न्यूजग्राम हिंदी: भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos missile) का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल स्वदेशी बूस्टर से लैस है। नौसेना ने अरब सागर में अपने समुद्री जहाज से इस मिसाइल का परीक्षण किया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ब्रह्मोस मिसाइल के बूस्टर को डीआरडीओ (DRDO) ने डिजाइन किया है। नौ सेना द्वारा किए गए परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने अरब सागर में सटीक हमला करते हुए अपने लक्ष्य को भेदा है। रविवार शाम भारतीय नौसेना ने इस मिसाइल का परीक्षण कोलकाता (Kolkata) स्थित अपने युद्धपोत से किया। ब्रह्मोस मिसाइल में भारत लगातार स्वदेशी तकनीक बढ़ाने पर काम कर रहा है।
मिसाइल के परीक्षण पर नौसेना ने आधिकारिक बयान में कहा कि भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ द्वारा डिजाइन की गई स्वदेशी साधक और वर्धक ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया है। इस मिसाइल ने अरब सागर में सटीक हमला किया है। नौसेना का कहना है कि ब्रह्मोस मिसाइल आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। भारतीय नौसेना के मुताबिक मिसाइल का परीक्षण कोलकाता क्लास गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर वार शिप से किया गया है।ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूसी संघ के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम है। भारतीय वायुसेना ने इससे पहले सुखोई एसयू-30 एमकेआई विमान से ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। बीते वर्ष दिसंबर में सुखोई विमान से दागी गई यह विस्तारित रेंज संस्करण की एयर लॉन्च मिसाइल थी। भारतीय वायुसेना ने बताया कि यह एयर लॉन्च मिसाइल करीब 400 किलोमीटर के दायरे में लक्ष्य को भेद सकती है।
सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान से प्रक्षेपित किए जाने के बाद मिसाइल ने अपने जहाज के केंद्र में लक्ष्य को भेदा था। मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में वांछित मिशन उद्देश्यों को प्राप्त किया। भारतीय वायुसेना ने कहा कि इसके साथ वायुसेना ने लंबी दूरी पर भूमि और समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ विमान से सटीक हमले करने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता वृद्धि हासिल की है।भारतीय वायुसेना के अनुसार, सुखोई एसयू-30 विमान के उच्च प्रदर्शन के साथ युग्मित मिसाइल की विस्तारित रेंज क्षमता उन्हें एक रणनीतिक पहुंच देती है। इस पहल भारत को भविष्य के युद्ध क्षेत्रों पर हावी होने की क्षमता देती है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना कि भारतीय वायुसेना, भारतीय नौसेना, डीआरडीओ, बीएपीएल और एचएएल के समर्पित और सहक्रियाशील प्रयासों ने इस उपलब्धि को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आईएएनएस/PT