

जांच के अनुसार, यह मामला शिगू टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, जो चीनी नागरिकों के नियंत्रण में थी। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान आरोपियों ने एक फर्जी मोबाइल ऐप 'एचपीजेड टोकन' लॉन्च किया और दावा किया कि निवेश क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में लगाए जाएंगे और निवेशकों को भारी रिटर्न मिलेगा। केवल तीन महीनों में करोड़ों रुपए इकट्ठा किए गए, जिन्हें धोखेबाजों ने अपने ठिकानों पर स्थानांतरित कर दिया।
सीबीआई (CBI) की जांच में सामने आया कि यह एक अलग-थलग मामला नहीं, बल्कि विदेशी नागरिकों द्वारा संचालित बड़े और संगठित साइबर अपराध नेटवर्क का हिस्सा था। यह नेटवर्क कई अन्य साइबर धोखाधड़ी मामलों में भी शामिल था, जिसमें लोन ऐप्स, फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन नौकरी के झांसे शामिल थे।
शुरुआती गिरफ्तारी में छह आरोपी शामिल थे, जिनमें डॉर्टसे, रजनी कोहली, सुशांत बेहरा, अभिषेक, मोहम्मद इम्दाद हुसैन और रजत जैन के नाम शामिल थे। अब सीबीआई ने 30 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
वान जून जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक था, जो चीनी कंपनी जिलियन कंसल्टेंट्स की सहायक कंपनी थी। वान जून और डॉर्टसे ने मिलकर कई शेल कंपनियां बनाई, जिनमें शिगू टेक्नोलॉजीज भी शामिल थी। जांच में पता चला कि इन शेल कंपनियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी (Fraud) से अर्जित धन की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। कुछ ही महीनों में इन कंपनियों के बैंक खातों से ट्रांसफर किए गए कुल पैसे 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गए।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने पेमेंट एग्रीगेटर सिस्टम का बेहद सुव्यवस्थित और तेज तरीके से दुरुपयोग किया। ये तकनीकी प्लेटफॉर्म असली कंपनियों को बड़े पैमाने पर बैंकिंग लेनदेन की सुविधा देते थे, लेकिन धोखाधड़ी करने वाले इन्हें धन को एक शेल कंपनी से दूसरी शेल कंपनी में तेजी से ट्रांसफर करने और निवेशकों को हिस्सा लौटाकर विश्वास जीतने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे।
जिलियन कंसल्टेंट्स ने इसके लिए पेशेवरों जैसे कंपनी सचिव और चार्टर्ड अकाउंटेंट की भी मदद ली। धोखाधड़ी से जुटाया गया पैसा क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेजा गया।
सीबीआई ने अब तक मामले के सभी मास्टरमाइंड्स की पहचान कर ली है और 27 आरोपियों और 3 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। मामले की जांच अन्य संदिग्धों के खिलाफ भी जारी है।
सीबीआई ने कहा है कि विशेष कार्रवाइयों के माध्यम से साइबर अपराध नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए लगातार जारी रहेगा। सीबीआई निवेशकों की सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था की मजबूती, लक्षित गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ावा दे रही है।
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