
राजस्थान के बहरोड़ की रहने वाली 25 वर्षीय डॉ. भावना यादव (Dr. Bhavna Yadav) की जलने से हुई मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है। भावना, जो हाल ही में फिलीपींस से एमबीबीएस कर लौटी थीं, भारत लौटने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) की तैयारी कर रही थीं। दिल्ली से ऑनलाइन क्लासेस लेते हुए वह हर हफ्ते टेस्ट देने के लिए दिल्ली जाया करती थीं। 21 अप्रैल को भी वह दिल्ली गई थीं, लेकिन कुछ ही दिनों में 24 अप्रैल को उनके परिजनों को एक फोन आता है, जिसमें कहा गया कि भावना जल गई हैं और उन्हें हरियाणा के हिसार के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
डॉ. भावना के मौत के पीछे की गुत्थी
जब परिजन हिसार पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि भावना गंभीर रूप से झुलसी हुई थीं। उनकी हालत नाजुक थी और वहां उनके साथ कोई मौजूद नहीं था। बेहतर इलाज के लिए उन्हें तुरंत जयपुर के एसएमएस अस्पताल लाया गया, लेकिन रात में ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद भावना की मां गायत्री यादव ने जयपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद में "जीरो एफआईआर" के रूप में हिसार पुलिस को भेजा गया।
जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ी, कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। भावना को अस्पताल पहुंचाने वाला युवक कोई और नहीं, बल्कि हिसार के HAU (चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय) में क्लर्क के पद पर कार्यरत उदेश यादव (Udesh Yadav) था। वह घटना के बाद से फरार हो गया और उसका मोबाइल भी बंद मिला। जब पुलिस ने उदेश के कमरे की तलाशी ली, तो वहां से पेट्रोल की खाली बोतल, जले हुए कपड़े और अन्य आपत्तिजनक सबूत मिले। इससे यह संकेत मिला कि भावना को जानबूझकर जलाया गया है।
डॉ. भावना (Dr. Bhavna Yadav) की मां ने सीधे तौर पर उदेश यादव पर हत्या का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उदेश (Udesh Yadav) ने पेट्रोल डालकर भावना को जला दिया। वह बताती हैं कि भावना के शरीर पर घाव के निशान थे, जो किसी धारदार हथियार के इस्तेमाल की ओर इशारा करते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि भावना पूरी तरह मानसिक रूप से ठीक थीं और आत्महत्या जैसी कोई बात नहीं थी।
जयपुर से भेजी गई एफआईआर के आधार पर हिसार पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की। हिसार पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन टीमें बनाई गई हैं। आखिरकार 1 मई को आरोपी उदेश यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि भावना और उदेश के बीच कुछ समय से संबंध थे, और भावना उदेश से शादी करना चाहती थीं।
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब उदेश (Udesh Yadav) की पत्नी निक्की और उसकी मां सामने आईं। उन्होंने दावा किया कि भावना उदेश से एकतरफा प्यार करती थीं और जबरदस्ती शादी करने का दबाव डाल रही थीं। निक्की का कहना है कि भावना रोज उदेश को फोन और मैसेज करती थीं, यहाँ तक कि नंबर बदल-बदल कर भी संपर्क करती थीं। निक्की ने पुलिस को 60 पेज की व्हाट्सएप चैट की फोटोकॉपी सौंपी है, जिसमें कथित तौर पर भावना ने खुद को खत्म करने की धमकी दी थी।
निक्की के अनुसार, भावना जानती थीं कि उदेश शादीशुदा है और उसका एक छोटा बच्चा भी है, इसके बावजूद वह उनके परिवार के पीछे पड़ी थीं। भावना ने खुद निक्की से भी बातचीत की थी और बार-बार कहती थीं कि वह उदेश से शादी करना चाहती हैं। चैटिंग के दौरान भावना ने कहा था कि अगर उदेश ने उसे नहीं अपनाया, तो वह अपनी जान दे देंगी।
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अब सवाल यह उठता है कि क्या डॉ. भावना (Dr. Bhavna Yadav) ने खुद आग लगाकर आत्महत्या की, जैसा कि उदेश के परिवार का दावा है ? या फिर उदेश ने उसे मारा, जैसा कि भावना की मां और परिजन आरोप लगा रहे हैं ? पुलिस के शुरुआती जांच के मुताबिक भावना के शरीर पर चोट और संघर्ष के निशान हैं। कमरे से पेट्रोल की बोतल और अन्य सबूत मिलने से मामला संदिग्ध हो गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच से ही पूरी सच्चाई सामने आ सकती है।
भावना यादव की रहस्यमयी मौत ने समाज को कई सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। एक पढ़ी-लिखी, डॉक्टर युवती जो भविष्य को लेकर गंभीर थी, उसकी ऐसी संदिग्ध मौत क्या सिर्फ प्यार में उलझने का नतीजा है ? या फिर किसी ने सचमुच उसकी जिंदगी को खत्म कर दिया ? भावना के गांव अनंतपुरा और कोटपूतली-बहरोड़ क्षेत्र में इस घटना को लेकर शोक की लहर है। ग्रामीण और परिजन लगातार यह मांग कर रहे हैं कि इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच हो, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिले। पुलिस फिलहाल उदेश यादव की कॉल डिटेल्स, भावना का मोबाइल, चैटिंग और अन्य डिजिटल सबूतों की जांच कर रही है।
निष्कर्ष
डॉ. भावना यादव (Dr. Bhavna Yadav) की मौत आत्महत्या थी या सुनियोजित हत्या, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। पुलिस की जांच जारी है, और कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ चुके हैं, लेकिन अंतिम सच सामने आने में अभी समय लग सकता है। इस केस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि रिश्तों में छिपी जटिलताएं किस तरह जानलेवा बन सकती हैं। समाज को ऐसे मामलों से सबक लेना होगा, ताकि भविष्य में कोई और भावना की तरह दर्दनाक मौत का शिकार न बने। [Rh/PS]