![आज की दुनिया में, जहां हर कोई बिना मांगे राय बांटता है, वहीं चाणक्य (Chanakya Niti) की यह नीति एक आईना दिखाती है [Sora Ai]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-07-31%2Fvucwq3m1%2Fassetstask01k1g757wteaqvc00xddr8evgs1753964891img0.webp?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
क्या आपने कभी किसी को अच्छी नीयत से सलाह दी है ? और बदले में अपमान, उपहास या नुकसान झेलना पड़ा हो? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। दुनिया के सबसे चतुर रणनीतिकार आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले ही इस गहराई को समझ लिया था। उन्होंने अपनी नीति में साफ चेतावनी दी है –
“हर इंसान योग्य नहीं होता कि उसे सलाह दी जाए। कुछ लोगों को उपदेश देना, खुद को संकट में डालने जैसा है।”
Chanakya
आज की दुनिया में, जहां हर कोई बिना मांगे राय बांटता है, वहीं चाणक्य (Chanakya Niti) की यह नीति एक आईना दिखाती है की कब, किसे और क्यों सलाह देना सही है? क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो न तो आपकी बात समझते हैं, न उसे स्वीकार करते हैं, उल्टा वही आपकी सोच और सम्मान को चोट पहुंचा सकते हैं। तो अगर आप चाहते हैं कि आपकी समझदारी आपकी कमजोरी न बने, तो आपको चाणक्य के बताए उन 7 प्रकार के लोगों को ज़रूर जानना चाहिए, जिन्हें कभी भी सलाह नहीं देनी चाहिए।
चाणक्य: एक व्यक्ति, जिसने इतिहास की दिशा बदल दी
आचार्य चाणक्य, जिन्हें उनके अन्य नामों ‘कौटिल्य’ (Kautilya)और ‘विष्णुगुप्त’ (Vishnugupt) के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के सबसे तेज़ बुद्धि और दूरदर्शी विचारकों में से एक माने जाते हैं। वे न केवल मौर्य साम्राज्य के स्थापक थे, बल्कि भारत के पहले महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के राजनीतिक गुरु, मार्गदर्शक और रणनीतिक सलाहकार भी रहे। चाणक्य की विद्वता केवल शिक्षा और राजनीति तक सीमित नहीं थी। वे एक श्रेष्ठ अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, न्यायशास्त्री, और सबसे बढ़कर एक दर्शनीय जीवन विचारक थे।
उन्होंने नालंदा जैसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों से शिक्षा प्राप्त की और आगे चलकर तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षक बने, जहां उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र और कूटनीति जैसे विषयों में हजारों छात्रों को ज्ञान दिया। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल है, ‘अर्थशास्त्र’, जो राजनीति, अर्थनीति और शासन संचालन की गहराइयों को दर्शाता है, और चाणक्य नीति, जिसमें जीवन के हर पहलू जैसे मित्रता, शत्रुता, व्यवहार, सलाह, समय और नैतिकता को गहनता से समझाया गया है।
चाणक्य (Chanakya Niti) का मानना था कि ज्ञान तभी प्रभावशाली होता है जब उसमें व्यवहारिक बुद्धिमत्ता और समय की समझ हो। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हर व्यक्ति योग्य नहीं होता कि उसे ज्ञान या सलाह दी जाए। जीवन में सफलता के लिए केवल पढ़ा-लिखा होना पर्याप्त नहीं, बल्कि यह भी जानना ज़रूरी है कि कब, किससे, और कैसे व्यवहार किया जाए।
चाणक्य ने कहा था –
निस्संदेह सलाह देना एक महान कार्य है, लेकिन अगर सामने वाला व्यक्ति उस योग्य न हो, तो यही सलाह आपके लिए विनाश का कारण बन सकती है।
आइए जानते हैं वो 7 प्रकार के लोग, जिन्हें सलाह देना चाणक्य के अनुसार बेहद नुकसानदायक हो सकता है:
मूर्ख व्यक्ति (Foolish Person)
"मूर्ख को ज्ञान देना ऐसा है जैसे पत्थर पर पानी डालना।" चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने अज्ञान पर गर्व करता है और तर्क या अनुभव की कोई कद्र नहीं करता, उसे समझाना व्यर्थ है। वह आपकी बात को या तो गलत समझेगा या मज़ाक बना देगा।
अहंकारी व्यक्ति (Arrogant or Egoistic Person)
अहंकार में डूबा इंसान सलाह को अपमान समझता है। जो व्यक्ति स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझता है, वह किसी और की बात सुनने की क्षमता ही नहीं रखता। ऐसे इंसान को सलाह देने पर उल्टा वो आपको ही छोटा समझेगा और विरोध करेगा।
अनुभवहीन और नासमझ युवक (Immature or Inexperienced Youth)
जो युवा जीवन का अनुभव नहीं रखते, वे केवल आवेग से चलते हैं। युवा मन जोश से भरा होता है लेकिन उसमें धैर्य और समझ की कमी हो सकती है। ऐसे में अगर वो सलाह नहीं लेना चाहता, तो जबरदस्ती की गई सलाह उसे चिढ़ा सकती है।
अत्यधिक भावुक व्यक्ति (Over-Emotional Person)
जो तर्क से नहीं, भावनाओं से चलता हो, उससे तर्क करना व्यर्थ है। भावनाओं में बहने वाला व्यक्ति तटस्थ या व्यवहारिक सलाह को स्वीकार नहीं कर पाता। वह खुद की भावनाओं को सही ठहराने में लगा रहता है।
धनवान पर घमंडी व्यक्ति (Wealthy but Arrogant Person)
जिसे अपने धन का घमंड हो, वह किसी की बात नहीं मानता। ऐसे लोग अपने पैसे और रुतबे के कारण दूसरों को तुच्छ समझते हैं। उन्हें लगता है कि सलाह की ज़रूरत केवल गरीबों को होती है। ऐसे में उनकी मदद करने की बजाय आपका अपमान ही होगा।आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति को अगर आप अच्छी से अच्छी सलाह भी देंगे, तो वह उसे नजरअंदाज कर देगा। उल्टा वह आपको ही नीचा दिखाने की कोशिश करेगा। इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहना बेहतर है।
स्वार्थी व्यक्ति (Self-Centered Person)
जो केवल अपना लाभ देखता हो, वह किसी की सलाह को भी तोलता है। ऐसे व्यक्ति सिर्फ वही सुनते हैं जिससे उनका फायदा हो। अगर आपकी सलाह उनके स्वार्थ के खिलाफ जाती है, तो वे आपको ही दोषी ठहरा सकते हैं।
जो कभी सीखना ही नहीं चाहता (Unwilling to Learn)
जिसे खुद को सुधारने की इच्छा ही न हो, वो सलाह कैसे मानेगा? कुछ लोग केवल अपनी सोच को ही अंतिम सत्य मानते हैं। वे न सुनना चाहते हैं, न सीखना। उन्हें बार-बार सलाह देना केवल समय और ऊर्जा की बर्बादी है।
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अर्थात चाणक्य नीति आज भी हमें यही सिखाती है कि सलाह देना तब ही फायदेमंद होता है जब सामने वाला व्यक्ति उसे समझने और अपनाने की क्षमता रखता हो। नहीं तो वही सलाह आपके अपमान, विरोध या नुकसान का कारण बन सकती है। [Rh/SP]