी को बराबर बाँटने का विचार रहता है।

इन्हीं विचारों का टकराव उनकी राजनीति में दिखा। अमेरिका (USA) ने यूरोप को सँभालने और साम्यवाद (Communism) को रोकने के लिए मार्शल प्लान (Marshall Plan) शुरू किया। इसके जवाब में सोवियत संघ (Soviet Union) ने अपने गुट बनाए। इस तरह यूरोप दो हिस्सों में बँट गया, एक तरफ अमेरिका (USA) के नेतृत्व में नाटो (NATO) और दूसरी तरफ सोवियत संघ (Soviet Union) का वारसा पैक्ट (Warsaw Pact) । विंस्टन चर्चिल (Winston Churchill) ने इसे “आयरन कर्टन (Iron Curtain)” कहा।

दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे और दोनों के बीच असली तनाव शुरू हुआ। (Sora AI)
दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे और दोनों के बीच असली तनाव शुरू हुआ। (Sora AI)

हथियार, अंतरिक्ष और प्रॉक्सी युद्ध (Proxy Wars)

अमेरिका (USA) और सोवियत संघ (Soviet Union) सीधे युद्ध में नहीं भिड़े, बल्कि उन्होंने प्रॉक्सी युद्ध (Proxy War) लड़े। इसका मतलब है कि दो ताकतें सीधे लड़ाई में न जाकर अलग-अलग देशों या पक्षों को समर्थन पैसा और हथियार देती हैं।

कोरिया युद्ध (Korean War, 1950–53) में अमेरिका (USA) ने दक्षिण कोरिया (South Korea) का साथ दिया जबकि सोवियत संघ (Soviet Union) ने उत्तर कोरिया (North Korea) को समर्थन दिया।

वियतनाम युद्ध (Vietnam War, 1955–75) में अमेरिका (USA) दक्षिण वियतनाम (South Vietnam) के साथ था और सोवियत संघ (Soviet Union) व चीन (China) उत्तर वियतनाम (North Vietnam) के साथ।

इसी दौरान दोनों देशों ने परमाणु हथियार बनाए और अंतरिक्ष में भी एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी। 1957 में सोवियत संघ (Soviet Union) ने स्पुतनिक (Sputnik) लॉन्च किया, जिससे अमेरिका (USA) चौंक गया और “स्पेस रेस (Space Race)” शुरू हो गई। सबसे खतरनाक पल 1962 का क्यूबा मिसाइल संकट (Cuban Missile Crisis) था, जब दुनिया परमाणु युद्ध के बेहद करीब पहुँच गई थी।

थोड़े समय की शांति (Détente)

1970 के दशक में रिश्तों में थोड़ी नरमी आई। अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (Richard Nixon) और सोवियत नेता लियोनिद ब्रेज़नेव (Leonid Brezhnev) मिले और परमाणु हथियार सीमित करने के समझौते (SALT treaties) पर हस्ताक्षर किए। लेकिन फिर भी दोनों अफ्रीका और एशिया में अलग-अलग गुटों को समर्थन देते रहे।

 इन दोनों का रिश्ता अभी खत्म होने से बहुत दूर है। (Sora AI)
इन दोनों का रिश्ता अभी खत्म होने से बहुत दूर है। (Sora AI)

अफ़ग़ानिस्तान तनाव

1979 में सोवियत संघ (Soviet Union) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर हमला किया, जिससे रिश्ते फिर बिगड़ गए। अमेरिका (USA) ने अफगान लड़ाकों (Mujahideen) को हथियार और पैसा दिया। राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (Ronald Reagan) ने सोवियत संघ (Soviet Union) को “ईविल एम्पायर (Evil Empire)” कहा और हथियारों का बड़ा भंडार खड़ा किया। यहाँ तक कि 1980 के दशक में ओलंपिक खेलों का भी दोनों देशों ने बहिष्कार किया।

शीत युद्ध का अंत

1980 के दशक में सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) सत्ता में आए। उनकी नीतियाँ, ग्लासनोस्त (Glasnost: खुलापन) और पेरेस्त्रोइका (Perestroika: सुधार) सोवियत व्यवस्था को कमज़ोर करने लगीं। 1987 में गोर्बाचेव (Gorbachev) और रीगन (Reagan) ने परमाणु हथियार कम करने का समझौता किया। 1989 में बर्लिन की दीवार (Berlin Wall) गिरी और 1991 में सोवियत संघ (Soviet Union) टूट गया। अमेरिका (USA) अब अकेला महाशक्ति (Superpower) बन गया।

सोवियत संघ के बाद

1990 का दशक रूस (Russia) के लिए कठिन था। राष्ट्रपति बोरिस येल्त्सिन (Boris Yeltsin) के समय अर्थव्यवस्था कमजोर थी और अमेरिका (USA) वैश्विक राजनीति पर हावी था। नाटो (NATO) लगातार पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) तक फैलता गया, जिससे रूस (Russia) को खतरा महसूस हुआ। 1999 में अमेरिका (USA) और नाटो (NATO) ने सर्बिया (Serbia) पर हमला किया, जिससे रूस (Russia) नाराज़ हो गया।

पुतिन (Putin) का दौर

2000 में व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) राष्ट्रपति बने और रूस (Russia) को फिर से ताकतवर बनाने का वादा किया। 9/11 हमलों के बाद कुछ समय के लिए अमेरिका (USA) और रूस (Russia) ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग किया, लेकिन जल्द ही रिश्ते फिर बिगड़ गए। 2008 में रूस (Russia) ने जॉर्जिया (Georgia) पर हमला किया और 2014 में क्रीमिया (Crimea) को अपने साथ मिला लिया। अमेरिका (USA) ने रूस (Russia) पर प्रतिबंध (Sanctions) लगा दिए।

2016 में अमेरिकी चुनावों (US Elections) में दखल देने के आरोपों ने दोनों देशों के रिश्ते और खराब कर दिए।

रिश्ते आज बेहद खराब स्थिति में हैं। (Sora AI)
रिश्ते आज बेहद खराब स्थिति में हैं। (Sora AI)

मौजूदा स्थिति

2022 में रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर हमला किया, जिसके बाद अमेरिका (USA) ने यूरोप (Europe) के देशों के साथ मिलकर रूस (Russia) पर भारी प्रतिबंध लगाए और यूक्रेन (Ukraine) को हथियार दिए। रिश्ते आज बेहद खराब स्थिति में हैं।

लेकिन 2025 में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की वापसी ने एक नया मोड़ लाई। जब ट्रंप (Trump) और पुतिन (Putin) मिले, तो चर्चा हुई कि क्या कुछ प्रतिबंध (Sanctions) कम किए जा सकते हैं, क्या ऊर्जा (Energy) में सहयोग बढ़ सकता है और यहाँ तक कि क्या यूक्रेन (Ukraine) युद्ध पर कोई युद्धविराम (Ceasefire) का रास्ता निकल सकता है। हालाँकि कोई ठोस समझौता नहीं हुआ, लेकिन इस मुलाकात ने यह संकेत दिया कि ट्रंप (Trump) के रहते अमेरिका (USA) शायद रूस (Russia) के साथ थोड़ा नरम रुख अपना सकता है।

निष्कर्ष

इतिहास बताता है कि अमेरिका और रूस के बीच न दोस्ती स्थायी है, न दुश्मनी। कभी दोनों साथ खड़े होते हैं, कभी एक-दूसरे के आमने-सामने। आने वाले सालों में क्या होगा, एक नया शीत युद्ध (Cold War) या अप्रत्याशित सहयोग, यह समय बताएगा। लेकिन इतना साफ है कि इन दोनों का रिश्ता अभी खत्म होने से बहुत दूर है। (Rh/Eth/BA)

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