3 दिसंबर को भारत देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) का जन्मदिन होता है। डॉ प्रसाद एक उच्चतम सम्मान प्राप्त वकील भी थे। यही कारण है कि कानूनी पेशे में इसी दिन को अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज हम आपको अधिवक्ता दिवस (Advocate Day) के उपलक्ष में एक ऐसे मुख्य न्यायधीश (Chief Justice) के बारे में बताएंगे जो बिना लॉ की डिग्री के ही मुख्य न्यायाधीश बने तो चलिए शुरू करते है आज का यह लेख।
• के.एन वांचू/कैलाश नाथ वांचू (Kailash Nath Wanchoo)
भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके के.एन वांचू एकमात्र गैर वकील व्यक्ति है जो मुख्य न्यायधीश बने। इनका जन्म 1903 में मध्य प्रदेश में हुआ था। इन्होंने अपने आईसीएस प्रशिक्षण के लिए दंड विधि या फौजदारी कानून (Criminal Law) का कुछ हिस्सा पढ़ा।
• 1926 में संयुक्त प्रांत में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त होने के पश्चात आखिर में रायबरेली (Raibareli) के जिला न्यायाधीश बन गए।
• 1947 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad HC) में कार्यवाहक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
• इसके बाद 1956 में नये राजस्थान उच्च न्यायालय (New Rajasthan HC) के मुख्य न्यायाधीश बने।
• और अंततः 1967 में भारत के मुख्य न्यायधीश बने।
आखिर कैसे इन्हें मुख्य न्यायधीश नियुक्त किया गया?
मुख्य न्यायाधीश के.एस.सुब्बा राव (K.S. Subbarao) ने अचानक राष्ट्रपति चुनाव लडने के लिए इस्तीफा दे दिया था जिस कारण वांचू को मुख्य न्यायाधीश घोषित किया गया और इन्होंने 10 महीने तक सेवा प्रदान की। इनके बाद न्यायधीश मुहम्मद हिदायतुल्लाह (Justice Mohammad Hidayutullah) ने कार्यभार संभाला।
इनके द्वारा लिए गए कुछ ऐतिहासिक फैसले
*आईसी गोलकनाथ बनाम पंजाब सरकार: संविधान के किसी भी हिस्से को संसद द्वारा बदला जा सकता है एवम् सांसद ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है।
• साउदर्न रेलवे के जनरल मैनेजर बनाम रंगाचारी: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ( प्रमोशन में आरक्षण लागू होना चाहिए) जाते हुए इन्होंने अपना फैसला सुनाया।
इन सभी फैसलों में इन्होंने लीग से हटकर निर्णय लिए। और भी बहुत से बड़े फैसलों के लिए ये जाने जाते है।
हालांकि वांचू कानून के ज्ञाता नहीं थे लेकिन उनके द्वारा पढ़ा गया फौजदारी कानून का कुछ हिस्सा उनके बहुत काम आया।
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