बापी टुडू (Bapi Tudu) को 25 की उम्र में अपनी पहली पुस्तक के लिए मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

उन्होंने बताया कि किताब की 100 प्रतियां छपवाने पर ₹14300 का खर्चा आया हैं। वह कहते है कि कोई भी व्यक्ति अच्छा लेखक बन सकता है।
बापी टुडू (Bapi Tudu) को 25 की उम्र में अपनी पहली पुस्तक के लिए मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार (Twitter)
बापी टुडू (Bapi Tudu) को 25 की उम्र में अपनी पहली पुस्तक के लिए मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार (Twitter)

न्यूज़ग्राम हिंदी: बाल साहित्य पुरस्कार 2023 और साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2023 (Sahitya Akademi Award 2023) की घोषणा साहित्य अकादमी द्वारा कर दी गई हैं। इस बार युवा पुरस्कार के लिए पश्चिम बंगाल (West Bengal) के संताली (Santali) लेखक 25 वर्ष के बापी टुडू (Bapi Tudu) को चुना गया हैं। 1998 में जन्मे बापी को उनकी पुस्तक "दुसी" (लघु कथाओं की पुस्तक) के लिए यह पुरस्कार देने की घोषणा हुई। ज्ञात हो कि यह उनकी पहली पुस्तक है और वह इस पुरस्कार को पाने के लिए बेहद उत्साहित है।

वह अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक बुराई पर प्रहार करते हैं और समाज को सुधार का संदेश देते हैं।

बापी टुडू (Bapi Tudu) को 25 की उम्र में अपनी पहली पुस्तक के लिए मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार (Twitter)
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उन्होंने बताया कि किताब की 100 प्रतियां छपवाने पर ₹14300 का खर्चा आया हैं। वह कहते है कि कोई भी व्यक्ति अच्छा लेखक बन सकता है। यदि कोई व्यक्ति लिख रहा है तो उन्हें उसे प्रकाशित जरूर करवाना चाहिए।

बापी बताते हैं कि उन्हें लिखने की प्रेरणा डॉ सोहित कुमार भौमिक से मिली जिन्होंने पहली बार उनकी एक लघु कथा अपनी पत्रिका में प्रकाशित की। उस वक्त बापी एम. ए कर रहे थे।

उनके पिता साक्षर है लेकिन माता को बिल्कुल पढ़ना लिखना नहीं आता है। उनके अलावा उनके परिवार में उनकी दो बहने हैं और बड़ी का विवाह हो चुका है। बापी ने खुद मास्टर्स के बाद नेट क्वालीफाई किया है और वह प्रोफेसर बन कर बच्चों को पढ़ाने की इच्छा रखते हैं।

रचनाओं के माध्यम से सामाजिक बुराई पर प्रहार करते हैं (Wikimedia Commons)
रचनाओं के माध्यम से सामाजिक बुराई पर प्रहार करते हैं (Wikimedia Commons)

बापी को मास्टर्स की पढ़ाई करने के दौरान 2 साल तक ₹48000 की स्कॉलरशिप भी मिली। साथ ही उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर और टाइपिंग कर कुछ पैसे कमाएं। वह कहते है कि जब उनकी पुस्तक पहली बार प्रकाशित हुई थी तो उन्हें बंगाल के अलावा उड़ीसा और झारखंड के लोगों से भी सराहना मिली थी। वह बच्चों के लिए 100 छोटी– छोटी कविताएं लिख चुके हैं। उनका कहना है कि कुछ पैसे जमा हो जाने के बाद वह उन्हें भी प्रकाशित करवाएंगे।

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