इस इमेज में डॉक्टर कुछ लोगों को देखा जा सकता है , जिसमे एक डॉक्टर मरीज़ को मारते हुए नज़र आ रहा है।
IGMC शिमला में हुए डॉक्टर-मरीज़ के बीच हाथापाई। X

डॉक्टर-मरीज के बीच हुए दंगल की कहानी, एक नहीं पूरे 4 गंभीर मामलों से देश में मचा था हड़कंप

भारत देश में डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है। ऐसे में अगर डॉक्टर समझदारी से काम करने की जगह अगर हाथापाई पर उठत आएंगे तो लोग किस उम्मीद से डॉक्टर पर भरोसा करेंगे।
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  • देश के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ डॉक्टरों के व्यवहार या कथित लापरवाही की वजह से मरीज़ों को शारीरिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी।

  • इलाज में देरी, संवाद की कमी और कठोर रवैये को लेकर मरीज़ों व उनके परिजनों ने कई बार डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

  • Shimla का IGMC मामला इसी व्यापक समस्या की ओर इशारा करता है, जहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था में मानवीय व्यवहार पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने पूरे देश में तहलका मचा दिया है। यह वीडियो एक 35 वर्षीय युवक की है जिसमें एक डॉक्टर द्वारा मरीज़ को पीटते हुआ देखा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) शिमला से जुड़ा एक वीडियो 22 दिसंबर 2025 को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसने न सिर्फ़ राज्य बल्कि पूरे देश में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बहस छेड़ दी। इस वीडियो में डॉ. राघव नरूला, जो IGMC में सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टर थे, एक मरीज़ के साथ हाथापाई करते दिखाई दिए। मरीज़ अस्पताल के बेड पर लेटा हुआ था और डॉक्टर उसे लगातार मारते हुए नज़र आया। 

क्या था पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, संबंधित मरीज़ IGMC के पल्मोनरी वार्ड में भर्ती था। मरीज़ का आरोप है कि डॉक्टर ने उससे अपमानजनक लहजे में बात की और जब उसने सम्मान से बात करने की बात कही, तो बहस बढ़ती चली गई। कुछ ही देर में यह बहस शारीरिक झगड़े में बदल गई, जिसका वीडियो किसी ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। वीडियो सामने आने के बाद जनता में भारी गुस्सा देखने को मिला। लोग सवाल उठाने लगे कि क्या अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह का व्यवहार स्वीकार किया जा सकता है? मरीज़ का कहना है कि डॉक्टर द्वारा उनसे तू करने की बात पर उन्होंने आपत्ति जताई और पूछा कि क्या आप अपने घर में भी बड़ों से ऐसे ही बात करते हैं? इतना ही कहने पर डॉक्टर नरूला ने मरीज़ को मारना शुरु कर दिया। 

इस बात को लेकर अस्पताल में डॉक्टर के खिलाफ भीड़ इकठ्ठा हो गयी और सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की। मरीज़ ने इससे सम्बंधित पुलिस थाने में एफआईआर भी दर्ज़ करवाई। 

डॉ. नरूला ने अपनी सफ़ाई में क्या कहा?

24 दिसंबर 2025  को डॉ. राघव नरूला ने मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष भी रखा। उनका कहना था कि वायरल वीडियो पूरी घटना का सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा है, जिसमें मात्र 10 -15 सेकंड की वारदात को कवर किया गया है। उनके मुताबिक, मरीज़ ने पहले उन्हें और उनके परिवार को गालियां दीं और उन पर हमला करने की कोशिश की, जिसके बाद उन्होंने आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया दी। डॉक्टर का मानना है कि उन्हें मरीज़ जाना -पहचाना लगा जिससे उन्होंने उनसे तू कर के बात की।  उनका मरीज़ से बत्तमीज़ी करने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने बताया कि मरीज़ को बार बार मना करने के बाद भी डॉक्टर के परिवार वालो को गलत बातें बोली गयी। इतना ही नहीं बल्कि मरीज़ ने चिल्लाना और डॉक्टर पर हाथ चलाना भी शुरू किया। इसी के परिणामस्वरूप डॉक्टर ने अपनी आत्मरक्षा में यह कदम उठाया। डॉ. नरूला ने मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है और सच्चाई सिर्फ़ वीडियो देखकर तय नहीं की जा सकती। उन्होंने अपने पक्ष में यह भी बात मीडिया के सामने रखी कि प्रशासन ने सिर्फ एक पक्ष की बात सुनी है और दुसरे पक्ष की बात/मेरी बात किसी ने भी सुनना जरूरी नहीं समझा। डॉक्टर नरूला ने बताया कि उनकी तरफ से भी क्रॉस एफआईआर दर्ज़ करवा दी गयी है। 

सरकार और प्रशासन ने क्या कार्रवाई की?

वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद IGMC प्रशासन ने डॉ. नरूला को सस्पेंड कर दिया। पुलिस ने मरीज़ की शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की और जांच शुरू की गई। इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की आंतरिक जांच कराई। जांच पूरी होने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने डॉ. राघव नरूला की सेवाएं समाप्त (Termination) कर दीं। सरकार का साफ़ कहना था कि अस्पताल में मरीज़ के साथ हिंसक व्यवहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

इस फैसले के साथ ही डॉ. नरूला का IGMC और राज्य की सरकारी सेवा से पूरी तरह नाता अब टूट चुका है।

डॉक्टरों का विरोध क्यों शुरू हुआ?

सरकार के इस कड़े फैसले के बाद डॉक्टर समुदाय ने अपनी नारज़गी  की  रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) और अन्य मेडिकल संगठनों ने आरोप लगाया कि सिर्फ़ वायरल वीडियो के आधार पर फैसला लिया गया डॉक्टर का पक्ष पूरी तरह नहीं सुना गया। डॉक्टरों का कहना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच नहीं हुई है। इन्हीं मांगों को लेकर डॉक्टरों ने पहले सामूहिक अवकाश लिया और फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी।

आज की स्थिति

राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में OPD और नियमित सेवाएं प्रभावित हैं और केवल आपातकालीन सेवाएं चालू रखी गई हैं। डॉक्टर डॉ. नरूला की पुनर्बहाली और दोबारा जांच की मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार अपने फैसले पर कायम है, लेकिन बातचीत के रास्ते खुले रखने की बात कह रही है। मुख्यमंत्री ने साफ़ कहा है कि मरीज़ की सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करने पर भी काम किया जाएगा।

देश में सामने आए ऐसे मामले

Shimla के IGMC अस्पताल में मरीज़ पर हाथ उठाने की घटना के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह अकेला मामला है। बीते वर्षों में देश के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहाँ डॉक्टरों 

और मरीज़ो के बीच मतभेदों को देखा जा सकता है। 

1. हैदराबाद का Osmania General Hospital मामला

उस्मानिया जनरल अस्पताल में मरीज़ द्वारा डॉक्टर पर अभद्र व्यवहार और धक्का-मुक्की के आरोप लगाए गए। वायरल वीडियो में डॉक्टर द्वारा मरीज़ से कठोर भाषा में बात करने और शारीरिक रूप से धकेलने के दृश्य सामने आए। मरीज़ की शिकायत के बाद अस्पताल प्रशासन ने संबंधित डॉक्टर को ड्यूटी से हटाकर जांच शुरू की। इस घटना में मरीज़ को इलाज के साथ-साथ मानसिक उत्पीड़न झेलने की बात भी सामने आई है।

2. भोपाल का Hamidia Hospital केस

भोपाल के हमीदिया अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर के व्यवहार को लेकर मरीज़ और उसके परिजनों ने आपत्ति जताई। आरोप था कि इलाज में देरी के साथ-साथ डॉक्टरों ने मरीज़ से ठीक से संवाद नहीं किया, जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई। बहस बढ़ने के बाद मामला अस्पताल प्रशासन तक पहुँचा और जांच के आदेश दिए गए। मरीज़ पक्ष ने डॉक्टरों के रवैये को लापरवाहीपूर्ण बताया।

3. दिल्ली का Safdarjung Hospital विवाद

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों की कथित लापरवाही को लेकर मरीज़ के परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई थी। परिजनों का आरोप था कि समय पर इलाज और सही जानकारी न मिलने से मरीज़ की स्थिति गंभीर हो गई। हालांकि बाद में स्थिति हिंसक रूप ले गई, लेकिन शुरुआती आरोप डॉक्टरों की ओर से मरीज़ को उचित उपचार न मिलने से जुड़े थे।

4. कोलकाता का Nil Ratan Sircar Medical College (NRSM) मामला

एनआरएस मेडिकल कॉलेज में मरीज़ की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर गलत इलाज और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए। परिजनों का कहना था कि मरीज़ की हालत को गंभीरता से नहीं लिया गया और शिकायत करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसके बाद अस्पताल में हालात बिगड़ गए और मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना।

निष्कर्ष

IGMC शिमला का यह मामला अब सिर्फ़ एक डॉक्टर-मरीज़ विवाद नहीं रहा। यह सवाल बन गया है कि —क्या एक वायरल वीडियो पूरी सच्चाई तय कर सकता है? और क्या डॉक्टरों की सुरक्षा व सम्मान भी उतनी ही अहम है जितनी मरीज़ों की? फिलहाल, अस्पतालों में कामकाज प्रभावित है, मरीज़ परेशान हैं और सरकार व डॉक्टरों के बीच टकराव जारी है। आने वाले दिनों में यह साफ़ होगा कि समाधान बातचीत से निकलता है या यह संकट और गहराता है।

सवाल यह नहीं है की डॉक्टर ने अपने आत्म-रक्षा के लिए मरीज़ पर सवाल उठाये बल्कि सवाल यह है की अस्पताल में बत्तमीज़ी कर रहे मरीज़ पर कानूनी तौर पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उस समय डॉक्टर द्वारा सिक्योरिटी की सहायता ली जा सकती थी या शायद हालात न सुधरने पर मरीज़ को डॉक्टर द्वारा चेतवानी दी जा सकती थी की इस रवैए के साथ हम आपका इलाज़ जारी नहीं करेंगे परन्तु मरीज़ पर हाथ उठाना किसी भी तरह से सामाधान के रूप में नहीं देखा जा सकता। भारत देश में डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है। ऐसे में अगर डॉक्टर समझदारी से काम करने की जगह अगर हाथापाई पर उठत आएंगे तो लोग किस उम्मीद से डॉक्टर पर भरोसा करेंगे। 

(Rh/PO)

इस इमेज में डॉक्टर कुछ लोगों को देखा जा सकता है , जिसमे एक डॉक्टर मरीज़ को मारते हुए नज़र आ रहा है।
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