विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की माने तो मिर्गी (Epilepsy) बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी तो नही है लेकिन मिर्गी हमारे शरीर में छिपे हुए कई रोगों के कारण बनती है। पूरी दुनिया में लगभग 50 फीसदी मिर्गी के मामले ऐसे हैं जिनके कारणों की पहचान नहीं हो पाई।
दिमाग से जुड़ी बीमारी मिर्गी के पूरी दुनिया में करीब 5 करोड़ मरीज हैं और यह बहुत ही सामान्य न्यूरोलॉजिकल बीमारी (Neurological) है।
इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को भिन्न भिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि लोग इस बीमारी के बारे में बताना पसंद नहीं करते यह नौकरी, विवाह यहां तक कि ड्राइविंग लाइसेंस में भी अड़चन पैदा करती है जिसके कारण जीवन मुश्किल हो जाता है।
आज राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (National Epilepsy Day) पर हम आपको इस बीमारी के लक्षण और इलाज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे।
यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है और यह ब्रेन सर्किट में असामान्य तरंगें पैदा करने के कारण होता है। दिमाग में ऐसी गड़बड़ी के कारण इंसान को बार बार दौरे पड़ते हैं। जिसके परिणामस्वरूप दिमाग का संतुलन अस्त व्यस्त हो जाता है और मनुष्य का शरीर लड़खड़ाने लगता है इस बीमारी को बढ़ावा देने वाले कारक एक हद तक मरीज की उम्र पर भी निर्भर करते हैं। यदि यह नवजात शिशु में है तो इसका कारण डिलीवरी के समय ऑक्सीजन की समस्या हो सकती है और यदि यह वयस्क में है तो इसका कारण इंफेक्शन, ब्रेन टयूमर या सिर पर चोट हो सकता है।
मिर्गी का दौरा पड़ते ही व्यक्ति के हाथ पैर सिकुड़ने लगते हैं और वह हाथ पैर मरोड़ते हुए किसी पुतले की भांति जमीन पर गिर जाता है।
हालांकि इसका 60 से 70 फीसदी इलाज दवाओं द्वारा संभव हैं। यह दवा तकरीबन 2 से 3 साल तक चल सकती है और यहां तक कि कुछ मरीजों को तो जीवन भर इन दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है। कुछ परिस्थितियों में मरीज पर दवाओं का कोई असर नहीं होता ऐसी स्थिति में सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को हेल्दी और संपूर्ण डाइट लेनी चाहिए ज्यादा कार्ब्स वाला खाना नहीं खाना चाहिए।
(PT)