

गोरखपुर से गिरफ्तार हुए फर्जी आईएएस (IAS) ललित किशोर उर्फ़ गौरव कुमार सिंह (Gaurav Kumar Singh) बिहार (Bihar) के सीतामढ़ी ज़िले के मेहसौल के रहने वाले है। गौरव कुमार बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज़ थे, उन्होंने मैथ्स के विषय में अपनी मास्टर्स की डिग्री को भी पूरा किया। गौरव के पिता मेहसौल गाँव में ही पेंट का काम किया करते थे, गौरव कभी-कभार अपने पिता के काम में भी हाथ बंटाते थे।
गौरव ने अपने ही गाँव की एक लड़की के साथ भाग कर शादी रचाई जिसके परिणामस्वरुप उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज किया गया हालाँकि इस काम को दोनों (लड़का-लड़की) की सहमति से अंजाम दिया गया था, जिसकी वजह से उनके खिलाफ हुई एफआईआर को रद्द कर दिया गया।
बचपन से ही गौरव का जिला विद्यालय निरक्षक बनने का सपना था जिसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपना एक कोचिंग खोलने का निर्णय लिया। एक दिन पैसों की कमी महसूस होने पर गौरव ने अपने ही एक विद्यार्थी को कोचिंग देने और नौकरी दिलवाने का झूठा वादा कर 2 लाख रूपए की मांग की। सरकारी नौकरी पाने की लालच ने विद्यार्थी को दो लाख रुपए देने पर मजबूर कर दिया, परन्तु जैसे जैसे समय बीतता चला गया और विद्यार्थी के बार-बार कहने पर भी उसके किये गये वादे को पूरा न किया जाने पर आखिरकार विद्यार्थी ने पुलिस थाने में गौरव के खिलाफ FIR दर्ज करवा दिया।
इस खबर को सुनने के बाद गौरव को एक धक्का लगा क्योकि अब उसके जिला अधिकारी बनने का सपना सपना ही रह जायेगा। खबर सुनने के बाद गौरव अपना गांव छोड़ कर भाग गया और सालभर के बाद वापस आने पर अपने अपने आप को 2022 बैच के आईएएस बनने की झूठी खबर बताने लगा जिस पर लोगो ने भी भरोसा करना शुरू कर दिया, और यह सिलसिला लगभग तीन (2022 -2025) तक चला।।
यहाँ से शुरुआत हुई गौरव द्वारा लोगो को ठगने की साजिश, गौरव ने अपने घर के आगे आईएएस गौरव कुमार सिंह का नेमप्लेट (Name Plate) भी लगा रखा था इतना ही नहीं बल्कि घर के आगे खड़े हुए गाडी और उनके साथ घूम रहे बॉडीगार्ड को देख कर लोगों को यकीन था की गौरव सच में एक आईएएस अफसर बन चुका है।
गोरखपुर के परमानंद गुप्ता के साथ मिलकर गौरव कुमार सिंह ने यूपी, बिहार और झारखण्ड के बिल्डर्स और बड़े कारोबारियों को सरकारी ठेके दिलवाने के नाम पर ठगना शुरू कर दिया।
उत्तर-प्रदेश में फर्जी आईएएस गौरव कुमार सिंह द्वारा औचक निरिक्षण के वक़्त ही उस एरिया के एसडीम भी वहाँ आ पॅहुचे। एसडीम ने गौरव सिंह से प्रश्न किया कि "सर,आप कौन से बैच के अफसर है" और इसी बात से आग बबूला हो कर गौरव सिंह ने लगातार एसडीम को दो थप्पड़ मारा। एसडीम को समझ नहीं आया कि उसके द्वारा किये गए किये गए उपयुक्त प्रश्नों पर उसको थप्पड़ क्यों मारा गया, परन्तु एसडीम ने लोगों द्वारा निंदा किए जाने के डर से इस बात को अखबारों तक नहीं आने दिया, जहां से गौरव को अपनी गैर कानूनी हरकतों के लिए और बढ़ावा मिला।
इसी से मिलता-जुलता एक मामला उत्तर -प्रदेश के सरकारी विद्यालय से मिला जहां गौरव सिंह और उसकी टीम विद्यालय में निरक्षण के लिए पहुँची। वहां एक अध्यापक द्वारा किये गए पूछताछ में गौरव ने बताया कि केंद्रीय सरकार द्वारा उसको राज्य के 18 जिलों का निरीक्षण करने का आदेश दिया गया है।
जहां बिल्डर्स और कारोबारियों से मिलवाने की जिम्मेदारी परमांनद ने ली थी वहीं, फर्जी सरकारी कागजों को बनाने की जिम्मेदारी गौरव के साले (brother -in -law) अभिषेक ने पूरी की। अभिषेक ने AI की मदद से ऐसे सरकारी लाइसेंस और कागज़ बनाए जिसको किसी आम आदमी द्वारा पहचाना भी नहीं जा सकता था।
गौरव ने एक फर्जी वादा बिहार के रहने वाले बिजनेसमैन मुकुन माधव को भी किया था जिसमें उसने मुकुन माधव को 450 करोड़ रूपए के सरकारी टेंडर दिलवाने की बात की थी और उसके बदले 5 करोड़ रूपए और इनोवा कार की मांग की।
7 नवंबर 2025 (बिहार में चुनाव का समय) को थाना अधिकारी अनुज कुमार द्वारा ट्रेन में जांच पड़ताल के वक़्त एक आदमी के पास रखे हुए बैग में 99 लाख 90 हज़ाए रुपए प्राप्त हुए। पुलिस द्वारा पूछताछ पर मुकुन माधव ने बताया कि बिहार के आईएएस अधिकारी द्वारा उसको सरकारी टेंडर दिलवाने का वादा किया गया था जिसके बदले उससे पैसोंऔर कार की मांग की गई। अधिकारी द्वारा किये गए वादे के पूरा न होने और माधव द्वारा अपने पैसों की मांग करने पर उसको कुछ पैसे वापस दिए गए।
इस दिन के बाद से ही LEO और पुलिस द्वारा इस मामले के तहत जांच-पड़ताल शुरू होने लगी और इससे संबंधित खबर अखबार में पढ़ने के बाद एक महिला भी पुलिस थाने पहुंची, जहां उसने बताया कि गौरव कुमार सिंह एक फर्ज़ी आईएएस अधिकारी बन कर घूम रहा है जिससे वह न केवल लोगों को पैसे के मामले में ठग रहा है बल्कि शादीशुदा होने के बाद भी कई लड़कियों को प्यार और शादी का झांसा दे कर उनसे शारीरिक संबंध बनाए हैं।
कड़ी जांच-पड़ताल के बाद दिसंबर 2025 में पुलिस द्वारा गौरव कुमार सिंह उर्फ़ ललित किशोर, परमानंद गुप्ता और अभिषेक को हिरासत में लिया गया। गिरफ्तारी के बाद गौरव और उसके साथियों द्वारा अंजाम दिये गए कारनामे सुन कर पुलिस भी चौंक गई।