छठ (Chhath) पूजा उत्तर भारत (North India) और बिहार (Bihar) के लोगों के लिए सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि महापर्व है। यह पर 4 दिनों तक चलता है। वर्ष में दो बार मनाएं जाने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाए खाए से होती है। लेकिन क्या आप जानते है कि जब उत्तर भारत के लोग छठ पूजा का पर्व मनाते हैं और सूर्य देव के साथ छठ मैया की पूजा करते हैं उसी वक्त दक्षिण भारत (South India) के लोग सूरसम्हारम (Soorasamharam) पर्व मनाते हैं और कार्तिकेय (Kartikeya) भगवान की पूजा करते हैं। इस लेख में हम आपको इस पर्व के पीछे की कथा और इस पर्व के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे।
भगवान कार्तिकेय दक्षिण भारत में मुरूगन (Murugan) और स्कंद (Skanda) के नाम से जाने जाते हैं। यही कारण है कि षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली षष्ठी को कन्न षष्ठी भी कहते हैं। तमिल हिंदुओं के इस प्रमुख पर्व की शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा से हो जाती है और समापन षष्ठी के दिन होता है यानी कि इसमें छह दिवसीय उपवास का पालन किया जाता है। समापन होने वाले दिवस को सूरसम्हाराम दिवस कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूरसम्हाराम के दिन भगवान स्कंद ने असुर सूरपद्म को युद्ध में पराजित किया था। तभी से यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जा रहा है। इस पर्व के समापन के ठीक अगले दिन थिरू कल्याणम मनाया जाता है। कन्न षष्ठी का यह पर्व थिरुचेंदुर मुरूगन मंदिर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
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