Geoffrey Hinton
जेफ्री हिन्टन (Geoffrey Hinton) को अक्सर “AI का गॉडफादर” (Godfather of AI) कहा जाता है। उन्होंने ही ऐसी तकनीक की नींव रखी जिससे आज मशीनें इंसानों की तरह सोचने और सीखने लगी हैं। Hinton लंबे समय तक गूगल (Google) से जुड़े रहे और उन्होंने डीप लर्निंग (Deep Learning) और न्यूरल नेटवर्क्स (Neural Networks) पर काम किया, जो आज के चैटबॉट्स (Chatbots) और जनरेटिव AI की रीढ़ माने जाते हैं। लेकिन अब वही वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अगर सुपरइंटेलिजेंट AI यानी इंसान से ज़्यादा समझदार मशीनें बनाई गईं, तो यह मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकती हैं।
क्या है सुपरइंटेलिजेंट एआई (Superintelligent AI)?
सुपरइंटेलिजेंट एआई (AI) वह तकनीक है जो हर क्षेत्र में इंसानों से तेज़ और ज़्यादा समझदारी से काम कर सकती है। ऐसी मशीनें खुद को लगातार बेहतर बना सकती हैं, अपने फैसले खुद ले सकती हैं और किसी इंसानी आदेश का इंतज़ार नहीं करतीं। Hinton और कई वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ऐसी मशीनें बना दी गईं, तो एक समय के बाद इंसान उनका नियंत्रण खो सकता है, और यही सबसे बड़ा खतरा है।
क्यों मांगी गई है रोक?
हिन्टन (Hinton) ने कहा कि जब तक दुनिया यह सुनिश्चित नहीं कर लेती कि ऐसी एआई (AI) को सुरक्षित तरीके से चलाया जा सकता है, तब तक इस पर रोक लगनी चाहिए। उनका कहना है कि पहले हमें यह तय करना होगा कि यह तकनीक समाज के हित में है या नहीं, और इसके गलत इस्तेमाल को कैसे रोका जाएगा। उनकी इस अपील को कई प्रसिद्ध लोगों का समर्थन मिला है, जिनमें एप्पल (Apple) के सह-संस्थापक स्टीव वॉजनियाक, प्रिंस हैरी और मेगन मार्कल जैसे नाम शामिल हैं।
भारत के लिए क्या मतलब है यह चेतावनी?
भारत (India) में भी AI तकनीक तेजी से बढ़ रही है। स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी योजनाओं में AI का इस्तेमाल बढ़ रहा है। लेकिन भारत में अभी AI से जुड़ा कोई सख्त कानून या नीति नहीं है जो इसके उपयोग और सीमाओं को तय करे। जेफ्री हिन्टन (Geoffrey Hinton) की चेतावनी भारत जैसे देशों के लिए भी एक सबक है कि नई तकनीक के साथ-साथ नैतिकता, पारदर्शिता और नियंत्रण पर भी उतना ही ध्यान देना जरूरी है।
निष्कर्ष
जेफ्री हिन्टन (Geoffrey Hinton) की यह अपील डर फैलाने के लिए नहीं, बल्कि सावधानी बरतने के लिए है। AI ने इंसानों की ज़िंदगी आसान बनाई है, लेकिन अगर इसे बिना नियंत्रण के बढ़ने दिया गया, तो यही तकनीक खतरा भी बन सकती है। इसलिए ज़रूरत है कि विकास के साथ जिम्मेदारी भी निभाई जाए, ताकि मशीनें इंसानों की मदद करें, उन पर हावी न हों।
(Rh/Eth/BA)